18 वर्ष में 14 तबादले, कर्मचारी ने मानसिक अत्याचार बताते हुए मांगी इच्छामृत्यु

कोलकाता । अनैतिक कार्य का विरोध करने पर 18 वर्ष की नौकरी में 14 बार तबादला किया गया। इससे तंग आकर एक सरकारी कर्मचारी ने इच्छा मृत्यु के लिए आवेदन किया है। उक्त कर्मचारी का नाम अरुणाभ बंद्योपाध्याय है जो बीमार बुजुर्ग मां, विधवा बहन और विकलांग भांजे के साथ रहते हैं। वह पश्चिम बंगाल सरकार के राहत विभाग के कर्मचारी हैं। बार-बार तबादले को मानसिक अत्याचार बताते हुए अरुणाभ ने नौकरी से छुटकारा और इच्छा मृत्यु के लिए आवेदन किया है। उन्होंने यह लिखित आवेदन हुगली के डीएम को सौंपा है।

अरुणाभ हुगली जिले के रहने वाले हैं। वह इस समय गोघाट-2 बीडीओ कार्यालय में राहत विभाग में कार्यरत हैं। 42 वर्षीय अरुणाभ का कहना है कि 18 साल की नौकरी में 14 बार तबादला किया गया। आरोप है कि जिला पदाधिकारी के दफ्तर के आर्किटेक्चर विभाग के एक अधिकारी के अनैतिक कार्यों का अरुणाभ ने विरोध किया था, इसी को लेकर उनका बार-बार तबादला किया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि गोघाट-2 ब्लॉक में तबादला करने से उनके लिए परिवार को देखना संभव नहीं हो रहा है। कुछ दिन पहले तक वह अरामबाग में कार्यरत थे, लेकिन उन्हें उस अधिकारी के इशारे पर फिर से गोघाट-2 बीडीओ कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया।

उनका कहना है कि वहां से घर आने-जाने में आठ घंटे लगते हैं। बीमार मां के इलाज की जिम्मेदारी उन पर है। नियमों के तहत घर के निकट तबादले के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन उसके लिए उनसे 10 हजार रुपये रिश्वत मांगी गई। उन्होंने रिश्वत देने से इन्कार कर दिया। तब से उन्हें नौकरी करने में काफी मानसिक यातनाएं झेलनी पड़ रही हैं। इससे तंग आकर उन्होंने डीएम को पत्र लिखकर स्वैच्छिक रूप से नौकरी छोड़ने या फिर इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी है। पत्र की कॉपी मुख्यमंत्री कार्यालय को भी भेजी गई है।

छग में पूर्व सरपंच ने परिवार के साथ मांगी इच्छामृत्यु
छत्तीसगढ़ में एक पूर्व सरपंच ने परिवार के साथ इच्छा मृत्यु की मांग कर शासन को सकते में ला दिया है। पूर्व सरंपच ने सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। सरपंच का आरोप है कि गांव में पत्थर खनन रोकने के कारण उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। कुरूद ब्लॉक के कोकड़ी ग्राम पंचायत चुनाव में गोपेश्वर साहू सरपंच निर्वाचित हुए थे। चुनाव बाद गांव में पत्थर खदान संचालित करने के लिए कुछेक भाजपा नेताओं ने उन पर दबाव बनाया और अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग करने लगे।

गोपेश्वर का आरोप है कि उन्होंने खनन स्थल स्कूल परिसर से सौ मीटर के दायरे में होने से खनन की अनुमति नहीं दी। इसके बाद उन्हें झूठे आरोप में फंसा कर न केवल पद से हटाया गया बल्कि गांव के दबंगों की मिली भगत से उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कराया गया है। कोई उनके परिवार से बातचीत कर ले तो उस पर दबंग पांच सौ रुपये का जुर्माना लगा देते हैं। ऐसे में उसने परिवार के साथ इच्छामृत्यु की मांग की है। जिला प्रशासन ने पूर्व सरपंच के आरोपों की जांच कराने की बात कही है।

 

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