जनरल अरुण कुमार वैद्य की हत्या पर बनी फिल्म पर लगी रोक

janralबेबाक राशिद सिद्दीकी

मुंबई। जनरल अरुण कुमार वैद्य के हत्यारों सुखदेव सिंह सूखा और हरजिंदर सिंह जिंदा को महिमामंडित करने वाली फिल्म मास्टर माईंड जिंदा-सूखा के प्रदर्शन के लिए जारी सेंसर सर्टिफिकेट को सेंसर बोर्ड ने रद्द कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की शिकायत के बाद सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी सहित बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों ने फिर से फिल्म को देखा। उसके बाद बीते जुलाई में जारी सेंसर सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार सेंसर बोर्ड अध्यक्ष निहलानी ने इस तरह की फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट जारी करने पर नाराजगी जताई है।

सेवानिवृत्त होने के बाद हुई थी वैद्य की हत्या

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर जनरल अरुण कुमार वैद्य ने स्वर्ण मंदिर को आतंकियों से खाली कराने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था। 31 जुलाई 1986 को सेना से रिटायर होने के बाद जनरल वैद्य पुणे में रहने लगे थे। यहीं पर उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। वैद्य की हत्या के बाद खालिस्तान कमांडो फोर्स ने प्रेस को बयान जारी कर उनकी हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए जनरल वैद्य की हत्या की गई। वैद्य की हत्या के मामले सूखदेव सिंह सूखा और हरजिंदर सिंह जिंदा को 9 अक्टूबर 1992 को फांसी दे दी गई थी।

क्या है मामला

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के कमांडिग अधिकारी रहे वैद्य की 10 अगस्त 1986 को पुणे में हत्या कर दी गई थी। मामले में जिंदा व सूखा को फांसी की सजा हुई थी। इन दोनों को केंद्र बिंदु में रखकर बनाई गई पंजाबी फिल्म मास्टर माईंड जिंदा-सूखा को इसी साल सेंसर बोर्ड की रिवाइजिंग कमेटी ने यूए सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। फिल्म 7 अगस्त को रिलीज होने वाली थी। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय के खुफिया विभाग ने इस फिल्म को देश के खिलाफ बताते हुए गृह मत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की। गृह मंत्रालय ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय को कहा कि इस फिल्म को जारी सेंसर सर्टिफिकेट पर फिर से विचार किया जाए। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमेट्रोग्राफी एक्ट की धारा 32 के तहत सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया कि फिल्म को फिर से देखा जाए।

बीते मंगलवार को सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी व तत्कालीन मुख्यकार्यकारी अधिकारी मनीष देसाई सहित 10 सदस्यों वाली कमेटी ने इस फिल्म को फिर से देखा। सूत्रों के अनुसार इस फिल्म में भारतीय सेना की खराब छवि पेश की गई है। फिल्म के कई संवाद भड़काऊ पाए गए। फिल्म में जनरल वैद्य के हत्यारों जिंदा व सूखा को नायक के रुप में पेश किया गया है। साथ ही सेंसर बोर्ड की तरफ से फिल्म के शीर्षक पर भी आपत्ति जताई गई है। हालांकि इसके पहले जब इस फिल्म के यूए सर्टिफिकेट जारी कर इसके प्रदर्शन की अनुमति दी गई थी। उस वक्त इस सारी बातों को नजरअंदाज किया गया था। सूत्रों के अनुसार सेंसर बोर्ड अध्यक्ष निहलानी ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि इस तरह की फिल्म को कैसे सेंसर सर्टिफिकेट जारी किया गया। सूत्रों के अनुसार इस मामले में फिल्म को पहले सर्टिफिकेट जारी करने की सिफारिश करने वाले अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

 

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