सांसद आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां की विधानसभा सदस्यता खत्म, अधिसूचना जारी
लखनऊ। रामपुर के सांसद आजम खां के बेटे व स्वार सीट से समाजवादी पार्टी (SP) के विधायक मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खां की विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई है। गुरुवार को उनकी विधानसभा से सदस्यता खत्म करने की अधिसूचना जारी कर दी गई। प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अब्दुल्ला की सदस्यता हाई कोर्ट के 16 दिसंबर, 2019 के फैसले दिन से समाप्त हो गई है। इसके साथ ही रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया है।
हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उन्हें वहां से भी राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन रद करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय के निर्णय पर कोई स्थगनादेश न मिलने पर प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे ने गुरुवार को उनकी सदस्यता खत्म करने के आदेश जारी कर दिए।
सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत
अब्दुल्ला आजम खान ने विधायकी रद करने के हाई कोर्ट के फैसने पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 17, जनवरी, 2020 को सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने उन्हें राहत नहीं दी थी। शीर्ष अदालत ने निर्वाचन रद करने के हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत ने फिलहाल हाई कोर्ट के याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 25 मार्च को होनी है।
माता-पिता के साथ जेल में हैं अब्दुल्ला
सपा सांसद आजम खां, उनकी पत्नी विधायक डॉ. तजीन फात्म और बेटे अब्दुल्ला को दो जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के आरोप में बुधवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। बेटे अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने के मामले में तीन दिन पहले अदालत ने कुर्की वारंट जारी किए थे। बुधवार को आजम खां, उनकी पत्नी और बेटे ने अदालत में समर्पण कर दिया। अदालत ने तीनों को रामपुर जिला जेल भेज दिया था। वहां से गुरुवार सुबह आजम खां को परिवार समेत सीतापुर जेल भेज दिया गया है।
कुलदीप सिंह की भी सदस्यता हो चुकी है खत्म
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों उन्नाव दुष्कर्म कांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर की भी विधानसभा सदस्यता खत्म करने की अधिसूचना जारी की गई थी। कुलदीप की सदस्यता 20 दिसंबर, 2019 से खत्म की गई है। ऐसे में नियमानुसार अब दोनों ही सीटों के रिक्त होने की तारीख से छह माह में भारत निर्वाचन आयोग उपचुनाव कराएगा।
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