जिस कोर्ट में पिता थे चपरासी, उसी अदालत में बेटी जज बनकर पहुंची और फिर…
यह कहानी उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपना मुकाम तय करने के लिए हर संघर्ष से जूझते हैं।
यह कहानी उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपना मुकाम तय करने के लिए हर संघर्ष से जूझते हैं। आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो अदालत यानी कोर्ट में चपरासी की नौकरी करता था। जिस अदालत में यह शख्स चपरासी का काम करता है उसी अदालत में आज उसकी बेटी जज (judge) बनकर पहुंची है।
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अर्चना को अपने पिता गौरीनंदन को चपरासी के रूप में देखना अच्छा नहीं लगता था। बस तभी से उन्होंने ठान ली थी कि वो जज ही बनेगी। उन्होंने उस छोटी सी झोपड़ी में जज (judge) बनने का सपना तो बन लिया था लेकिन साकार करने के रास्ते में बहुत सी कठिनाइयां आई।
लेकिन फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। इसी का नतीजा है आज अर्चना एक जज बन गई हैं। हालांकि उन्हें एक बात का मलाल भी है कि वो अपने पिता के रहते इस सपने को साकार नहीं कर सकी।अर्चना बताती हैं कि पिता की मौत के बाद तो जीवन की गाड़ी ही पटरी से ही उतर गई थी। इस समय उनकी मां ने उन्हें हर मोड़ पर साथ दिया। उन्हें परिवार के अलावा कई शुभचिंतकों का भी साथ मिला, जिन्हें भी वह शुक्रिया कहती हैं।
मूल रूप से पटना के धनरूआ थाना अंतर्गत मानिक बिगहा गांव की अर्चना पटना के कंकड़बाग में रहती थीं और आज वे अपने गांव में ‘जज (judge) बिटिया’ के नाम से मशहूर हो रही हैं। पटना के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, शास्त्रीनगर से बारहवीं पास अर्चना ने पटना यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी ऑनर्स किया है।
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