सर्दियों के मौसम में जरुर जान ले हाइपोथर्मिया के लक्ष्ण व इससे बचने के कुछ उपाय

शरीर के तापमान में तेजी से गिरावट आने पर हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। तापमान में ज्यादा कमी आने पर यह बेहद खतरनाक भी शामिल हो सकता है। इसके शुरूआती लक्षणों के आधार पर पहचान मुश्किल होती है। सबसे ज्यादा बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर इसका असर होता है। डॉक्टरों के अनुसार हाइपोथर्मिया से बचने के लिए शरीर को गर्म रखना और ठंड से बचाना बेहद जरूरी है।

त्वचा का तेजी से ठंडा होना, कंपकंपी, थकान, स्पष्ट न बोल पाना हाइपोथर्मिया का संकेत हो सकता है. कुछ लोगों को बहुत नींद आना, उलझन या अच्छा महसूस न करना जैसे लक्षण भी हो सकते हैं. अगर बीमारी बढ़ जाए तो मांसपेशियों में अकड़न, बेहोशी, नब्ज धीमी होना, सांस लेने में कठिनाई जैसी स्थिति महसूस हो सकती है. गंभीर स्थिति में व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु हो सकती है. इन लक्षणों के नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

शराब का सेवन करने वालों में ठंड महसूस करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. उन्हें लगता है कि शरीर अंदर से गर्म है लेकिन वास्तव में शराब पीने से रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं जिससे शरीर तेजी से गर्मी खो देता है. कुछ दवाओं के सेवन से भी यह स्थिति पैदा हो सकती है जिसमें एंटीडिप्रेसेंट्स, सेडेटिव और एंटीसाइकोटिक दवाएं शामिल हैं. ये शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है.

 

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