BIG NEWS : न्यूज़ चैनलों का हीरो ‘सलीम’ सेना के शक के दायरे में………… आतंकी सबसे पहले ड्राइवर को मारते हैं लेकिन ……
लखनऊ। अमरनाथ यात्रा के दौरान हमले का शिकार हुई बस के ड्राइवर की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जांच एजेंसियों ने अब तक बस ड्राइवर सलीम को क्लीनचिट नहीं दी है। उससे पहले ही जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने उसे इनाम देने और मीडिया ने उसे हीरो बनाने की शुरुआत कर दी है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने एक उच्च सुरक्षा अधिकारी के हवाले से खबर दी है कि ड्राइवर की लापरवाही सीधे तौर पर सामने आई है। अखबार ने बताया है कि यह बस अमरनाथ श्राइन बोर्ड से रजिस्टर्ड नहीं थी और न ही इसमें वो जरूरी सुरक्षा जानकारियां दी गई थीं जो तीर्थयात्रियों को ले जाने के लिए देना जरूरी होता है। खतरे को देखते हुए सभी बस वाले इन नियमों का सख्ती से पालन कर रहे थे। ये संभवत: इकलौती बस थी जिसने किसी नियम-कायदे का पालन नहीं किया और यात्रियों की जान जोखिम में डाली।
साजिश में शामिल था ड्राइवर?
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने पुलिस अधिकारियों के हवाले से बताया है कि इस बस से आ रहे लोग दो दिन पहले ही अमरनाथ गुफा की अपनी यात्रा पूरी कर चुके थे। इसके बाद ये सभी श्रीनगर आ गए थे। अमरनाथ यात्रा का तय रास्ता पहलगाम से सीधे जम्मू जाता है। लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि जम्मू जाने के बजाय ये बस श्रीनगर क्यों आई। इस पूरे इलाके में आतंकी खतरे के बावजूद बस का रात के वक्त जम्मू के लिए निकलना भी शक पैदा कर रहा है। पर्यटक बसों को वैसे भी रात में ट्रैवेल करने की इजाज़त नहीं है। अनंतनाग जिले के खानाबल में रात करीब 8 बजकर 20 मिनट पर आतंकवादियों ने बस को निशाना बनाया। ये वो वक्त है जब अमरनाथ यात्रा मार्ग के लिए तय सुरक्षा खत्म हो चुकी होती है। यह बात यहां सबको पता होती है। सवाल ये कि इस ड्राइवर ने जम्मू जाने के लिए यही वक्त क्यों चुना? इस आधार पर कहा जा रहा है कि अगर ड्राइवर साजिश में शामिल न भी हो तो भी उसने लापरवाही बरतकर लोगों की जान को जोखिम में डाला।
सुरक्षा इंतजाम से बच रहा था
बस नंबर GJ09Z 9976 की मूवमेंट से ऐसा लग रहा है मानो ड्राइवर सुरक्षा इंतजामों से बचने की कोशिश कर रहा था। उसने ज्यादातर गलत समय पर ही बस को चलाया। अमरनाथ यात्रा की रजिस्टर्ड बसों को सेना अपना सुरक्षा कवर देती है। ये बसें बाकायदा काफिले में चलती हैं और उनके चारों तरफ सेना की गाड़ियां होती हैं। इन बसों की मूवमेंट की जानकारी पूरे रूट के सिक्योरिटी पोस्ट पर होती है। लेकिन इस बस को लेकर ऐसी कोई जानकारी नहीं थी। पहलगाम से चलने वाली बसें आम तौर पर दोपहर 1 बजे तक रवाना हो जाती हैं, ताकि उन्हें उजाला रहते ही सुरक्षित इलाके में पहुंचाया जा सके।
फायरिंग की दिशा पर भी संदेह
बस के यात्री बता रहे हैं कि आतंकवादी सामने से आए और बस पर गोलियां चलाने लगे। बस के आगे का शीशा फायरिंग से टूट गया, लेकिन ड्राइवर सलीम के शरीर पर खरोंच तक नहीं आई। आम तौर पर ऐसे हमलों में आतंकवादी सबसे पहले ड्राइवर को निशाना बनाते हैं। यहां तक कि बस की बॉडी पर भी कोई गोली नहीं लगी है, सारी गोलियां शीशे की खिड़कियों में छेद करके अंदर गईं हैं। कहा यह जा रहा है कि सलीम ने हमले के वक्त बस नहीं रोकी जिससे बस में बैठे 50 से ज्यादा लोगों की जान बच पाई। सोशल मीडिया पर कई लोग इस दावे को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
आतंकी सबसे पहले ड्राइवर को मारते हैं सलीम कैसे बच गया?
एक खरोंच भी न आयी!— राजपाल दूलर (@RPDULAR) July 11, 2017
बिल्कुल सही बात आखिर ये सलीम कैसे बिना पंजीकरण कराए बस में यात्रियों को दर्शन करने को ले जा रहा था ,इनाम क्यों दे इसकी जांच,इसे सजा हो ।।।
— विजय कुमार ?? (@vijaykumar2089) July 11, 2017
सब अंधे नहीं है मीडिया की तरह जो पलड़ा बराबर करने के लिए सलीम को हीरो बनाने पर तुल जायें /आखिर गया क्यों ७/३०के बाद & returns safe .. https://t.co/fdcjQanJ3W
— annapurnapande (@ManyaPande) July 11, 2017
@sardanarohit अनरजिस्टर्ड गाड़ी,सूर्यास्त के बाद गाड़ी चलाना-दो पहली मुख्य गलतियां करने वाले सलीम को 2 लाख रु,वीरता पुरस्कार क्यों?
— Jitender khurana (@iJKhurana) July 11, 2017
#AmarnathTerrorAttack
वामपंथी देशद्रोही पत्रकारों द्वारा ड्राइवर सलीम को हीरो बनाने में कुछ तो लोचा जरूर है ।#अमरनाथ_हमला— himanshu chaurasia (@chaurasiahimans) July 11, 2017
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