तृप्ति शुक्ला

पिछली एक पोस्ट में मैंने कहा था कि एक कम्युनिस्ट आदमी क्रिया पर नहीं, बल्कि प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया देता है। मगर कभी सोचा है कि वो ऐसा करता क्यों है? क्योंकि वो बहुत मजबूर होता है।
एक कम्युनिस्ट आदमी किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया इसलिए नहीं देता क्योंकि वो और उसकी विचारधारा प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से उस क्रिया में कैटलिस्ट का काम करती है।

अब एक ही आदमी क्रिया भी करवाए और फिर उस पर प्रतिक्रिया भी दे, तो ये उससे डबल मेहनत करवाने जैसा हो जाएगा। हाँ, मगर जब वो क्रिया से फारिग हो जाता है, तब प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया देने का वक्त आने तक ज़रूरी ऊर्जा जुटा लेता है। मसलन, जब सीएए के दौरान दंगाइयों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में आगजनी और तोड़फोड़ की तो इस हिंसक क्रिया में ये कम्युनिस्ट कैटलिस्ट का रोल अदा कर रहे थे। फिर जब उसके बाद इन दंगाइयों की कैंपस सहित जगह-जगह घुसकर तुड़ाई की गई तब तक ये प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया देने की ऊर्जा जुटा चुके थे। सो इन्होंने रोना-धोना शुरू कर दिया और (अपनी नज़र में) मानवता के कई दुश्मनों को फेसबुक पर अनफ्रेंड और ब्लॉक करना शुरू कर दिया।

जब तीन महीने देश के अलग-अलग हिस्सों में धरनाधारियों का उत्पात ब्रेक डांस कर रहा था, तब ये उन धरनों में जा-जाकर कैटलिस्ट की भांति आगे की क्रिया का कोर्स तय कर रहे थे। अब कौन सा नया जाया लीडर देश को काटने की बात करेगा, कौन डंब फिल्म सिलेब्रिटी लोगों का हुजूम बुलाएगा, वगैरह-वगैरह।
फिर जब धरनाधारियों के विरोध में सीएए समर्थक सड़क पर उतर आए तो ये रोने लगे। बाद में इन समर्थकों के विरोधस्वरूप देश ने जो नुकसान झेला, उसमें भी ये खुद को विक्टिम दिखाने लगे। लोगों की छत पर रखे पेट्रोल बम को ये दीवाली के मुर्गाछाप पटाखे साबित करने लगे।

जब कुछ कूढ़मगज जगह-जगह थूक रहे थे, हग रहे थे, पत्थर बरसा रहे थे, तो ये क्रिया फलीभूत होने में भी इन कैटलिस्टों का हाथ था। यहाँ पर भी इनका वही पुराना हाइली रिऐक्टिव सब्सटेंस, “तुम इस देश में खतरे में हो” काम कर रहा था।

अब जब इन जाहिल हरकतों का खामियाजा कुछ निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ रहा है। अब जब कुछ लोग धर्म पूछकर सब्जी खरीदने लगे हैं। अब जब देश में अविश्वास की दरारें दूसरी तरफ़ भी दिखने लगी हैं, तो ये फिर ज़रूरी ऊर्जा जुटाकर छाती पीटना शुरू कर चुके हैं।
तो दोस्तो, अपने कैटलिस्ट मित्रो की मजबूरी समझिए और उनसे प्रेम से पेश आइए।

(तृप्ति शुक्ला के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button