16 हजार से ज्यादा बिल पर आयकर की नजर

लखनऊ। हर महीने 16 हजार रुपये से ज्यादा की बिजली खर्च करने वाले घरेलू उपभोक्ता और 40 हजार रुपये से ज्यादा की बिजली खर्च करने वाले कमर्शल उपभोक्ता अब आयकर विभाग (IT) के रडार पर हैं। आईटी को लेसा से ऐसे उपभोक्ताओं की लिस्ट मिल गई है। अब आयकर विभाग इन लोगों के बिल के आधार पर इनकी अनुमानित आय और इनके द्वारा दाखिल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न के आंकड़ों की तुलना करेगा। सूत्रों का दावा है कि यह कवायद पूरे यूपी में चल रही है। टैक्स चोरी को पकड़ने की इस कवायद के अगले चरण में बड़े डिफॉल्टरों पर छापेमारी भी हो सकती है।
बताया गया है शहर में ऐसे कई उपभोक्ता हैं, जिनका हर महीने बिजली का बिल तो हजारों में आता है, लेकिन उस अनुपात में वे इनकम टैक्स जमा नहीं करते है। सूत्रों के अनुसार, इसमें से ज्यादातर लोग घरेलू कनेक्शन पर बिना रजिस्ट्रेशन के गर्ल्स और बॉयज हास्टल चलाते हैं। कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने कई किरायेदार रखे हैं, लेकिन ये लोग इन साधनों से हो रही आय कहीं दर्शाते नहीं हैं।
विभागीय जानकारों का एक कहना है कि बिजली की खपत का मोटा गणित यह है कि अगर एक एसी रोज आठ से दस घंटे चले तब वह करीब दो हजार रुपये की बिजली खर्च करता है। ऐसे दस हजार रुपये तक बिल तब जाएगा जब कम से कम पांच एसी रोज आठ घंटे ऑन रहें। यह स्थिति अमूमन उन्हीं घरों में होती है जहां किरायेदार या ऐसी ही दूसरी कमर्शल एक्टिविटी होती है।
पावर कॉरपोरेशन दस किलोवाट वाले उपभोक्ताओं की बिलिंग आम उपभोक्ताओं से अलग करता है। इनकी बिलिंग एमआरआई के जरिए होती है। विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि लखनऊ में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या महज 15 हजार है। नोएडा में लगभग दो लाख ऐसे उपभोक्ता हैं। इनमें से भी कई लोगों का बिल इतना नहीं आता है। ऐसे में माना जा रहा है कि सूची में शामिल ज्यादातर उपभोक्ता दस किलोवाट से भी कम लोड वाले हैं।
लेसा के चीफ इंजिनियर एसके वर्मा का कहना है कि इनकम टैक्स ने लिस्ट मांगी गई थी। करीब 25 हजार लोगों के नाम, पते और अकाउंट नंबर दे दिए गए हैं। बचे लोगों की लिस्ट जल्द ही दे दी जाएगी।
इनकम टैक्स संबंधी मामलों के जानकार अब्दुल हमीद अंसारी के अनुसार, करदाताओं के पास कागजात दुरुस्त करने का मौका 15 सितंबर को होगा। इस दिन आप इनकम टैक्स की अग्रिम राशि जमा कर सकते हैं। इसमें 30 फीसदी राशि जमा होती है। इसके बाद 15 दिसंबर को तीस और 15 मार्च को चालीस फीसदी राशि जमा होती है।
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