शिया सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदरसों को बंद करने की की मांग, वक्‍फ बोर्ड की इस मांग के बाद मुस्लिम समुदाय में मची खलबली

लखनऊ। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड चाहता है कि देश में मदरसा एजूकेशन बंद किया जाए। अपनी इसी मांग को लेकर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत भी लिखा है। जिसके बाद मुस्लिम समुदाय में बवाल सा मच गया है। कई लोग वक्‍फ बोर्ड के इस बयान के खिलाफ मैदान में उतर आए हैं। वहीं दूसरी ओर कई लोग इस बयान की तारीफ भी कर रहे हैं। कुल मिलाकर कहें तो शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की इस चिट्ठी ने मुस्लिम समुदाय में खलबली मचा दी है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर ये चिट्ठी बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी है। इससे पहले बोर्ड मदरसा एजूकेशन को लेकर पूरी रिपोर्ट भी प्रधानमंत्री को भेज चुका है। बोर्ड की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गई चिट्ठी में यूनिफॉर्म एजुकेशन सिस्टम की वकालत की है। इसके साथ ही ये भी मांग की गई है कि देश के सभी मदरसों को CBSE और ICSE के पाठ्यक्रम से जोड़ा जाए।

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयमैन वसीम रिजवी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो खत लिखा है उसमें कहा गया है कि मदरसा एजूकेशन कट्टरपंथियों से प्रेरित है। उनका मानना है कि मदरसा एजूकेशन आजादी के बाद से ही धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रणाली के विपरीत चल रही है। जो देश और मुस्लिम बच्‍चों के भविष्‍य के लिए ठीक नहीं है। वसीम रिजवी ने अपने चिट्ठी में लिखा है कि मदरसों के भीतर मुस्लिम बच्‍चों को सही ज्ञान नहीं दिया जाता है। यहां के एजूकेशन सिस्‍टम पर कट्टरवाद हावी है। जिसके चलते मदरसों में पढ़ने वाले छात्र कट्टरपंथ की राह पर चल पड़ते हैं। छात्रों के दिमाग में कट्टरपंथी विचारधारा भर दी जाती है। वसीम रिजवी का मानना है कि कट्टरवाद और उससे प्रेरित मदरसा एजूकेशन भारतीय मुसलमानों के लिए अभिशाप बनता जा रहा है। जिससे देश के मुसलमानों और उनके बच्‍चों को बचाने की जरुरत है।

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने अपने खत में कहा है कि मदरसा एजूकेशन की वजह से ही भारतीय मुसलमान पिछड़ते जा रहे हैं। यही कारण है कि देश में मुसलमानों की सामजिक और आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। मदरसा एजूकेशन मुख्‍य धारा की शिक्षा प्रणाली से पूरी तरह विपरीत है और दूसरे ध्रुव पर है। जिनका आपस में कोई भी तालमेल नहीं है। इतना ही नहीं वसीम रिजवी ने अपने खत में ये भी आरोप लगाया है कि कई मदरसों को आतंकी संगठनों से फंडिंग हो रही है। देश में ज्‍यादातर मदरसे जकात के पैसों से चल रहे हैं। देश के मदरसों में पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश से भी फंडिंग हो रही है। वसीम रिजवी का कहना है कि कई मदरसों को तो आतंकी संगठन अवैध रुप से फंडिंग कर रहे हैं। जिनके रहमो-करम पर ये मदरसे चल रहे हैं। उनका कहना है कि सबसे ज्‍यादा पैसा सऊदी अरब से आ रहा है। जिसकी जांच होनी चाहिए।

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खत में मुर्शिदाबाद और शामली के मदरसों का भी जिक्र किया है। उनका कहना है कि यहां के मदरसों में आतंकियों की ट्रेनिंग की बातें होती हैं। गोला-बारुद और हथियार एक जगह से दूसरी जगह भेजे जाने की बातें होती हैं। बोर्ड का मानना है कि देश में मदरसा एजूकेशन को खत्‍म कर यूनिफॉर्म एजुकेशन सिस्टम लागू किया जाए। ताकि सभी को एक जैसी शिक्षा मिल सके। वैसे भी मदरसों में पढ़कर निकलने वालों छात्र हमेशा से रोजगार की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं। यहां की डिग्रियां मान्‍य नहीं होती। प्राइवेट सेक्‍टर ऐसे लोगों को नौकरी देता नहीं है। इस सूरत में मदरसा एजूकेशन की कोई वैल्‍यू नहीं है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि जब मदरसों को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं। इससे पहले भी कई बार इस तरह की रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं जिसमें मदरसों के तार आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। वाकई ये देश का बेहद ही गंभीर मसला है जिस पर विचार किए जाने की जरुरत है।

 

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