किसानों की समस्या लेकर मिलने पहुंचे पूर्व मंत्री, बोले कमिश्नर- ‘मैं बात नहीं करूंगा…

गोरखपुर। पूर्व राज्य मंत्री राधेश्याम सिंह ने किसानों के मुद्दे को लेकर मोर्चा खोल दिया है।

गोरखपुर। पूर्व राज्य मंत्री राधेश्याम सिंह ने किसानों के मुद्दे को लेकर मोर्चा खोल दिया है। आज इसी क्रम में वह कमिश्नर कार्यालय पहुंच गए। समय देने के बाद भी कमिश्नर साहब जब अपने कार्यालय पर पूर्व कृषि राज्य मंत्री राधेश्याम सिंह से नहीं मुलाकात की तो राधेश्याम सिंह कमिश्नर कार्यालय पर ही धरने पर बैठ गए।

उनका कहना है कि पूर्वांचल के किसान बहुत दुखी हैं। 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। 2017 से 20 तक लगभग 4 साल होने जा रहे हैं। उसके बाद भी गन्ना मूल्य में कोई वृद्धि नहीं हुई। किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है। 2016-17 में भारत सरकार ने समर्थन मूल्य 220 रुपये किया था।

गन्ना भी 40% सूख गया है

इस समय केंद्र सरकार मोदी जी ने गन्ने का समर्थन मूल्य में वृद्धि करके 285 रुपये कर दिया। ऐसी स्थिति में 400 रुपये कुंटल उत्तर प्रदेश सरकार को गन्ने का दाम देना चाहिए था। यह गन्ना किसान और धान बोने वाले किसान दोनों दुखी हैं। किसानों का धान 40% सूख गया है। गन्ना भी 40% सूख गया है। उसका सर्वे करवाया जाए, किसानों को मुआवजा दिया जाए, परारी जलाने के नाम पर 25 सौ से लेकर 25 हजार तक किसानों से जुर्माना लिया जा रहा है।

मुकदमा दर्ज क्यों करवा रहे हैं?

व्यंग करते हुए पूर्व राज्य मंत्री ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री जी किसान सम्मान निधि दे रहे हैं तो यह किसान अपमान निधि के बदले में 25 सौ से लेकर 15 हजार क्यों ले रहे हैं। वही मंत्री जी नहीं यह भी सवाल किया कि मुकदमा दर्ज क्यों करवा रहे हैं? किसानों जेल क्यों भेजा जा रहा है। पूर्व समाजवादी पार्टी के कृषि राज्य मंत्री का कहना है कि कई मुद्दों को लेकर जब मैं कमिश्नर साहब से मिलने के लिए आया हूं तो उन्होंने कहा कि बहुत दूर बैठ कर बात करिए तो मैं दूर बैठ गया।

यह भी पढ़ें : भूत के साथ रिलेशनशिप में थी ये महिला, बनना चाहती थी मां लेकिन…

कमिश्नर साहब से मैंने कहा मेरे गांव के गन्ना किसानों की समस्या है इस बिंदु पर मैं आपसे बात करना चाहता हूं। इसपर कमिश्नर साहब ने कहा मैं बात नहीं करूंगा। मेरे पीए को आप अपना ज्ञापन दे दीजिए। इस बात पर मंत्री जी नाराज हो गए हैं। मीडिया से बात करते हुए कहा कि 100 किलोमीटर दूर से हम पिए को ज्ञापन देने के लिए डीजल खर्च करके आये है। मंत्री जी ने बताया कि कमिश्नर महोदय से मैंने कहा नहीं ज्ञापन मैं आपको दूंगा मैं ज्ञापन लेकर जैसे ही आगे बढ़ा हूं।

मैं सुनूंगा नहीं हमको जो मन करेगा वह मैं करूंगा

कमिश्नर साहब ने कहा कि ज्ञापन मेज पर रख दीजिए मैंने एतराज जताया तो कमीशन साहब ने ज्ञापन ले लिया लेकिन मेरा ज्ञापन वह पढ़ें नहीं कमिश्नर साहब कहने लगे कि मैं सुनूंगा नहीं हमको जो मन करेगा वह मैं करूंगा। तो यह मनमानी नहीं चलेगी। जब सरकार तानाशाह हो जाए और नौकर बेलगाम हो जाए तो गांधी जी ने कहा था की तब आंदोलन के सिवा कोई रास्ता नहीं है।

तो गांधीजी को याद करके राम मनोहर लोहिया को याद करके स्वर्गीय राजनारायण जी को याद करके जयप्रकाश जी को याद करके आज मैं कमिश्नर कार्यालय पर धरने पर बैठा हूं धरने पर बैठने के बाद अपर आयुक्त महोदय आए हैं उन्होंने बिंदुवार मेरी समस्या को सुना है। इससे मैंने धरना खत्म किया है।

मैं मुख्यमंत्री जी से मांग करना चाहता हूं कि गन्ना किसानों की समस्याओं का समाधान हो धान की खरीदारी हो 1880 रुपये सरकारी रेट है 9 सौ और 1 हजार रुपये में विवश है किसान धान बिचौलियों के हाथ में बेचने के लिए जब मंत्री जी से मीडिया ने सवाल किया कि सरकार कह रही है कि वह 10 हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य किसानों के लिए घोषित किया है। तो इस पर राज मंत्री ने कहा कि अभी तो 1 करोड़ों रुपए बकाया है तो कहां से 10 हजारों रुपए दे दिये। यही तो झूठ बोलने वाली सरकार है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button