सर्जिकल स्ट्राइक से घबराया पाकिस्तान, PoK से हटने लगे टेररिस्ट कैंप

terroristnewनई दिल्ली। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में भारत की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक का असर अब साफ दिखने लगा है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स से पता चला है कि PoK के मुजफ्फराबाद के पास पाकिस्तानी सेना ने करीब दर्जन भर आतंकवादी कैंपों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करने में मदद की है ताकि आतंकवादियों और उनके सामान को कोई नुकसान न हो।

भारत की इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के मुजफ्फराबाद के पास लगभग एक दर्जन आतंकवादी कैंपों को मनशेरा, नौशेरा और झेलम में पाकिस्तानी सेना की मदद से शिफ्ट किया गया है। भारतीय सेना ने गुरुवार को PoK के मुरी और रावलकोट में मौजूद आतंकवादियों के 7 लॉन्चिंग पैड्स को तबाह कर दिया था। बताया जा रहा है कि PoK से आतंकवादी कैंपों को अपनी सीमा में शिफ्ट करने के पीछे पाकिस्तानी सेना की मंशा यह है कि आतंकवादियों और उनके सामान को कोई नुकसान न हो।

इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि इन कैंपों में 500 से ज्यादा आतंकवादी हैं जिनमें ज्यादातर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के हैं। इंटेलिजेंस रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि सबसे ज्यादा 300 आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा के हैं। रिपोर्ट को पूरी तरह विश्वसनीय बताते हुए अधिकारियों ने कहा है कि इसे पश्चिमी एजेंसियों की मदद से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि मुजफ्फराबाद में तीन ऐसे कैंप, पीर चनासी, अक्शा मस्कर और ताबुक में मौजूद थे।
जिन नई जगहों पर इन आतंकवादी कैंपों को शिफ्ट किया गया है, उनमें से मनशेरा, मुजफ्फराबाद से 50 किलोमीटर दूर खैबर पख्तूनख्वा सूबे में है जबकि नौशेरा और हझियामा (झेलम) 250 किलोमीटर दूर पंजाब सूबे में हैं। काउंटर इंटेलिजेंस जासूसों ने बताया कि इन कैंपों में देर रात 2.30 बजे से ही गतिविधियां शुरू हो जाती हैं, यहां नए लड़कों को कड़ी शारीरिक ट्रेनिंग दी जाती है। रात 10 बजे ‘इशा की नमाज’ के साथ इन कैंपों की गतिविधियां समाप्त होती हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, इन कैंपों को अलग-अलग काम दिए जाते हैं और ट्रेनिंग मैन्युअल को यहां तीन टुकड़ों में बांटा गया है। काउंटर इंटेलिजेंस जासूस ने बताया, ‘ पकड़े गए आतंकवादियों से की जाने वाली पूछताछ के आधार पर हमें पता चला है कि लॉन्च पैड पर ले जाए जाने से पहले एक आतंकवादी को तीन तरह की ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है – दौरा-ए-तलबा (बेसिक ट्रेनिंग), दौरा-ए-आम (शारीरिक ट्रेनिंग) और दौरा-ए-खास (हथियारों की ट्रेनिंग)।

 

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