महोबा: बोरवेल के गड्ढे में गिरा मासूम, मचा हड़कंप

महोबा जिले में कुलपहाड़ क्षेत्र के बुधौरा गांव में बुधवार को किसान भागीरथ कुशवाहा का चार साल का इकलौता बेटा धर्नेंद्र उर्फ बाबू 30 फीट गहरे बोरवेल के गड्ढे में गिर गया। सूचना पाकर पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंच गए।

महोबा जिले में कुलपहाड़ क्षेत्र के बुधौरा गांव में बुधवार को किसान भागीरथ कुशवाहा का चार साल का इकलौता बेटा धर्नेंद्र उर्फ बाबू 30 फीट गहरे बोरवेल (borewell) के गड्ढे में गिर गया। सूचना पाकर पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंच गए।बच्चे  की जान बचाने की कोशिशें जारी हैं।

छह साल की बेटी रेखा को साथ लेकर खेत में काम करने गया था

फायर ब्रिगेड की टीम और जेसीबी के साथ ही डॉक्टरों की टीम वहां पहुंच गई है। लखनऊ से एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम भी बुधौरा के लिए निकल चुकी है। बुधौरा गांव निवासी किसान भागीरथ कुशवाहा का घर से आधा किलोमीटर दूरी पर खेत है। भागीरथ की पत्नी क्रांति देवी छोटी बेटी नित्या (3) के साथ सुबह अपना आधार कार्ड बनवाने के लिए महोबा आ गई थीं। इसलिए भागीरथ कुशवाहा चार साल के बेटे बाबू और छह साल की बेटी रेखा बच्चो साथ लेकर खेत में काम करने गया था।

बोरवेल के करीब 30 फीट गहरे गड्डे में धनेंद्र जा गिरा

भागीरथ ने पुलिस को बताया कि वह खेत में सिंचाई कर रहा था। दोनों बच्चे खेत में बनी मेड पर लगे नीम के पेड़ पास खेल रहे थे। दोपहर करीब एक बजे खेलने के दौरान खेत में ही खुले पड़े बोरवेल के करीब 30 फीट गहरे गड्डे में धनेंद्र जा गिरा।

काफी देर तक धनेंद्र गड्ढे से बाहर नहीं निकला तो रेखा ने उन्हें सूचना दी। वह गड्ढे के पास पहुंचे तो धनेंद्र के रोने की आवाज आ रही थी। उन्होंने फौरन घटना की सूचना पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ ही गांव वालों को दी। इसके बाद धनेंद्र की जान बचाने का काम शुरू हुआ।भागीरथ के मुताबिक थोड़ी देर बाद एसडीएम मोहम्मद उवैस, कुलपहाड़ थाना प्रभारी अनूप दुबे दलबल के साथ वहां पहुंच गए। पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से बच्चे को निकालने का प्रयास किया। जब सफलता नहीं मिली, तो फायर ब्रिगेड और डॉक्टरों की टीम के साथ जेसीबी को बुलाया गया।

पुलिस ने मौके पर इकट्ठा भीड़ को हटाकर गड्ढे के पास घेराबंदी की। इसके बाद जेबीसी से गड्ढे के आसपास खुदाई का काम शुरू कराया गया। इसी बीच डॉक्टरों ने बच्चे की जान बचाने के लिए पाइप के सहारे ऑक्सीजन गड्ढे में पहुंचाने का काम किया। समाचार लिखे जाने तक बच्चे की जान बचाने का काम जारी है।

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किसान भागीरथ कुशवाहा ने खेत में सिंचाई के लिए जुलाई माह में बोरवेल का गड्ढा खुदवाया था, लेकिन पानी नहीं निकला। इसके बाद किसान ने गड्ढा बंद नहीं कराया था। उसे एक पत्थर से ढक दिया था। अफसर अभी इस बात की जांच कर रहे हैं कि बच्चों के खेलने के बाद गड्ढे के ऊपर से पत्थर हट गया था अथवा पहले से हटा हुआ था।

धनेंद्र के बोरवेल (borewell) के गड्ढे में गिरने की सूचना मिलते ही मां क्रांति देवी महोबा से अपने गांव के लिए चल पड़ी। करीब दो घंटे के बाद क्रांति अपने खेत में पहुंच गई और हमार बऊआ कहां है कह कर रोते हुए गड्ढे के पास बैठ गए।

पत्नी की हालत देखकर भागीरथ भी खुद को नहीं रोक सके। वह भी दहाड़े मार कर रो पड़े। इस दौरान दोनों रोते-रोते बेहोश हो गए। ग्रामीणों और रिश्तेदारों के मुंह पर पानी की छींटे डालने के बाद दोनों को होश आया, तो फिर रोने लगे। रिश्तेदार दोनों को ढांढस बंधाने में लगे रहे।

धनेंद्र के बोरवेल (borewell) में गिरने का पता चलने पर उसकी बहनें रेखा और नित्या भी रोने लगी। दंपति और ग्रामीणों ने दोनों बहनों को चुप कराने का प्रयास किया। पर, दोनों बहनों के आंसू रुक नहीं रहे थे।

 

 

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