101 बेशर्म पूर्व नौकरशाहों को कोरोना के खिलाफ जंग मे मुस्लिमों की प्रताडना नजर आ रही?

पद्मपति शर्मा

क्या टाइमिंग है, वाह ! कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के कोरोना वायरस के चलते लाकडाउन के दौरान देश मे मुसलमानों को सताने और उनके साथ भेदभाव का आरोप लगाने के तुरंत बाद ही उनके कथित टुकडाखोर 101 पूर्व नौकरशाह आगे आ गये। बेशर्मी की हद करते हुए इन सभी ने देश की छवि बिगाड़ने के मकसद से सभी मुख्यमंत्रियो और केन्द्र शासित प्रदेश के उपराज्यपालो को खुला पत्र लिख कर
मुस्लिमों को प्रताड़ना से बचाने की अपील की है। पत्र में कहा गया है कि कोरोनावायरस के मामले बढ़ने के बाद तब्लीगी जमात की सोशल डिस्टेंसिंग के कायदों को न मानने के लिए आलोचना की गई थी, जबकि यह इस तरह के राजनीतिक या धार्मिक जुटाव की अकेली घटना नहीं थी। मीडिया के एक वर्ग ने भी कोरोनावायरस को धार्मिक रंग देने में देरी नहीं लगाई। उन्होंने यह भी आरोप लगा दिया कि तब्लीगी जमात इरादतन देश के अलग-अलग हिस्सों में वायरस फैला रही है।

पूर्व नौकरशाहों ने पत्र में तब्लीगी जमात पर भी निशाना साधा। इसमें कहा गया कि जमात ने दिल्ली सरकार की एडवाइजरी को नजरअंदाज कर कार्यक्रम आयोजित कर के निंदनीय कार्य किया है। हालांकि, इस मामले में मीडिया कवरेज, जो कि इस घटना के लिए पूरे मुस्लिम समुदाय को ही जिम्मेदार ठहरा रही थी, वह बिल्कुल गैरजिम्मेदार और निंदनीय थी।
किस मीडिया ने देश के सभी मुसलमानों को दोषी ठहराया, इस मेडल अलंकरण वापसी गैंग ने इसका खुलासा नहीं किया। सरकारी आदेश की अवहेलना कर मस्जिद मे सामूहिक नमाज पढने की जिद को क्या पुलिस प्रशासन को मानकर महामारी को विस्तार दे देना चाहिए था ? या पुलिस और डाक्टर सहित स्वास्थ्यकर्मियो पर हमले के सामने दंडवत करना चाहिए था?

पत्र में आगे कहा गया कि मुस्लिम दुकानदारों पर जानबूझकर कोरोना फैलाने का आरोप लगाने के साथ कुछ फेक वीडियो क्लिप्स वायरल की गईं, जिसमें उन्हें फल-सब्जियों पर थूकते दिखाया गया। इसके जरिए मौजूदा महामारी से उपजे डर को मुस्लिम समुदाय को अलग-थलग करने के लिए केंद्रित किया गया। क्या नौकरशाहों ने इसके कोई सुबूत दिए हैं पत्र के साथ? क्या यह सच नहीं कि डाक्टरों तक पर थूकने की वारदातें हुई हैं और यह काम किसी गैरमुस्लिम ने कतई नहीं किया है।

इस पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं में पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर एसवाई कुरैशी, जूलियो रिबेरो, वजहत हबीबुल्ला, शिवशंकर मेनन, के सुजाता राव और अन्य लोग शामिल हैं। पत्र में मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों से अपील की गई है कि वे सामाजिक पदाधिकारियों को जागरुक रह कर किसी भी समुदाय के सामाजिक बहिष्कार को रोकने के लिए कहें। ताकि जरूरतमंदों को चिकित्सा से लेकर अस्पताल तक की अहम सेवाएं मुहैया हो पाएं।

पत्र में इन पूर्व अफसरों ने कहा, “इस गंभीर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संकट के समय में हम आपके नेतृत्व पर भरोसा करते हैं कि आप भारत के लोगों को साथ लाएंगे, न कि देश में दरारों को और गहरा होने देंगे।”
इन नौकरशाहों को क्या मुख्यमंत्री ये जवाब देंगे कि उनके राज्य मे हमले और उपद्रव गैर मुसलिम इलाकों में हुए ? सच तो यह है कि दुनिया मे भारत की छवि कैसे बिगडे, यह पत्र उसी कडी का हिस्सा है। कुछ दिन पहले इसी तरह तथाकथित लेखिका अरुन्धती राय भी भौकी थी। वायरस के खिलाफ चल रही जंग को कमजोर करने की एक नापाक कोशिश के तौर पर यदि इस पत्र को लिया जाय तो गलत नहीं होगा।

(वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
 

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