सुंजवान अटैक में शामिल आतंकियों को चीन ने सप्‍लाई किए थे हैंड ग्रेनेड

जम्‍मू। जम्‍मू का सुंजवान आर्मी कैंप रविवार की देर शाम तेज धमाके के साथ दहल उठा। कमांडो कार्रवाई का ये फाइनल असाल्‍ट था। इंडियन आर्मी के कमांडोज के इसी फाइनल असाल्‍ट के साथ सुंजवान अटैक में पिछले चालीस घंटे से चल रहा ऑपरेशन भी खत्‍म हो गया। हालांकि आर्मी कैंप के सेनेटाइजेशन का काम अभी जारी है। जो सोमवार तक पूरा हो पाएगा। आर्मी के कमांडोज ने इस हमले में शामिल तीनों आतंकियों को मार गिराया है। तीनों आतंकी पाकिस्‍तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के फिदायीन हमलावर थे। जिनकी पहचान भी कर ली गई है। सुंजवान अटैक को जिन तीन आतंकियों ने अंजाम दिया था उनके नाम करी मुश्‍ताक, मोहम्‍मद आदिल और राशिद है। सुंजवान अटैक में शामिल आतंकियों के पास से भारी मात्रा में गोला बारुद और हथियार बरामद किए गए हैं। आतंकियों के पास से जो हथियार मिले हैं वो पाकिस्‍तान और चीन निर्मित हैं।

सबसे खास बात ये है कि सुंजवान अटैक को अंजाम देने वाले आतंकियों के पास से जो हैंड ग्रेनेड मिले हैं। वो चीन के हैं। मतलब साफ है कि इस हमले के पीछे सीधे तौर पर पाकिस्‍तान आर्मी और चीन के शामिल होने के सबूत मिले हैं। दरअसल, सुंजवान अटैक के बाद मारे गए आतंकियों पास से कई जिंदा हैंड ग्रेनेड बरामद किए गए। आतंकियों के पास से 86P मॉडल के हैंड ग्रेनेड मिले हैं। जिसका पूरा नंबर 86P 01-03 832 है। 86P मॉडल का हैंड ग्रेनेड सिर्फ चीन में ही बनता है। जबकि पाकिस्‍तान आर्मी HG84 मॉडल का हैंडग्रेनेड इस्‍तेमाल करती है। चीन ने इस हैंड ग्रेनेड को इस तरह से बनाया है कि दूसरी कोई भी आर्मी या कंपनी इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकती है। ना तो इसे बदला जा सकता है। और ना ही इसे रिपेयर किया जा सकता है। इस हैंड ग्रेनेड का वजन सिर्फ पचास ग्राम होता है। इसकी मोटाई 30 MM होती है जबकि लंबाई 32 MM होती है।

यानी इसे बहुत ही आसानी से हाथ में पकड़ कर फेंका जा सकता है। इसकी मारक क्षमता भी दूसरे हैंड ग्रेनेड के मुकाबले ज्‍यादा होती है। सबसे बड़ी बात ये है कि इसके मिसफायर होने के चांसेंस बहुत कम होते हैं। सुंजवान अटैक में शामिल आतंकियों पास से मिले हथियारों में एके-47 और एके-56 रायफल भी मिली हैं। इसके अलावा पाक आर्मी में इस्‍तेमाल किए जाने वाले चाकू मिले हैं। मतलब साफ है कि इस आतंकी हमले के तार सीधे तौर पर पाकिस्‍तान आर्मी और चीन से जुड़े हैं। माना जा रहा है‍ कि आतंकियों को हथियारों की ये खेप पाक आर्मी की ओर से ही मुहैया कराई गई होगी। बहरहाल, इस वक्‍त सेना की खुफिया यूनिट्स के साथ-साथ देश की दूसरी खुफिया एजेंसियों ने भी सुंजवान हमले की पड़ताल शुरु कर दी है। NIA की टीम भी सुंजवान आर्मी कैंप पहुंच चुकी है। हमले और आतंकियों से जुड़े सभी सबूत जुटाए जा रहे हैं।

इस वक्‍त ये पता लगाया जा रहा है कि इन तीनों आतंकियों को लोकल स्‍तर पर किसने मदद पहुंचाई। लोकल स्‍तर पर गिरफ्तारी के बाद ही सुंजवान अटैक की परतें खुलनी शुरु होंगी। जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकियों ने ये हमला शनिवार की सुबह करीब चार बजे किया था। जैश-ए-मोहम्‍मद के फिदायीन हमलावर कंटीले तार काटकर आर्मी कैंप में दाखिल हुए थे। आतंकियों के इस हमले को संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी पर हमले से भी जोड़कर देखा जा रहा है। नौ फरवरी को ही अफजल गुरु को फांसी दी गई थी। जैश-ए-मोहम्‍मद ने फिदायीन हमलों के लिए एक अफजल गुरु स्‍क्‍वॉयड भी बना रखा है। हो सकता है कि ये तीनों आतंकी उसी ग्रुप के सदस्‍य हों। एक बात तो तय है कि सुंजवान अटैक की कीमत पाकिस्‍तान आर्मी और उसके आतंकी संगठनों को जल्‍द ही चुकानी होगी। इस वक्‍त पूरी की पूरी इंडियन आर्मी पाकिस्‍तान से खार खाए बैठी है।

 

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