50 करोड़ न देने पर ‘बहनजी’ ने मुझे पार्टी से निकाला, काशीराम का किया अपमान और मुसलानों को कहा माया ने गद्दार
लखनऊ। बसपा से निकाले जाने पर नसीमुद्दीन ने मायावती पर बड़ा खुलासा किया है। कहा है कि मायावती ने उन्हें अकेले में बुलाकर 50 करोड़ रुपये पार्टी चलाने के लिए मांगे। मैने कहा-मेरे पास नहीं है। इस पर उन्होंने प्रॉपर्टी बेचने का सुझाव दिया। मैने मना किया तो उन्होंने मुझे पार्टी से बाहर निकाल दिया।
नसीमुद्दीन बोले कि एक दिन मायावती ने मुझे बुलवाया और पूछा कि मुसलमानों ने बसपा को वोट क्यों दे दिया। मैने कहा कि गठबंधन के कारण मुसलमान कन्फ्यूज हो गया। जिसके कारण हमें वोट नहीं मिला। कहने लगीं- मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं। मायावती ने कहा कि यह तर्क ठीक नहीं है। बसपा े 1993 में सपा से गठबंधन किया तो भी मुसलान ने वोट नहीं किया। 1996 में गठबंधन किया तो भी मुसलमान नहीं मिला। आप गलत बोल रहे हो, गुमराह कर रहे हो। जैसी उनकी आदत है।
मुसलमान गद्दार है। उन्होंने दाढ़ीवाले मुसलमानों पर भी आरोप लगाया। आपके खिलाफ एक्शन लूंगी। मैं एक मौलाना को आपसे मिलाने नहीं लाया। मैने ज्यादा एतराज किया। बहनजी मर्जी की बात है। कोशिश करना हमारा काम है। फिर बोलीं-दलितों में पासी ने वोट नहीं दिया। धोबी ने, सोनकर, बाल्मीकि, कोरी ने वोट नहीं दिया। सबको बुरा भला कहना शुरू कर दिया। जब मैने इससे कोई बात नहीं बनेगी। मैं तुमसे बाद में बात करूंगी। 19 को मेरा नाम लिए बगैर पूरे प्रदेश की मीटिंग में माइक से कहा-एक वरिष्ठ नेता ने कहा-गठबंधन के कारण मैं सहमत नहीं। 19 अप्रैल को अपने भाषण में मान्यवर काशीराम को अपने से नीचा दिखाने का प्रयास किया। 2002 में जब विधानसभा का चुनाव यूपी और पंजाब में एक साथ हो रहा था, यूपी का सारा पैसा लेकर पंजाब चले गए. और कहा कि पंजाब में सरकार बनाकर लौटूंगा और कहा यूपी तुम्हारे हवाले। यूपी में हम सौ एमएलए जीत गए। पंजाब में काशीराम खाता नहीं खोल पाए। मैने काशीराम को पीछे धकेलने का काम किया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही खास बातें
- मैंने मायावती से कहा कि जिन कांशीराव ने पार्टी की नींव रखी, जिन्होंने आपको राजनीति सिखाई, उनके बारे में आपने गलत बोला. ये कार्यकर्ताओं को अच्छा नहीं लगा. इस पर मायावती ने कहा कि मैं तुम्हारे खिलाफ कार्यवाही करूंगी.
- चुनावों में हार के बारे में पूछा तो मैंने मायावती को घोषणापत्र जारी करने की सलाह दी थी
- हार का एक कारण मैंने उन्हें बताया था कि आपने मंच से किसी प्रत्याशी के लिए वोट नहीं मांगा
- मैंने यह भी कहा कि आप लोगों से मिलती नहीं है, आपको लोगों से मिलना चाहिए
- आपकी सुरक्षा का मैंने हमेशा ख्याल रखा, लेकिन जो अब हो रहा है वो कभी नहीं हुआ
- आप पैन, घड़ी सब रखवा लेती हैं, सतीश चंद्र मिश्रा की गाड़ी के लिए तुरंत गेट खुल जाता
- तलाशी हो रही है तो सबकी होनी चाहिए. मायावती नेताओं में भेदभाव करती हैं
- मुझसे 50 करोड़ की मांग की गई
- मायावती के अब राज्यसभा की सांसद बनने के भी लाले
- मायावती खुद चाहती हैं कि पार्टी खत्म हो जाए ताकि कोई और पार्टी में खड़ा न हो पाए
- मायावती नहीं चाहतीं कि कोई और दलित चेहरा सीएम बने
- मुझे गलती बताए बिना सजा सुना दी गई
- मायावती ने मेरा पक्ष सुने बिना ही सजा सुना दी
- मैंने कौन सी पार्टी विरोधी गतिविधियां की बताओ तो सही
जिन काशीराम ने बसपा की नींव रखी, जिन्होंने आपको बसपा में शामिल कर राजनीति सिखाई। आपने खुद को उनसे ऊपर रख दिया। इस पर मायावती ने कहा कि तुम्हारे खिलाफ एक्शन लूंगी। बहनजी आप घोषणापत्र जारी नहीं करतीं। पार्टी की यह दुर्गति इसलिए हुई है कि आप लोगों से मिलना पसंद नहीं करतीं। 2017 के चुनाव में सिर्फ 55 जनसभाएं कीं। बीच में कई दिन छुट्टी मनाईं। जबकि दूसरे नेताओं ने ढाई सौ नेताओं ने रैलीं की। इस पर मायावती ने कहा कि-मैं जान दे दूं। अगर एक-एक प्रत्याशी का नाम ले लेतीं तो भी काम चल जाता। पेन, घड़ी, मोबाइल रखवा लेती हैं। सबके साथ एक जैसा होना चाहिए। सतीश और दामाद की तलाशी लेना दूर रहा, गेट तक जाती है। तलाशी सबकी होना चाहिए। यह भी नागवार गुजरा। इन्हीं सब बातों से मायावती नाराज चल रहीं थीं।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :
कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:
हमें ईमेल करें : [email protected]