BIG NEWS: संघ प्रमुख मोहन भागवत और मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ को हिंदू आतंकवाद साबित करने की कांग्रेस की मंशा पर कोर्ट ने चलाया चाबुक

लखनऊ। 2008 के चर्चित मालेगांव बमब्लास्ट के आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी नेे जमानत पर रिहा होने के बाद वाराणसी में ऐसे कई सनसनीखेज खुलासे किये हैंए जिनके आधार पर आरोप है कि केंद्र की पिछली यूपीए सरकार ने संध प्रमुख मोहन भागवत और मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ को हिंदू आतंकवाद के नाम पर जेल में ही सडा देने की हर मुमकिन कोशिश की थी। योगी आदित्य नाथ के खिलाफ तो वारंट तक जारी कर दिया गया था। लेकिनए अदालत में इन दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश न कर पाने के कारण ये दोनों ही यूपीए सरकार की इस घिनौेनी साजिश का शिकार होने से बच गये।

योगी के खिलाफ जारी करा दिया गया था वारंट 

सुधाकर चतुर्वेदी ने कांगे्रस के कई वरिष्ठ नेताओं पर आरोप लगाया कि ऊपर की शह और इशारे पर इन  दोनों हिंदूवादी  नेताओं पर हिंदू आतंकवाद को पैदा करने और उसे बढावा देने के अत्यंत गंभीर आरोप लगाते हुए  इन दोनों को ही जेल भेजकर उसमें सड़ा देने की पुरजोर कोशिशें की गयी थी। आरोप है की एक दलविशेष के शीर्ष नेताओं के इशारे पर  एनआईए और एटीस के अधिकारियों ने इसके लिए अपना  खूनपसीना एक कर दिया था। लेकिन अदालत के आगे इनमें से किसी की भी नही चल सकी .इसके बावजूद  योगी  आदित्यनाथ से उनके मठ संगठन और गतिविधियों  के बारे में बडी गहन पूछताछ  की गयी थी। इतना ही नहींए इनके विरुद्ध वारंट तक जारी करा दिया गया था। लेकिन इनके खिलाफ  पुख्ता सबूत पेश न कर पाने क कारण इनका बाल्बांका  नहीं हो सका था।

साध्वी प्रज्ञा का अमानवीय उत्पीडन 

आरोप है कि साध्ची प्रज्ञा को टार्चर के नाम पर पार्न मूवी  और अश्लील चित्र दिखायी यजाती थी और उन्हें भी बडे अमानवीय तरीके से सताया जाता रहा है। उन्हें लगातार कई दिनों तक खना नहीं दिया दिया जाता नंगाकर बाथरूम में बिजली की करंट दुवाया जाता रहा है। पैरों के तलुबों पर लाठी से बडा निर्मम प्रहार किया जाता रहा हैए ताकि हिंदू आतंकवाइी होने के आरोप को स्वीकार कराया जा सके।

सुधाकर चतुर्वेदी के नौ साल जेल में ही बीते 

उल्लेखनीय है कि मिर्जापुर के निवासी सुधाकर चतुर्वेदी एम ए पास हैं। यह संघ से सम्बद्ध संस्था अभिनव  भारत से जुड गये थे। इसी दौरान 23 अकटूबर 2008 को इन्हें मालेगांव ब्लास्ट के मामले में नासिक में गिरफ्तार कर लिया गया था इनके उऊपर बम और पिस्तौल बनाने का आरोप  भी लगाया गया था। इस तरह एक दलविशेष की बेहद घिनौनी साजिश के कारण इन्हें अपनी जिंदगी के नौ साल जेल  में ही गुजारने पड गये हैं।

लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली 

इन्हीं की तरह मालेगांव ब्लास्ट के आरोप में ही गिरफ्तार लेक्टिनेंट कर्नल लेफ्टिनेंट कर्जल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित भी जेल में नौ साल रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर रिहा हुए हंै। इन्हें बिना किसी चार्जशीट के ही जेल में रखा गया था। इससे बचने के लिये इनके खिलाफ मकोका लगा दिया गया था। लेकिनएएनण्आईण्एण्स्रप्रीम कोर्ट के सामने मकोका लगाने की ठोस वजह नहीं पेश कर सकी थी। सेना ने भी अपनी गहन छानबीन में इन्हें पूरी तरह बेकसूर पाया था।

पुलिस ने जान से मार देने की धमकी देकर अदालत में मनमाफिक बयान दिलवाया था 

बताया जाता है कि अदालत में पेश कराने के पहले ही एक पुलिस अधिकारी ने इनके सिर पर अपनी रिवाल्वर लगाते हुए कहा थी कि यदि अदालत में अपना बयान बदलाए तो इस रिवाल्वर की सभी गोलियां तुन्हारी खोपडी के आरपार कर दी जायेंगी। इस भय से इन्होंने अदालत में वहीं बयान दियाए जो एटीएस चाहती थी। लेकिनए सुप्रीम कोर्ट के आगे न पुलिस की चल पाई और न कांग्रेस के कई विवादित वरिष्ठ नेताओं की ही।

नोटों के काले धंधे में लगे नेताओं के राज पुरोहित को मालूम थे

इस बारे में की गयी अपनी गहन पडताल के बाद तैयार अपनी रिपोर्ट में मधु किश्वर ने कहा है कि कर्नल पुरोहित के सीने में ऐसे कई  भयंकर राज समाए हुए है जिसका खुलासा होने पर एक दलविशेष के कई बडे दिग्गज नेताओं को जेेेल की हवा खानी पड जाती। ये लोग जाली नोटों के भी काले धंधे में लगे हुए थे। इससे बचने के लिये इनके खिलाफ भी हिंदू आतंकवाद का तानाबाना बुना गया था। इन्हें में जेल में अमानवीय यातनाएं दी गयी थी।

 

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