शिवपाल व अखिलेश में गिले-शिकवे दूर, अखिलेश को बताया यूपी का श्रेष्ठ विकल्प

शिवपाल ने खत लिखकर अखिलेश को बेहतर नेतृत्व करने वाला बताया

राजेश श्रीवास्तव

कभी अखिलेश की समाजवादी पार्टी को चुनाव हराने का दाग अपने सिर से धोने का अब उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव ने ठान लिया है। जब समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का स्वास्थ्य नाजुक है और इसके संस्थापक सदस्य आजम खां जेल मंे हैं जब सपा को एक मजबूत विकल्प की जरूरत है। इसी विकल्प की भरपाई अब निकट भविष्य मंे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव करने जा रहे हैं। इस दिशा में पहला कदम शिवपाल ने चल दिया है अब बाजी अखिलेश के पाले में हैं।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख राजनीतिक दल अपनी बिसात बिछाने में लगे हैं। इसी क्रम में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा इटावा के जसवंतनगर के समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल सिह यादव ने बड़ा कदम बढ़ाया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक पत्र लिखा है, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि अब समाजवादी पार्टी में उनकी वापसी तय हो गई है।

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां के जेल जाने के बाद पार्टी को प्रदेश में जमीन से जुड़े दमदार नेता की कमी खल रही है। पार्टी के संरक्षक मुलायम सिह यादव के अस्वस्थ होने के बाद से मोर्चा अध्यक्ष अखिलेश यादव ही संभाल रहे हैं। इसी बीच समाजवादी पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर शिवपाल सिह यादव की विधानसभा की सदस्यता रद करने की याचिका वापस ले ली। इसके जवाब में शिवपाल सिह यादव ने भी पत्र भेजकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का आभार जताया है। यह पत्र उन्होंने 29 मई को लिखा गया था जो अब वायरल अब हो रहा है।

सपा अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुखयमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच रिश्तों की कड़वाहट कम होती दिख रही है। कुछ दिन पहले जहां अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव की विधायक की सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस करवा ली थी, तो सोमवार को शिवपाल यादव ने पत्र लिखकर अखिलेश की तारीफ करते हुए उन्हेंं थैक्स कहा है।

शिवपाल ने इस चिट्ठी के साथ अखिलेश के नेतृत्व की सराहना भी की है। अखिलेश यादव को अपनी चिट्ठी में शिवपाल ने लिखा, निश्चय ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं है, बल्कि आपके इस तरह के स्पष्ट, सार्थक व सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परीधि में आपके नेतृत्व में एक नव राजनीतिक विकल्प व नवाक्षर का जन्म होगा।

इसी वर्ष होली पर सैफई में आयोजित कार्यक्रम में सपा संरक्षक मुलायम सिह यादव और अखिलेश यादव के साथ शिवपाल सिह यादव भी साथ थे। होली मिलन कार्यक्रम के दौरान ही अखिलेश ने शिवपाल के पैर छूकर आर्शीवाद लिया था। तभी से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के रिश्तों में कुछ सुधार हुआ है। उसी कार्यक्रम में शिवपाल ने मुलायम के साथ रामगोपाल के भी पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।

उत्तर प्रदेश में मुलायम सिह यादव तथा अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शिवपाल सिह यादव ने विधानसभा चुनाव 2०17 के पहले समाजवादी पार्टी को छोड़ दिया था। इसके बाद अपनी पार्टी बनाकर लोकसभा चुनाव 2०19 में कई जगह पर प्रत्याशी भी उतारे थे। शिवपाल सिह यादव भी शिकोहाबाद से मैदान में उतरे। उधर समाजवादी पाटी ने भी बसपा के साथ गठबंधन किया था।

तकनीकी रूप से शिवपाल यादव अभी एसपी से असंबद्ध विधायक हैं। वर्ष 2०17 में यूपी विधानसभा चुनावों के समय से ही मुलायम सिह यादव के परिवार में बिखराव शुरू हो गया था। इस टकराव का नतीजा ये हुआ कि शिवपाल को एसपी से बाहर होना पड़ा और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली। लोकसभा चुनाव 2०19 में शिवपाल सिह ने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद से ताल ठोकी थी। शिवपाल ने अक्षय के वोट काटकर बीजेपी के चंद्रसेन जादौन को जिता दिया था। अक्षय को 4.67 लाख, जबकि विजयी कैंडिडेट जादौन को 4.95 लाख वोट मिले थे। वहीं शिवपाल को 91 हजार से ज्यादा वोट हासिल हुए थे।

लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा और समाजवादी पार्टी ने चार सितंबर 2०19 को शिवपाल की विधानसभा सदस्यता रद करने की याचिका दायर की थी। इस याचिका का परीक्षण हो ही रहा था कि इस बीच रामगोविद चौधरी ने पत्र लिख कर कहा कि वह याचिका वापस लेना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि याचिका प्रस्तुतिकरण के समय कई महत्वपूर्ण अभिलेख व साक्ष्य याचिका के साथ संलग्न नहीं किए जा सके थे। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि याचिका वापस लेने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि आवश्यक अभिलेख लगाए जा सकें।

समाचार पत्र और स्वतंत्र पत्रकार भाजपा को खटकते हैं

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि समाज को सशक्त, जागरूक और लोकतांत्रिक बनाने में पत्रकारिता की अहम भूमिका होती है। हर परिस्थिति में निर्भीकता तथा निष्पक्षता के साथ ईमानदारी से सत्य के पक्ष में आवाज उठाने का काम पत्रकार ही करते हैं। इसीलिए लोगों का भरोसा समाचार पत्रों पर भी रहता है। लेकिन भाजपा सच से डरती है क्योंकि वह हर मोर्चे पर झूठ की राजनीति करने में विश्वास रखती है। समाचार पत्र और स्वतंत्र पत्रकार इसीलिए उसकी आंखों में खटकते हैं।
भाजपा के सत्ताधीशों की शह पर इन दिनों पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज कराने के कई मामले हुए है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की आवाज को दबाने-कुचलने के इन प्रयासों की निंदा करनी चाहिए। देश के एक वरिष्ठ पत्रकार श्री विनोद दुआ के खिलाफ एक भाजपाई प्रवक्ता ने दिल्ली में गत 4 जून 2020 को एफआईआर दर्ज करा कर अलोकतांत्रिक एवं असहिष्णु राजनीति का परिचय ही दिया है।
भाजपाई प्रवक्ता ने श्री विनोद दुआ पर फेक न्यूज मार्केटिंग में लिप्त होने, तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश करने, असंसदीय भाषा के प्रयोग और स्वयं प्रधानमंत्री जी के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणियां करने की शिकायत की है। एफआईआर में कहा गया है कि श्री विनोद दुआ अपना एक ‘विनोद दुआ शो‘ यूट्यूब चैनल चलाते हैं इसमें कई विषय शत प्रतिशत झूठे होते है। दिल्ली में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन को हिंसक और साम्प्रदायिक रंग दिया गया। प्रधानमंत्री जी के विरूद्ध बहुत आपत्तिजनक बातें की गईं।
श्री दुआ के खिलाफ भाजपा के प्रवक्ता श्री नवीन कुमार ने जो एफआईआर दर्ज कराई है उसमें आईपीसी की धाराएं- 290/505/505(2) लगाई गई हैं। पत्रकार अपने विचार रखने में स्वतंत्र होते हैं। भाजपा की मंशा है कि सभी लोग केवल उसका प्रशस्तिगान करें, सरकार की कमियों की बात करने वालों के प्रति वह शत्रुभाव रखती है।
बीते 24 महीनों में सोशल मीडिया पर लिखी कथित आपत्तिजनक सामग्री के बहाने उत्तर प्रदेश सरकार 16 लोगों को जेल भेज चुकी है। प्रदेश के मिर्जापुर के एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील में बच्चों को रोटी नमक देने की खबर छापने पर श्री पवन जायसवाल, सीतापुर के रवीन्द्र सक्सेना को क्वाॅरंटाइन सेन्टर की बदइंतजामी दिखाने पर तथा सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री जी की छवि धूमिल करने के आरोप में प्रशांत कनौजिया पर केस दर्ज हुए है। ‘द वायर‘ के संस्थापक सम्पादक श्री वरदराजन पर आरोप लगा कि उन्होंने तब्लीगी जमात के बचाव में मुख्यमंत्री जी को गलत ढंग से उद्घृत किया था।
अभी पिछले दिनों ही फतेहपुर में कोरोना को लेकर सरकारी अव्यवस्था दिखाने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर कई पत्रकारों के खिलाफ मुकदमें दर्ज करा दिए गए हैं। जिलाधिकारी के इस रवैये से पत्रकारों में खासा रोष है। जिले में लाॅकडाउन के दौरान गरीबों के लिए चलाई जाने वाली कम्युनिटी किचन बंद होने की खबर ट्विटर पर चलाने वाले पत्रकार अजय भदौरिया व अन्य के खिलाफ महामारी अधिनियम सहित भा.द.सं. 505, 385, 188, 270 व 269 धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। श्री विवेक मिश्र के खिलाफ धारा 120 बी में भी केस दर्ज हैं।
पत्रकार संघ और एसोसिएशन के बैनर तले पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ जनपद फतेहपुर के पत्रकारों ने जल सत्याग्रह किया। जिला मुख्यालय के पत्रकारों ने हुसेनगंज के भृगुधाम के बलखंडी गंगाघाट पर प्रेम शंकर अवस्थी, अजय भदौरिया, विवेक मिश्र के नेतृत्व में सुबह दस बजे से बाहर बजे तक पानी के अंदर रहकर विरोध प्रदर्शन किया। बिंदकी व जाफरगंज के पत्रकारों ने श्री अरूण द्विवेदी, श्री श्याम तिवारी की अगुवाई में बक्सर के गंगाघाट पर, चैडगरा के पत्रकारों ने गंगा नदी के गुनीर गंगाघाट पर, जहानाबाद में डाॅ0 जौहर रजा व संतोष तिवारी की अगुवाई में रिंद नदी में तथा अमौली के पत्रकारों ने श्री विमलेश त्रिवेदी के नेतृत्व में रूस्तमपुर घाट पर यमुना नदी में जल सत्याग्रह कर जिला प्रशासन द्वारा पत्रकारों के उत्पीड़न का विरोध किया।
इसी प्रकार बहुआ के पत्रकारों ने श्री शाहिद व प्रदीप सिंह की अगुवाई में कोर्राक कनक जमुना नदी में, गाजीपुर के पत्रकारों ने प्रथम चंद्र की अगुवाई में यमुना नदी के औरासी घाट पर, असोधर के पत्रकारों ने यमुना नदी में, गौरव सिंह व फूल चंद्र के नेतृत्व में महाकुंड घाट पर, खागा मुख्यालय व किशुनपुर के पत्रकारों ने यमुना नदी में, खखरेरू के पत्रकारों ने श्री अशोक सिंह के नेतृत्व में यमुना के कोटघाट पर, रानीपुर यमुना घाट पर ज्ञान सिंह व विवेक सिंह के नेतृत्व में तथा प्रेमनगर के पत्रकारों ने मंडवा गंगाघाट पर जल सत्याग्रह कर विरोध प्रदर्शन किया।
फतेहपुर जनपद में हथगाम और छिउलहा के पत्रकारों ने कोतला गंगा घाट पर, डेढ़ दर्जन स्थानों पर नदी में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया। इस सामूहिक प्रदर्शन की काफी चर्चा रही। बकेवर में पत्रकारों ने जिला प्रशासन को चेताया कि अगर पत्रकारों का उत्पीड़न बंद नहीं हुआ तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इस मौके पर सर्वश्री रवीन्द्र त्रिपाठी, ललित मिश्रा, शैलेंद्र विश्वकर्मा, संतोष शुक्ला, रोहित त्रिवेदी, महेन्द्र सिंह, राजीव निषाद, रंजन शुक्ला, अमरदीप त्रिपाठी, दीपू, गौरव मिश्र, ताहिर सिद्दीकी आदि पत्रकारों ने भी जिला प्रशासन के रवैये की निंदा की और कहा कि चैथे स्तम्भ पर और हमला बर्दाश्त नहीं होगा।

 

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