लखनऊ : एक्शन में यूपी सरकार, सदमे में मुख्तार….

यह बात सोलह आने सच कि जब जब सरकार ने बाहुबलियों माफियाओं या सामंतों के विरुद्ध मजबूत कार्यवाही की तब तब सरकार को प्रशंसा मिली आज उत्तर प्रदेश सरकार अपराधियों के विरूद्ध ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रही है

यह बात सोलह आने सच कि जब जब सरकार ने बाहुबलियों माफियाओं या सामंतों के विरुद्ध मजबूत कार्यवाही की तब तब सरकार को प्रशंसा मिली आज उत्तर प्रदेश सरकार अपराधियों के विरूद्ध ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रही तो जहां आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे की गाड़ी पलट रही तो मुख्तयार सरिखे दबंग बाहुबली कहें या अपराधी पूरी तरह सदमे में दिखाई दे रहे हालात इतने खराब है कि उन्हें दूसरे राज्यों में रहकर गम्भीर बिमारी का सहारा लेना पड़ रहा है बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को आज उत्तर प्रदेश में न आने के लिए प्रयास करना पड़ रहा है वह पंजाब प्रांत के रोपड़ जिले की जेल में बंद हैं। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि उत्तर प्रदेश सरकार की यह कार्यवाही प्रशंसनीय है।

 

 

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं कि सरकार ने किसी बाहुबली के विरुद्ध पहली बार कार्यवाही की हो। योगी जी से पहले बसपा मुखिया मायावती ने मुख्यमंत्री रहते बड़े बड़ों को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था अखिलेश सरकार के हिस्से में इस तरह की शायद कोई उपलब्धि नहीं है। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की कमान संभालते ही कई ऐसे काम किए जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। हालांकि उनपर एक जाति विशेष के लोगों को तरजीह और एक धर्म विशेष के लोगों से नफ़रत करने का प्रचार किया गया, लेकिन विकास दुबे के इनकाउंटर की बात हों या धीरेंद्र की गिरफ्तारी ने ऐसे लोगों के मुंह पर टेप लगा दी। कुछ जिलों के अधिकारियों ने सरकार को भेदभाव पूर्ण बनाने में जमकर योगदान किया। मैं यह भी दावे के साथ कह सकता हूं वर्तमान में बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर सरकार को फजीहत झेलनी पड़ रही है जिसका मुख्य कारण जिलों पर बैठे वह अधिकारी है जिनका अपनी जेब भरने के अलावा कोई सामाजिक सरोकार नहीं है।कुछ सरकार के विधायक भी फजीहत कराने में पीछे नहीं है इसके बावजूद यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार का रूख अपराधियों माफियाओं के साथ साथ सामंती लोगों के विरुद्ध कड़ा हुआ है। हलांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने सही किया है या ग़लत यह तो सरकार जाने फिलहाल हमारा कहना है कि जिस तरह डायल हंड्रेड व एम्बुलेंस की सक्रियता में कमी आई है वह जनता के लिए ठीक नहीं है। यह सही है कि इनका संचालन सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्री काल में शुरू कराया था लेकिन इसके संचालन में पैसा समाजवादी पार्टी कांग्रेस या बसपा का नहीं उत्तर प्रदेश सरकार का लगा था।

 

जब उत्तर प्रदेश सरकार लोकभवन, शिगनेचर बिल्डिंग, मैट्रो सहित पूर्व सरकार द्वारा किए गए कार्यों को सुगमता से इस्तेमाल कर सकती हैं तो डायल हंड्रेड अथवा एम्बुलेंस सेवा का नाम बदलकर ही सही पूर्ण रूप से सक्रिय होकर करना चाहिए। खैर क्या करना है क्या नहीं इसे सरकार से ज्यादा कौन जान सकता है लेकिन इस बात में कोई गुंजाइश नहीं है कि वर्तमान में अपराधिक घटनाएं बढ़ने के बावजूद अपराधियों में मौत व सजा का डर बढ़ा है जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री जी अथवा उनके इर्द-गिर्द रहकर सरकार चलाने वालों से कहना चाहता हूं कि वर्तमान में कुछ स्पष्ट व निष्पक्ष लिखने वाले मिडिया कर्मियों में डर का माहौल बना है और वे फर्जी मुकदमों के डर से सही बात या तथ्यों पर आधारित सरकार की आलोचना अथवा कमियां लिखने से डरने लगे हैं कई जिलों में खबर लिखने के कारण पुलिस ने पत्रकारों के विरुद्ध न सिर्फ़ मुकदमें दर्ज करा दिए बल्कि कई कई माह तक लटकाए रखने वाली चार्जशीट भी कोर्ट में तत्काल दाखिल कर दी। कुल मिलाकर मीडिया कर्मियों में तेजी से आया फर्जी मुकदमों का डर स्वस्थ लोकतंत्र के लिए दूर करने की आवश्यकता है।

विनेश ठाकुर ( सम्पादक, विधान केसरी लखनऊ)

 

 

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