मोदी सरकार के लिखित प्रस्ताव से नहीं बनेगी बात, अब किसानों ने किया ये बड़ा ऐलान

केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को भेजे गए लिखित प्रस्ताव में सरकार की तरफ से कही गई बातों को लेकर किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि, वो तबतक नहीं मानेंगे जबतक कानून वापस नहीं लिए जाएंगे.

केंद्र सरकार की तरफ से किसानों (farmers) को भेजे गए लिखित प्रस्ताव में सरकार की तरफ से कही गई बातों को लेकर किसान (farmers) संगठनों ने साफ कर दिया है कि, वो तबतक नहीं मानेंगे जबतक कानून वापस नहीं लिए जाएंगे. किसानों का कहना है कि, अगर सरकार अपनी जिद पर अड़ी है तो वो भी कम जिद्दी नहीं हैं. किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि, ये मुद्दा किसानों(farmers) की शान से जुड़ा है और इसमें वो पीछे नहीं हटेंगे. सरकार ने प्रस्ताव में कुछ बदलाव सुझाए हैं लेकिन हम कानून वापस होने तक अड़े रहेंगे.

किसान नेताओं का कहना है कि, सरकार की तरफ से जो सुझाव दिए गए हैं प्रस्ताव में उनपर चर्चा होगी लेकिन उन संसोधनों में जमीन का मसला, आवश्यक वस्तु एक्ट को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है ऐसे में इस प्रस्ताव को मानने का कोई सवाल पैदा नहीं होता है.

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कैबिनेट बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हो रही है उनमें ये भी कहा जा रहा है कि, सरकार एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने को तैयार हो गई है. इसके साथ ही विवाद निपटारे के लिए एसडीएम के अलावा कोर्ट जाने की इजाजत लिखित में दे सकती है.

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार एपीएमसी कानून के तहत आने वाली मंडियों को और सशक्त करने के लिए राजी हो गई है. जिन व्यापारियों को प्राइवेट मंडियों में व्यापार करने की इजाजत मिले उनका रजिस्ट्रेशन होना चाहिए. जबकि कानून में केवल पैन कार्ड का होना अनिवार्य बनाया गया है.

 

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