BIG BREAKING- अब अगस्त के बाद ही होंगे निकाय चुनाव!

लखनऊ। अंतत: उत्तरप्रदेश में निकाय चुनावों को योगी सरकार ने टाल दिया। अब अगस्त के बाद ही निकाय चुनाव की संभावना है। योगी आदित्यनाथ को स्थानीय निकायों के लिए अखिलेश सरकार की तैयारियों में खोट नजर आई है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने नए सिरे से वार्डों का परिसीमन, आरक्षण रोस्टर और मतदाता सूची पुनरीक्षण कराने का आदेश दिया है। सरकार ने यह साफ नहीं किया है कि इस काम में कितना वक्त लगेगा और निकाय चुनाव किस महीने में कराए जाएंगे। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक वार्डों के परिसीमन और मतदाता सूची दुरुस्त करने के काम में कम से कम दो महीना लगना तय है। ऐसे में अगले निकाय चुनाव जुलाई के बाद यानी अगस्त में संभव हैं। गौरतलब है कि मई माह में स्थानीय निकायों का कार्यकाल खत्म हो रहा है।
बीते दिवस कानपुर में कानून-व्यवस्था और विकास कार्यों की समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निकाय चुनाव फिलहाल नहीं कराने की बात कही थी। योगी के मुताबिक पिछली सरकार ने अपनी मनमर्जी से वार्डों का परिसीमन किया था, इसके अलावा स्थानीय सपा नेताओं के इशारे पर मतदाता सूची में नाम जोड़े-घटाए गए हैं। योगी ने जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद में स्पष्ट कहाकि इस मतदाता सूची से चुनाव कराना उचित नहीं होगा, ऐसे में नए सिरे से चुनाव तैयारियों को सरकार दुरुस्त करने के बाद ही निकाय चुनावों की घोषणा करेगी। योगी ने कहाकि नगरीय निकाय चुनाव को लेकर पूरे प्रदेश से लाखों शिकायतें मिली हैं कि अमुक-अमुक इलाकों में फलां-फलां पार्टियों के समर्थकों के नाम बड़े पैमाने पर हटाए गए हैं।
योगी ने दावा किया कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्यक्रम में शिकायतों की जांच कराने पर अधिकांश शिकायत सच मिलीं। जांच के दौरान मालूम हुआ कि सपा के स्थानीय नेताओं ने अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की मिली-भगत से मलिन बस्तियों, सेवा बस्तियों के साथ-साथ भाजपा समर्थक मोहल्लों से सै$कडों लोगों के नाम मतदाता सूची से गायब करा दिये। योगी ने कहाकि पिछली सरकार के दौरान ऐसी धांधली करने वालों की शिनाख्त कराने का आदेश दिया गया है। गड़बड़ी करने वाले अधिकारी और गड़बड़ी के लिए दबाव बनाने वाले स्थानीय नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
योगी सरकार ने निकाय चुनावों को टाल तो दिया, लेकिन चुनाव की संभावित तारीख बताने से परहेज है। चुनाव कब तक? इस सवाल पर योगी सरकार का कहना है कि कम से कम एक महीने बाद चुनाव की घोषणा होगी। इस आधार पर तारीखों का अनुमान लगा लीजिए। उधर कानपुर के उप जिलाधिकारी के अनुसार वार्डों के नए सिरे से परिसीमन और मतदाता सूची के संशोधन में दो महीने का वक्त लगेगा। उन्होंने कहाकि वार्डों का परिसीमन तो जनगणना के आकड़ों के आधार पर संधोधित करना आसान है, लेकिन मतदाता सूची के संशोधन में प्रत्येक बूथ से कितने आवेदन मिलेंगे, यह कोई नहीं बता सकता है। ऐसेे में मतदाता सूची को दुरुस्त करना बड़ा काम है।
सूत्रों के मुताबिक, निकाय चुनाव में मेयर-अध्यक्ष पद को छोडक़र पार्षद पदों के लिए सपा के समीकरणों के हिसाब से आरक्षण तय किया गया था। उदाहरण के तौर पर किसी वार्ड में भाजपा का पुरुष प्रत्याशी मजबूत स्थिति में था और वहां सपा के पास दमदार महिला प्रत्याशी है तो उक्त वार्ड को महिला आरक्षण के दायरे में रख दिया गया। इसी प्रकार संभावित उम्मीदवारों की जातिगत स्थिति को देखकर सपा के संभावित दमदार प्रत्याशी की जाति के हिसाब से पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षण के वार्डवार रोस्टर बनाया गया था।
निकाय चुनाव टलने से मेयर-पालिकाध्यक्ष समेत पार्षद प्रत्याशियों के चेहरे लटक गए हैं। मैदान मारने के लिए उतावले भाजपा नेताओं ने शहर में होर्डिंग युद्ध शुरू कर दिया था। अब निकाय चुनाव टलने के कारण उनकी मेहनत बर्बाद होगी, साथ ही लंबे समय तक प्रचार युद्ध लडऩा होगा। जाहिर है कि पैसा ज्यादा खर्च होने से भाजपा नेता परेशान है। दूसरी ओर, विधानसभा चुनाव में करारी मात खाने के बाद सपा, कांग्रेस और बसपा के नेताओं को निकाय चुनाव टलने से राहत मिली है।
 

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