2017 विधान सभा चुनाव : उत्तर प्रदेश में फिर बन सकती है समाजवादियों की सरकार

अखिलेश की छवि से प्रभावित जनता

मुख्यमंत्री की युवा सोच से प्रभावित होकर विदेशी निवेशकों का बढ़ रहा रुझान

युवाओं को लैपटॉप तो प्रदेशवासियों को मेट्रो ट्रेन का तोहफा दिया अखिलेश यादव

तमाम विरोधी सोच का सामना करने के बाद भी प्रदेश को तेजी से ले जा रहे विकास की ओर

Page 1_1_1श्यामल कुमार त्रिपाठी
लखनऊ। 2012 के विधान सभा चुनाव में सबकी सोच के विपरीत जब समाजवादी पार्टी ने प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की थी तभी प्रदेश की जनता को यह लगने लगा था कि अब प्रदेश में बनने वाली सरकार बिना किसी दबाव के विकास के लिए कार्य करेगी। पार्टी की जीत के बाद सबके दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि इस बार प्रदेश की बागडोर समाजवादी पार्टी में किसके हाथ जाएगी। क्योंकि नेताजी तो खुद को यूपीए शासित केंद्र की सरकार में अपने आपको फिट करना चाहते थे। उस वक्त जनता में बस एक ही मंथन चल रहा था कि आखिर बागडोर किसे। सबकी चाहत भी थी कि प्रदेश को एक युवा सोच की जरूरत है। क्योंकि चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने जिस लगन से लोगों के साथ संबंध साधे वह हर किसी को प्रभावित कर रहा था। सबकी चाहत भी थी कि इस बार अखिलेश यादव को ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। मुलायम सिंह यादव ने भी जनता के मिजाज को समझते हुए प्रदेश की बागडोर युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों में सौंप दी।
सत्ता संभालने के बाद तमाम विसंगतियों को झेलते हुए अखिलेश यादव ने बहुत ही सूझबूझ के साथ अपने चार साल के कार्यकाल को पूरा किया। इस दौरान तमाम तरह की अड़चने भी आईं। ऐसा लगा भी कि यह अड़चने आने वाले समय में समाजवादी पार्टी के लिए नया खतरा बनेंगी, लेकिन इन अड़चनों को दूर करने के लिए युवा मुख्यमंत्री ने जिस शालीनता और स्थिरता का परिचय दिया वह काबिले तारीफ थी। सपा के इस कार्यकाल में भी प्रदेश कई बार उन्मादी लोगों के कुसोच की शिकार हुई। कई बार कुछ असामाजिक तत्व जातिगत माहौल बिगाड़ते हुए उसको दंगों का रूप देने का प्रयास किये लेकिन यहां भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी युवा सूझबूझ को अपनाते हुए इन दंगों को विकराल रूप लेने से रोक दिया। साथ ही प्रदेश को एक नई ऊंचाई की तरफ ले जाने के लिए सतत प्रयास में लगे रहे। प्रदेश की युवा मुख्यमंत्री के प्रयासों का ही नतीजा है कि आने वाले कुछ समय में सभी प्रदेश वासियों को मेट्रो की सवारी का आनंद भी मिलेगा। इतना ही नहीं इंटरमीडिएट में अच्छे अंकों से पास करने वाले छात्रों को इन्होंने लैपटाप देकर जो उत्साहवर्धन किया उससे आने वाली पीढ़ी में भी कुछ अच्छा करने की लालसा जगी। विकास के तमाम कार्यों को अखिलेश यादव ने अपनी लगन के साथ आगे बढ़ाया। कई बार प्रदेश के समाजवादी सरकार के कुछ नेता ही अपने बयानों के चलते प्रदेश सरकार की किरकिरी कराते रहे और मुसीबत का सबब बने इसके बाद भी इन सभी मुसीबतों से अखिलेश यादव खुद को और अपनी सरकार को उबारते रहे। कई मामले ऐसे भी आए जो राजनैतिक सोच की देन रहे। जैसे टीईटी पास शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक का लगना और सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय से अनुमति के बाद भी बहुत धीमी गति से अध्यापकों की नियुक्ति प्रदेश सरकार की सबसे बड़ी कमी रही। अगर इस कमी को दरकिनार कर दें तो बाकी हर मुद्दे पर अखिलेश यादव ने प्रदेश को आगे बढ़ाने का कार्य किया। हमारे युवा मुख्यमंत्री का सबसे अच्छा और अनुकरणीय व्यवहार तो यह है कि मुख्यमंत्री होते हुए भी अहम को अपने तक नहीं आने दिया। उदाहरण के तौर पर कई बार समाजवादी पार्टी के मुखिया और युवा मुख्यमंत्री के पिता मुलायम सिंह यादव ने स्वयं मुख्यमंत्री को खुले मंच से डांटा लेकिन इस युवा मुख्यमंत्री ने पिता की उस डांट को भी सहर्ष स्वीकार करते हुए सबके सामने यह तक कहा कि वह सिर्फ मेरे पिता ही नहीं राजनीतिक क्षेत्र में गुरू भी हैं और प्रदेश की बागडोर को कई बार उन्होंने संभाला भी है। प्रदेश के विकास के प्रति उनकी चिंता ही उन्हें मुझे डांटने के लिए प्रेरित करती है और उनका इस तरह से डांटना मुझे विकास के कार्यों को समझने में काफी मददगार भी होता है। सोशल साइटों की मानें तो प्रदेश की जनता युवा मुख्यमंत्री के कार्यों को और कार्य करने के तरीकों को बेहद पसंद कर रहे हैं। इतना ही नहीं सोशल साइट्ïस पर तो ऐसे भी बयान आ रहे हैं कि दशकों बाद प्रदेश विकास की राह पर है और युवा सोच प्रदेश को आगे ले जाने में सामथ्र्यवान भी है। व्यक्तिगत तौर पर इस समय प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव को जनता बहुत पसंद कर रही है। इसके पहले बहुजन समाजवादी पार्टी की भी प्रचंड बहुमत की सरकार बनी थी लेकिन मायावती ने जिस तरह से शासन किया उसे तानाशाह राजा का शासन माना जा रहा था। पूरी पार्टी में कहीं भी लोकतंत्र नहीं बल्कि सिर्फ मायातंत्र था।
अगर 2017 के चुनाव तक वर्तमान मुख्यमंत्री की छवि ऐसे ही निखरती रही तो इतना तय है कि पुन: 2017 विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की सरकार निश्चित है। ऐसा हम नहीं प्रदेश की जनता सोशल साइटों के माध्यम से बता रही है।

ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं अखिलेश
सोशल साइट्ïस पर तो ऐसे भी बयान आ रहे हैं कि दशकों बाद प्रदेश विकास की राह पर है और युवा सोच प्रदेश को आगे ले जाने में सामथ्र्यवान भी है। व्यक्तिगत तौर पर इस समय प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव को जनता बहुत पसंद कर रही है। अखिलेश की युवा सोच से प्रभावित होकर विदेशी निवेशकों का रूझान भी उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए बढ़ा है। इसे एक बड़ी उपलब्धिता के रूप में देखा जाना चाहिए। इसके पहले बहुजन समाजवादी पार्टी की भी प्रचंड बहुमत की सरकार बनी थी लेकिन मायावती ने जिस तरह से शासन किया उसे तानाशाह राजा का शासन माना जा रहा था। पूरी पार्टी में कहीं भी लोकतंत्र नहीं बल्कि सिर्फ मायातंत्र था।

 

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