#25सितम्बर_भारतबंद : समाजवादी पार्टी के नेता पूरे यूपी में कृषि बिल के विरोध में आज सौपेंगे ज्ञापन

समाजवादी पार्टी के नेता कृषि बिल (Agriculture Bill)  विरोध में आज यानि 25 सितम्बर शुक्रवार को जिला अधिकारी को ज्ञापन सौपेंगे। समाजवादी पार्टी के नेता हर जिले में जिला अधिकारियों को ज्ञापन (memorandum) सौंपा जाएगा। जिला यूनिट सभी जिलों में जिलाधिकारी को सौपेंगे ज्ञापन। समाजवादी पार्टी के 11 लोगों का प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी को आज ज्ञापन सौंपने जाएगा। 

कारपोरेट घरानों को सौंपने में उसे जरा भी हिचक नहीं

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी लगातार कृषि बिल के विरोध में जगह जगह प्रदर्शन कर रही है। इससे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा  था कि भाजपा की छल प्रपंच और झूठ की रीतिनीति ने राजनीतिक शुचिता और लोकतंत्र पर गहरा आघात किया है। किसानों के हितों पर चोट करने और उनकी किस्मत कारपोरेट घरानों को सौंपने में उसे जरा भी हिचक नहीं होती है।

बुनियादी मुद्दों पर भ्रमित करने का काम करती है

केन्द्र में संसद हो या प्रदेश में विधान परिषद दोनों जगह विपक्ष पर अपने बहुमत का रोडरोलर चलाकर वह लोकलाज से भी हाथ धो बैठी है। भाजपा तर्क से भागती है और विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देने के बजाय बुनियादी मुद्दों पर भ्रमित करने का काम करती है।

उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में विपक्ष का बहुमत है किन्तु अभी पिछले दिनों इसकी बैठकें समाप्त होने से पूर्व कई बिल बिना बहस के विपक्ष की तमाम आपत्तियों को अनसुना करते हुए, आश्चर्यजनक रूप से पास करा लिए गए। विधान परिषद के सभापति ने विपक्ष को संरक्षण नहीं दिया, सत्तापक्ष ही हाबी रहा।

विपक्ष की बातों को अनसुना कर पास घोषित करा लिया

भाजपा का चेहरा और चरित्र एक ही है, इसका दूसरा परिचय केन्द्र में राज्यसभा की कार्यवाही में देखने को मिला। इसमें कृषि विधेयकों को भी विपक्ष की बातों को अनसुना कर पास घोषित करा लिया गया। वहां भी जोर जबर्दस्ती साफ दिखाई दी।

इन विधेयकों पर विपक्ष ने जो आपत्तियां की उनकी सुनवाई नहीं हुईं। जब संसद के अंदर और बाहर इस पर कड़ी प्रतिक्रिया होते दिखाई दी तो बहकाने-भटकाने की अपनी शैली में भाजपा सरकार ने रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तत्काल घोषित कर दिए जबकि हमेशा अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में ऐसे निर्णय सामने आते थे। एक माह पहले रबी की फसल के समर्थन मूल्य घोषित करके किसानों को ठगने की यह कोशिश कामयाब नहीं होेने वाली है।

सच तो यह है कि लम्बे संघर्ष के बाद किसानों को आजादी मिली थी, लेकिन कांट्रैक्ट खेती से देर सबेर किसान फिर पुरानी हालत में लौट जाएगा, अपनी ही जमीन पर मजदूर हो जाएगा। कृषि उत्पादन मण्डी समाप्त होने से किसान अपनी फसल औनेपौने दाम पर बेचने को विवश होगा।

 

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