84 में सजा होती तो 2002 में नहीं होते दंगे : केजरीवाल

kejriतहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को आम आदमी पार्टी के विधायकों ने 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों का मामला उठाया। आप विधायकों ने सिखों के हत्याकांड की कड़ी निंदा करते हुए केंद्र सरकार द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) से एक तय समय सीमा में इस हत्याकांड की जांच कराने की मांग की। राजौरी गार्डन से आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह ने इस संबंध में एक प्रस्ताव भी सदन में पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दंगा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से हर तरह की सहायता मुहैया कराने और कोर्ट में केस लड़ने के लिए फ्री में वकील मुहैया कराने का वादा भी किया।

टाइटलर पर एक्शन की मांग

बाद में जरनैल सिंह ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें केंद्र सरकार से जगदीश टाइटलर के खिलाफ तुरंत एक्शन लेने का अनुरोध किया गया था। प्रस्ताव में कहा गया है कि सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार टाइटलर ने 1984 दंगों के एक गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की और हवाला के जरिये उसकी बहन को कनाडा में 5 करोड़ रुपये भेजे। यह सदन अनुरोध करता है कि इस मामले में टाइटलर के खिलाफ केस दर्ज किया जाए और इसकी जांच जल्द से जल्द पूरी की जाए। यह सदन दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री को भी निर्देश देता है कि केंद्र सरकार द्वारा गठित की गई एसआईटी के समक्ष यह मामला उठाएं और दंगा पीड़ितों को सरकार की तरफ से वकील मुहैया कराएं।

एसआईटी ने उठाया ठोस कदम

इससे पहले आप नेता कुमार विश्वास और राजौरी गार्डन के विधायक जरनैल सिंह, तिलक नगर के विधायक जरनैल सिंह, हरि नगर के विधायक जगदीप सिंह, कालकाजी के विधायक अवतार सिंह और द्वारका के विधायक आदर्श शास्त्री ने विधानसभा में परिसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह मुद्दा उठाया। राजौरी गार्डन के विधायक जरनैल सिंह ने इस केस के गवाह अभिषेक वर्मा द्वारा अदालत में दाखिल किए गए हलफनामे का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि दंगों के आरोपी कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने इस केस एक गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की। आरोप के अनुसार टाइटलर ने उसके परिवार को हवाला के जरिये पैसे भी पहुंचाए। इसके बावजूद अगर सीबीआई उन्हें क्लीन चिट देती है, तो दंगा पीड़ितों के साथ इससे बड़ा अन्याय और कोई नहीं हो सकता।

केजरी ने केंद्र पर लगाए आरोप

वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर 84 का दंगा कराने वालों को भी सख्त सजा दी जाती, तो 2002 में किसी की दंगा कराने की हिम्मत नहीं होती। उन्होंने कहा कि हमने पिछली बार सरकार में आते ही 84 के दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। इससे पहले कि एसआईटी अपना काम शुरू कर पाती, हमारी सरकार चली गई।

 

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