कभी इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय चुनाव

इस बार का बिहार चुनाव बहुत ही दिलचस्प रहा। एक तरफ कई दिग्गजों के बेटे और बेटियों ने चुनाव में अपना भाग्य आजमाया तो दूसरी तरफ बिहार डीजीपी ने भी राजनीती के मैदान में एंट्री मरना चाहते थे मगर ऐसा हो न सका। 

इस बार का बिहार चुनाव बहुत ही दिलचस्प रहा। एक तरफ कई दिग्गजों के बेटे और बेटियों ने चुनाव में अपना भाग्य आजमाया तो दूसरी तरफ बिहार डीजीपी ने भी राजनीती के मैदान में एंट्री मरना चाहते थे मगर ऐसा हो न सका। 

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर जेडीयू ज्वाइन करने वाले डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन जेडीयू ने गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट नहीं दिय़ा। उनकी जगह पार्टी के पुराने कार्यकर्ता परशुराम चतुर्वेदी को दिया।

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जीत का अंतर बहुत बड़ा नहीं हैं

बिहार पुलिस में हवलदार रहे परशुराम चतुर्वेदी के सामने की कांग्रेस के सिटिंग विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी को उतारा था। लेकिन परशुराम चतुर्वेदी और जेडीयू के लिए लकी साबित नहीं हुई है। परशुराम चतुर्वेदी संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से चुनाव हार गए हैं, हालांकि जीत का अंतर बहुत बड़ा नहीं हैं।

मुन्ना तिवारी करीब चार हजार वोटों से चुनाव जीत गए हैं।2015 के विधानसभा चुनाव में संजय कुमार तिवारी ने BJP के प्रदीप दुबे को 10,181 वोटों से हराया था। 2010 में प्रोफेसर सुखदा पांडे यहां से तीसरी बार जीती थीं। उन्होंने पहली बार 2000 में और दूसरी बार फरवरी 2005 में जीत दर्ज की थी। अक्टूबर 2005 में बसपा के हृदय नारायण सिंह यहां से जीते थे। कुल चुनावों में जीत के रिकॉर्ड में कांग्रेस का पक्ष मजबूत है। कांग्रेस ने 1951 से लेकर 1985 तक यहां चुनाव जीता, सिर्फ 1967 में एक चुनाव में हार मिली थी

आपको बता दें कि बिहार पुलिस के डीजीपी देंगे इस्तीफा गुप्तेश्वर पांडेय ने VRS के लिए आवेदन दिया था। सुशांत केस से सुर्खियों में आए गुप्तेश्वर पांडेय मुंबई पुलिस की जांच पर कई सवाल उठाए थे। इसके बाद उनकी खूब चर्चा हुई थी।

 

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