12 को ISRO का ऐतिहासिक शतक लगेगा, ट्रम्प ने दी बधाई, चीन-पाकिस्तान चुप
नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान जैसे मुल्कों को इससे बेहतर जवाब क्यो होगा। टेक्नोलॉजी के फील्ड में भारत शतक लगाने के लिए तैयार है। 12 जनवकी को ISRO का ऐतिहासिक शतक लगेगा और पूरा देश उस ऐतिहासिक पल का गवाह होगा। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन खुद के द्वारा तैयार किया गया अपना 100वां सैटेलाइट लॉन्च करेगा। खास बाते ये है कि इस सिंगल मिशन के जरिए भारत द्वारा 30 सैटेलाइट भेजे जाएंगे। ये दूसरा मौका होगा जब इसरो इनते सारे सेटैलाइट एक साथ अंतरिक्ष में भेज रहा हो। बीते साल साल फरवरी में इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट ऑर्बिट में भेजे थे और वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया था। इनमें से ज्यादातर सैटेलाइट विदेशी भी थे।
अब आपको इस कार्यक्रम के बारे में भी खास जानकारियां दे देते हैं। ये सैटेलाइट्स श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 9:28 बजे छोड़े जाएंगे। सभी को पीएसएलवी से छोड़ा जाएगा। इसरो का कहना है कि जैसे ही इस मिशन का आखिरी सैटेलाइट पीएसएलवी-सी20 से अलग होकर अपने ऑर्बिट में जाएगा, तो ये इसरो का 100वां सैटेलाइट होगा। इसरो इस बात को लेकर काफी खुश है कि इसके साथ ही पहला शतक भी पूरा हो जाएगा। इसरो के साथ साथ देशवासियों को इस पल का बेसब्री से इंतजार है। बताया जा रहा है कि इस मिशन के साथ कुल 31 सैटेलाइट भेजे जा रहे हैं। बाकी 28 सैटेलाइट्स विदेशी हैं। ये भारत का तीसरा माइक्रो सैटेलाइट है।
बताया जा रहा है कि इस वजन करीब 100 किलोग्राम है। ये सबसे आखिरी में अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचेगा। खास बात ये भी है कि इस मिशन में पीएसएलवी-सी 40 कुल मिलाकर 1323 किलोग्राम वजन के सैटेलाइट्स को अपने साथ ले जाएगा। इन तमाम सैटेलाइट्स में कार्टोसेट-2 का वजन करीब 710 किलोग्राम है। बाकी 30 सैटेलाइट्स का भार 613 किलोग्राम बताया जा रहा है। अब ये भी जान लीजिए कि बाकी सैटेलाइट्स किन किन देशों के हैं। इनमें 6 देश शामिल हैं। फिनलैंड, कनाडा, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, फ्रांस, यूके और यूएसए के ये सैटेलाइट्स हैं। इसरो का कहना है कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग भी इस साल में होगी।
साल के पहले क्वार्टर में इसकी लॉन्चिंग करने का प्लान है। चंद्रयान मिशन के साथ ऑर्बिटर और लैंडर भी भेजे जाने हैं। इन सभी की टेस्टिंग फाइनल स्टेज में है। हालांकि पिछली बार हुई एक घटना से इसरो सावधान भी है। दरअसल 31 अगस्त को इसरो का लॉन्चिंग मिशन फेल हो गया था। उस वक्त इसरो ने पीएसएलवी-सी 39 के जरिए बैकअप नेवीगेशन सैटेलाइट आईआरएनएसएस-1एच सैटेलाइट की लॉन्चिंग की थी। उस वक्त इस लॉन्चिंग में तकनीकि खामी आ गई थी और आखिर स्टेज में लॉन्चिंग फेल गई थी। खैर एक बार फिर से ISRO के वैज्ञानिक उत्साहित हैं और इसकी लॉन्चिंग का इंतजार कर रहे हैं।
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