मृत्यु से पहले ही दुर्योधन ने बताई थीं ये 3 बड़ी बाते

कुरुक्षेत्र वो धरती है जहां महाभारत का भीषम युद्ध हुआ था और लाखों-करोड़ों योद्धाओं के रक्तपात से जहां की मिट्टी आज भी लाल है।

कुरुक्षेत्र वो धरती है जहां महाभारत का भीषम युद्ध हुआ था और लाखों-करोड़ों योद्धाओं के रक्तपात से जहां की मिट्टी आज भी लाल है। कहा जाता है कि, इस युद्ध में ऐसा नरसंहार हुआ था जिसके नरकंकाल आज भी कुरुक्षेत्र की मिट्टी में पाए जाते हैं। इसके साथ ही मिट्टी का रंग लाल दिखाई देता है।

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही लड़ा गया था इसके पीछे भी एक साजिश थी। ये साजिश खुद भगवान श्रीकृष्ण ने रची थी। क्योंकि वो जानते थे कि, भाई-भाई का खून, पिता-बेटे का खून इतनी आसानी से नहीं कर सकता और उनके अंदर क्षमा की भावना जाग जाएगी। ऐसे में किसी ऐसी जगह की तलाश की जाए जहां पर भावनाओं और रिश्तों का कत्ल पहले से होता रहा हो।

महाभारत के युद्ध में पांडवो ने कौरवों को हराकर विजय प्राप्त की थी। महाभारत के युद्ध जब दुर्योधन को भीम ने पराजित कर दिया, तो वह जमीन पड़े-पड़े अपनी तीन उंगलियां दिखाकर कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था।

लेकिन भीम से युद्ध करते वक्त दुर्योधन गंभीर रूप से घायल हो गया था, जिसके कारण वह कुछ बोल नहीं पा रहा था। वहीं जब श्रीकृष्ण को लगा कि दुर्योधन कुछ बोलने की कोशिश कर रहा हैं तो वह उसके पास गए और उससे बात सुनी। दुर्योधन ने कहा कि उसने तीन बड़ी गलतियां हुई हैं। जिनकी वजह से वह ये युद्ध हार गया।

ये थी वो तीन बड़ी गलतियां…

पहली गलती

दुर्योधन ने नारायण की जगह उसने उनकी नारायणी सेना को चुना। यदि श्रीकृष्ण कौरवों के पक्ष में होते, तो आज परिणाम कुछ और ही होता।

दूसरी गलती-

दुर्योधन ने अपनी माता के लाख कहने के बावजूद उनके सामने पेड़ के पत्तों से बना लंगोट पहनकर गए। यदि वह नग्नावस्था में जाते, तो आज उसे कोई भी योद्धा परास्त नहीं कर सकता था।

तीसरी गलती-

युद्ध में आखिर में जाने की भूल। यदि अगर वह पहले जाता तो कई बातों को समझ सकता था।

 

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