किसान नेता ने कहा- हमारी पोटली में है सरकार की बाजीगरी की दवा, जिसमें…

सरकार से बातचीत से पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर कानून जल्दी खत्म नहीं हुआ तो यह आंदोलन 2024 तक जाएगा, हम सभी राज्यों में जाएंगे और वहां पर बड़ी-बड़ी पंचायत करेंगे.

सरकार (government) से बातचीत से पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर कानून जल्दी खत्म नहीं हुआ तो यह आंदोलन 2024 तक जाएगा, हम सभी राज्यों में जाएंगे और वहां पर बड़ी-बड़ी पंचायत करेंगे. हम दस्तावेज बनाकर लोगों में बाटेंगे. सरकार बाजीगर है, अलग-अलग पुड़िया लेकर आती है. हमारे पास भी बहुत सारी पोटली हैं, अभी हमने वह खोली नहीं है. हमारी पोटली में किसान (farmers)हैं और हमने उन्हें दवा बता दी है कि कैसे इसका हल होगा.

सरकार (government) के साथ किसानों की 8वें दौर की शुक्रवार को 2 बजे दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में होगी. इस बैठक में अगर कोई नतीजा नहीं निकलता है तो सरकार का अगला कदम क्या होगा. इस पर अभी भी संशय बना हुआ है. किसानों की तरफ से इसके बाद 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी. वहीं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि, इस बैठक से उम्मीद की जा रही है कि, कोई न कोई हल जरूर निकलेगा और किसान सरकार (government) की बात समझेंगे कि ये कानून उनके हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है.

यह भी पढ़ें-तीनों कानून वापस लेने को लेकर कृषि मंत्री ने कही ये बड़ी बात…

कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि, अगर किसानों(farmers) के साथ हुई पहली बैठक को अगर देखा जाए तो उस समय कानूनों को वापस लेने की कोई बात नहीं हुई थी सिर्फ परिवर्तन की बात कही गई थी. इसलिए उसी हिसाब से सोचा जाए तो हल जरूर निकलेगा. इसके साथ ही कृषि मंत्री ने कहा अभी तो कानूनों में सुधारों की शुरूआत हुई है ये आगे भी जारी रहेंगे.

कृषि कानून को लेकर पिछले 43 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं. इससे पहले 4 जनवरी को बैठक हुई थी लेकिन उसमें भी कोई हल नहीं निकला था. सरकार अपने कदम पीछे हटाने को तैयार नहीं है वहीं किसान (farmers) भी कानूनों के वापस लिए जाने तक आंदोलन को जारी रखने की बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि, जबतक सरकार (government) तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती है तबतक उनका आंदोलन इसी तरह से चलता रहेगा. सरकार (government) की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ कर दिया है कि, कानूनों को वापस लेने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है.

 

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