14 साल का बालक जिसने अपने आविष्कार से पूरी दुनिया में क्रान्ति लायी

ईमेल आज इंटरनेट पर सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सुविधाओं में से एक है|लेकिन हम में से कितने लोगों को इस बात का ज्ञात है की इसका आविष्कार सब से पहले किसने किया? कब इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया? क्या थी वै परिस्थितियाँ जिसकी वजह से जरूरत आन पड़ी इसके आविष्कार की? भारत के साथ क्या सबंध है इसका?

दरअसल जिस बालक ने ईमेल का आविष्कार किया वो एक भारतीय है जो अपने माता-पिता के साथ 7 साल की उम्र में अमेरिका चला गया था| आज अगर हम लोकप्रिय सॉफ्टवेयर सिस्टम का इस्तेमाल कर पा रहे है तो केवल 14 वर्ष की आयु के इस बालक शिवा अय्यादुरई की वजह से| 1978 में जब शिवा ने इसका नवोन्मेष किया तब सॉफ्टवेर के लिए कोई पेटेंट या कॉपीराइट नही होता था|1980 में जब अमेरिकी सरकार द्वारा कॉपीराइट अधिनियम में संशोधन किया गया तो उसमे सॉफ्टवेर को जगह मिली|उसके बाद ही शिवा ने 1981 में इसके कॉपीराइट के लिए आवेदन किया जो 1982 में जाकर उनको मिला|

शिवा को ये बनाने की प्रेरणा कहां से मिली उसके लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा| शिवा अय्यादुरई के पास इस आविष्कार को करने के लिए कोई आर्थिक सहायता नही थी और उसकी खुद की आर्थिक हालत भी इतनी मज़बूत नही थी|पर ये केवल उनका दृढ़ संकल्प और उनके परिवार और शिक्षकों का साथ था जिसने सफलतापूर्वक परियोजना को पूरा करने में उन्हें मदद की|

उस दौरान शिवा न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस का एक कोर्स कर रहे थे|कोर्स पूरा होने के बाद वो अपने एक रिश्तेदार मार्टिन फयूर्मन के ज़रिये डॉक्टर लेस्ली पी मिचेलसन से मिले| डॉक्टर लेस्ली उस वक़्त न्यू जेर्सी की यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री में कंप्यूटर नेटवर्क की लबोर्ट्री के निदेशक थे| शिवा की प्रतिभा और समर्पण को देखते हुए उन्होंने उन्हें अनुसंधान विद्वान का पद दिया और उन्होंने शिवा को यूनिवर्सिटी के अंतर्गत जो पेपर आधारित मेल संचार था उसको इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में बदलने का कार्य सौंपा|

अपने शिक्षक स्टेला ओलेक्सिअक की मदद से उन्हें अपने उच्च विद्यालय से विद्यालय के वक़्त के दौरान ही यूनिवर्सिटी जाने की अनुमति भी मिल गयी थी|उन्होंने विश्वविद्यालय की वर्तमान इंटरऑफ़िस संचार प्रणाली का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया और फोरट्रान प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में उसी को दोहराया| फोरट्रान प्रोग्रामिंग भाषा में आवश्यक है कि सभी नाम बड़े अक्षरों में ही हों और उसमे केवल पांच ही अक्षर हो शिवा ने उसका नाम “EMAIL” रखा| इस प्रकार एक यूनिवर्सिटी के सरल इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली ने जटिल नेटवर्क को बदल दिया और कागजात के द्वारा संचार के पुनर्मूल्यांकन को भी समाप्त कर दिया| इसने सचिवों का समय भी बचाया,अब उनको टाइपराइटर पर मेल नही टाइप करना पड़ता था और उन्होंने कीबोर्ड का उपयोग शुरू करदिया|

1981 में, शिवा को उनके किये आविष्कार के लिए स्टिंगहाउस साइंस टैलेंट सर्च ऑनर्स अवार्ड प्राप्त हुआ जिसे बेबी नोबल माना जाता है|इस प्रकार, यह एक 14 वर्षीय भारतीय अमेरिकी के आविष्कार की बदोलात है की आज हम चैटिंग और मेसेजिंग जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे है|आज ईमेल बहुत आम सी बात है सब के लिए पर इस आविष्कार के पीछे जिसका दिमाग है हमें उस इंसान को कभी नही भूलना चाहिए और हम शिवा अय्यादुरई का धन्यवाद करते है की उनके इस आविष्कार ने समय की बचत के साथ साथ हमारे जीवन और संचार को बेहद आसान बना दिया|

 

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