30 दिसंबर तक नोट जमा नहीं करा पाने के उचित कारण हैं तो अब भी मिले मौका: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। अगर आप किसी उचित कारण से 30 जून तक 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बैंक में जमा नहीं करा पाए तो आपको एक और मौका मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और RBI से पूछा कि जो लोग नोटबंदी के दौरान दिए वक्त में पुराने नोट जमा नहीं करा पाए, उनके लिए कोई विंडो क्यों नहीं हो सकती? कोर्ट ने कहा कि जो लोग उचित कारणों के चलते रुपये बैंक में जमा नहीं करा पाए, उनकी संपत्ति सरकार इस तरह नहीं छीन सकती है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों के पास पुराने नोट जमा कराने का सही कारण है, उन्हें मौका दिया जाना चाहिए।

एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि अगर उचित कारण वाले लोगों को एक और मौका नहीं दिया जाता है तो इसे गंभीर मुद्दा माना जाएगा। देश की सर्वोच्च अदालत ने सवाल किया कि अगर रुपये जमा कराने की अवधि में अगर कोई जेल में रहा होगा, तो वो रुपये कैसे जमा कराता? कोर्ट ने कहा कि ऐसे हालात को समझते हुए सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों के लिए कोई ना कोई विंडो जरूर दे।

सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों पर केंद्र सरकार ने जवाब देने के लिए दो हफ्ते का वक्त मांगा। सुप्रीम कोर्ट एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उसने कहा था कि वो नोटबंदी के वक्त अस्पताल में थी और उसने बच्चे को जन्म दिया था, इस वजह से से तय समय-सीमा पर पुराने नोट जमा नहीं कर सकी। इसके अलावा भी कई अर्जी दाखिल की गई है और पुराने नोट जमा करने के लिए विंडो खोले जाने की गुहार लगाई है और कहा गया है कि वाजिब कारणों से वह नोट जमा नहीं करा पाए। इससे पहले 21 मार्च को कोर्ट कहा था कि जिन लोगों ने 30 दिसंबर तक पुराने नोट जमा नहीं कराये, उनको एक विंडो देना चाहिए।

“जो लोग उचित कारणों से पुराने नोट बैंक में जमा नहीं करा पाए, उनकी संपत्ति सरकार नहीं छीन सकती। ऐसे लोगों को एक मौका दिया जाना चाहिए।”-सुप्रीम कोर्ट

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली बेंच ने सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार से कहा है कि वह इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का निर्देश लेकर आएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि लोग बिना किसी दोष के अपने ही पैसे को गवां रहे हैं। फर्ज कीजिये कि उस दौरान कोई जेल में बंद रहा हो और वह कैसे तब नोटबंदी के बाद पुराने नोट जमा करेगा। हम यह जानना चाहते हैं कि ऐसे लोगों को आपने प्रतिबंधित क्यों कर दिया? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से वक्त मांगा और कहा कि वह इस बारे में वह निर्देश लेकर आएंगे कि क्या लोगों को केस टु केस बेसिस पर डिपॉजिट का मौका दिया जा सकता है।

पिछली सुनवाई के दौरान 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट नेकेंद्र सरकार से पूछा था कि जिन लोगों ने किसी वाजिब कारण से पैसे जमा नहीं कराए, क्या उन्हें पुराने नोट जमा कराने के लिए केंद्र सरकार कोई मौका देना चाहती है? कोर्ट ने पूछा है कि उन लोगों के लिए अलग कैटिगरी बनाने का फैसला क्यों नहीं किया, जिन्होंने 30 दिसंबर 2016 तक पुराने नोट बैंकों में जमा नहीं कर पाए? कोर्ट ने कहा कि एनआरआई एवं विदेशों में रहनेवाले भारतीयों के लिए आरबीआई ने 31 मार्च तक नोट जमा करने की छूट है।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि इस मामले में पीएम ने अपने संबोधन में कहा था कि पुराने नोट 30 दिसंबर के बाद भी 31 मार्च तक आरबीआई में जमा कराए जा सकते हैं। अदालत ने ये जानना चाहा था कि जब कानून में इस तरह के अधिकार दिए गए हैं कि इसके लिए अलग कैटिगरी हो सकती थी तो फिर सरकार ने ऐसी कैटिगरी क्यों नहीं बनाई कि जो लोग 30 दिसंबर तक नोट जमा नहीं करा पाए हैं, वो आरबीआई में नोट जमा करा सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार और आरबीआी को 6 मार्च को नोटिस जारी किया था जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा है कि सरकार ने 31 मार्च तक आरबीआई में पुराने नोट जमा कराने की बात कही थी, लेकिन नोट नहीं जमा किया जा रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया गया है कि सरकार ने वादा किया था कि लोगों का पुराना नोट आरबीआई में 31 मार्च तक जमा किए जाएंगे, लेकिन पुराने नोट जमा नहीं किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से 7 अप्रैल को हलफनामा दायर कर कहा गया था कि 500 और 1,000 के पुराने नोट जमा करने के लिए अब और वक्त नहीं दिया जा सकता।

 

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