सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान ने विश्व बैंक के सामने फिर रोया दुखड़ा

वाशिंगटन। पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर विश्व बैंक में फिर अपना दुखड़ा रोया है। पाकिस्तान की ओर से की गई भारत की शिकायत पर विश्व बैंक ने कहा है कि इस मसले का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने पर चर्चा की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में 330 मेगावाट वाली किशनगंगा जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया था। इससे नाराज पाकिस्तान का दावा है कि भारत से बहकर आने वाली इस नदी पर परियोजना शुरू होने से उसके पानी की आपूर्ति बाधित होगी।

पाकिस्तान ने भारत पर लगाया था आरोप
पाकिस्तान के विदेश विभाग ने शुक्रवार को इस पर चिंता जताते हुए कहा था कि दोनों देशों के बीच विवाद के निपटारे के बिना इस परियोजना का उद्घाटन सिंधु जल संधि 1960 का उल्लंघन है। पाकिस्तान की शिकायत पर विश्व बैंक के प्रवक्ता ने कहा, सिंधु जल संधि महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय करार है।

यह भारत और पाकिस्तान को मानवीय जरूरतों व विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रभावी जल प्रबंधन की दिशा में उपयुक्त ढांचा मुहैया कराता है। बैठक के दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की ओर से उठाई गई चिंताओं और संधि के तहत मैत्रीपूर्ण समाधान निकालने के तरीकों पर चर्चा हुई।

आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल बंटवारे को लेकर बातचीत शुरु हो गई है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए स्थायी सिंधु आयोग की मार्ट महीने में नई दिल्ली में दो दिवसीय बैठक आयोजित की, जहां संधि के तहत विभिन्न मुद्दों का हल निकलने की उम्मीद की गई। स्थाई सिंधु आयोग की यह 114वीं बैठक थी।

क्या है सिंधु जल समझौता


उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान के मध्य 1960 की सिंधु जल संधि के तहत स्थायी सिंधु आयोग की स्थापना की गयी है। इस संधि के तहत आयोग को संधि के क्रियान्वयन सिंधु जल तंत्र के विकास के लिए दोनों पक्षों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने को सहयोगी व्यवस्था स्थापित और बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गयी है। आयोग में दोनों देशों का प्रतिनिधित्व उनके आयुक्त करते हैं।

सिंदु समझौते के दायरे में आती है ये नदियां
संधि के मुताबिक इस आयोग की साल में कम से कम एक बैठक भारत-पाकिस्तान में होनी चाहिए। आयोग की 113वीं बैठक 20 से 21 मार्च तक पाकिस्तान में हुई थी। इस साल नई दिल्ली में हुए 114वें बैठक में तकनीकी मुद्दों पर बातचीत की गई। सिंधु समझौते के दायरे में छह नदियों, व्यास, रावी, सतलज, सिंध, चेनाब और झेलम का पानी आता है। संधि के तहत पश्चिम की ओर बहने वाली तीन नदियों- सिंध, झेलम और चेनाब का पानी पाकिस्तान के लिए आरक्षित है जबकि रावी सतलज और व्यास का पानी भारत के हिस्से में आता है।

 

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