29 साल में 11 बाद टूट चुका है जनता परिवार, क्या शरद यादव 12वीं बार करेंगे खंडित?

नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) की अध्यक्षता में जेडीयू (JDU) ने शनिवार को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव पारित कर पार्टी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में औपचारिक तौर पर शामिल कर लिया. वहीं शरद यादव (Sharad Yadav) ने पार्टी के बागी नेताओं के साथ अलग बैठक साफ कर दिया है कि वे नीतीश कुमार के फैसले के साथ नहीं हैं. पटना में नीतीश और शरद यादव की अगुवाई में दो अलग बैठक होने के बाद लगभग साफ हो गया है कि जनता परिवार एक बार फिर से टूटेगी. नीतीश कुमार और शरद यादव के हाल के बयानों पर गौर करें तो दोनों नेताओं ने बिना एक-दूसरे का नाम लिए जुबानी हमले किए हैं. जनता परिवार के इतिहास पर नजर डालें तो इनके नेता हमेशा जनता के बीच से उठे हैं, लेकिन निजी स्वार्थों के चलते या अहम की लड़ाई के नाम पर आपस में टूटते रहे हैं. गौर करें तो जनता परिवार एक-दो बार नहीं पूरे 11 बार पहले ही टूट चुकी है. अगर शरद यादव नई पार्टी बनाते हैं तो यह करीब 29 साल में 12वीं टूट होगी.

कांग्रेस को हराने के लिए बनी बनी थी जनता दल: 11 अक्टूबर 1988 को उत्तर प्रदेश के राजपरिवार से आने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जनता दल का गठन किया था. यह तीन पार्टियों जनता पार्टी, जनमोर्चा और लोकदल को मिलाकर बनाया गया था. उस वक्त जनता परिवार के बड़े चेहरों में उत्तर प्रदेश के चंद्रशेखर और हरियाणा के देवीलाल रहे.

पीएम पद को लेकर शुरू हुआ झगड़ा: 1989 लोकसभा चुनाव में जनता परिवार को 142 सीटें आईं, जबकि कांग्रेस ने 195 सीटें हासिल की. जनता दल को दूसरे दलों का समर्थन मिलने के बाद सरकार बनाने का मौका मिला. जनता दल में प्रधानमंत्री पद के तीन दावेदार थे. वीपी सिंह ने चुनाव में पार्टी की अगुवाई की थी, वहीं देवीलाल और चंद्रशेखर जनता के बीच काफी लोकप्रिय नेता थे.

प्रधानमंत्री को चुनने के लिए जनता दल के सभी नेता संसद भवन के सेंट्रल हॉल में इक्ट्ठा हुए थे. पब्लिक परसेप्शन था कि वीपी सिंह पीएम चुने जाएंगे, लेकिन वहां कुछ और ही हुआ. बैठक में खुद वीपी सिंह ने पीएम पद के लिए देवीलाल का नाम प्रस्तावित कर दिया. चंद्रशेखर ने भी इसका समर्थन कर दिया. तभी देवीलाल खड़े हुए और वीपी सिंह को ही प्रधानमंत्री बनाए जाने की बात कह दी. चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह ने भी वीपी सिंह का समर्थन कर दिया. इस तरह चंद्रशेखर के न चाहते हुए भी वीपी सिंह जनता दल की ओर से प्रधानमंत्री बने.

यूं शुरू हुआ टूट का सिलसिला-:

  1. 1990 में 11 महीने बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार गिर गई और चंद्रशेखर जनता दल से अलग हो गए. चंद्रशेखर ने कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने. यह जनता परिवार की पहली टूट थी. सात महीने बाद चंद्रशेखर की भी सरकार गिर गई. जनता दल के पहली टूट के बाद समाजवादी का जन्म हुआ. यानी जनता दल से चंद्रशेखर, चौधरी देवीलाल और मुलायम सिंह यादव अलग हो गए.
  2. 1992: समाजवादी से अलग होकर मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी जनता पार्टी बनाई.
  3. 1992: जनता दल से अजित सिंह भी अलग हो गए और राष्ट्रीय लोकदल की स्थापना की.
  4. 1994: जनता दल एक बार फिर टूटा और नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडीज ने मिलकर राष्ट्रीय लोकदल बनाई. इसका नाम बदलकर समता पार्टी भी रखा गया.
  5. 1996: इस बार चंद्रशेखर की बनाई पार्टी समाजवादी जनता पार्टी से चौधरी देवीलाल अलग हो गए. उन्होंने हरियाणा लोकदल (राष्ट्रीय) की स्थापना की, जिसका बाद में नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल हो गया.
  6. 1997: चारा घोटाले में फंसने के बाद भी लालू प्रसाद यादव बिहार की सत्ता से अलग नहीं होना चाहते थे. उन्होंने रातों-रात जनता दल को तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल का गठन कर लिया और पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री के पद पर बिठा दिया.
  7. 1997: उड़ीसा (ओडिशा) में नवीन पटनायक ने जनता परिवार से नाता तोड़ लिया और बीजू जनता दल का गठन कर वहां की सत्ता पर काबिज हुए.
  8. 1999: इस बार दक्षिण भारत में जनता परिवार में टूट हुआ. कर्नाटक में कद्दावर नेता रामकृष्ण हेगड़े ने लोकशक्ति पार्टी की बनाई, जिसका बाद में जनता दल यूनाइटेड में विलय हुआ.
  9. 1999: शरद यादव जनता दल से अलग हो गए जनता दल यूनाइटेड (JDU) का गठन किया. इसमें जॉर्ज फर्नांडीज और नीतीश कुमार शामिल हुए और समता पार्टी का इसमें विलय हो गया. हाल के दिनों में शरद यादव इसी आधार पर जदयू को खुद की पार्टी बता रहे हैं.
  10. 1999: जनता परिवार की ओर से प्रधानमंत्री बन चुके एचडी देवेगौड़ा ने कर्नाटक में जनता परिवार को तोड़ दिया और जनता दल (सुक्युलर) का गठन किया. बाद में इनकी पार्टी कर्नाटक की सत्ता में भी काबिज हुई.
  11. 2000: बिहार में जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया.
 

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