किसान संगठनों ने किया बड़ा ऐलान, कमेटी के सामने जाने को लेकर कही ये बड़ी बात…

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित की गई कमेटी के सामने पेश होने को लेकर किसान संगठनों ने इंकार कर दिया है. किसान संगठनों का कहना है कि, कमेटी में उन्हीं लोगों को शामिल किया गया है जो पहले से ही कृषि कानूनों की वकालत करते रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित की गई कमेटी के सामने पेश होने को लेकर किसान संगठनों (farmer) ने इंकार कर दिया है. किसान (farmer)संगठनों का कहना है कि, कमेटी में उन्हीं लोगों को शामिल किया गया है जो पहले से ही कृषि कानूनों की वकालत करते रहे हैं. ऐसे में उनके सामने पेश होकर कोई भी चर्चा नहीं की जाएगी. किसान सगंठनों ने कहा है कि, उनका आंदोलन जारी रहेगा और आने वाली 26 जनवरी को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया जाएगा.

भारतीय किसान यूनियन (आर) बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, “हमने कल ही कहा था कि हम ऐसी किसी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे. हमारा आंदोलन हमेशा की तरह आगे बढ़ेगा. इस समिति के सभी सदस्य सरकार समर्थक हैं और सरकार के कानूनों को सही ठहरा रहे हैं.”

केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले कहा था कि, कृषि कानून का विरोध सिर्फ कुछ राज्यों के किसान (farmer) कर रहे हैं. इस बात को लेकर अब दिल्ली कूच के लिए अलग-अलग राज्यों से किसान(farmer) निकल पड़े हैं. आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बाद अब केरल के किसान भी दिल्ली पहुंचने वाले हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि, सरकार सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को बदनाम करने और कुछ राज्यों तक सीमित बताकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.

 ये भी पढ़ें-कृषि कानून: आंदोलन को तेज करने के लिए इन राज्यों के किसानों ने किया दिल्ली कूच, अब…

कोर्ट के फैसले पर किसान (farmer) संगठनों ने असहमति जताई है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान (farmer) कोर्ट के फैसले से निराश हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी. गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी. राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे है. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी. देश का किसान (farmer)इस फैसले से निराश है. राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है. जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा.

 

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