किसान आंदोलन के समर्थन में उतरीं हरियाणा की खाप पंचायतें

कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसानों को अलग-अलग तबके से समर्थन मिलने लगा है।

कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसानों को अलग-अलग तबके से समर्थन (Support ) मिलने लगा है। बड़ी संख्या में हरियाणा की खाप पंचायतों ने रविवार को कृषि कानून के मसले पर किसानों के समर्थन का ऐलान किया और उनके समर्थन में दिल्ली चलो का नारा दिया।

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सिंघु बॉर्डर पर सोमवा दोपहर बाद तक चली बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि सरकार ने हरियाणा में किसान आंदोलन को कुचलने के लिए कई मुकदमे दर्ज किए हैं। सिर्फ बैरिकेड तोड़ने पर किसानों और किसान नेताओं के खिलाफ 307 तक के मामले दर्ज हुए हैं। इस वक्त हरियाणा में आंदोलन चरम पर पहुंच रहा है। 100 से ज्यादा खाप पंचायतों ने आंदोलन को समर्थन  (Support )दिया है। खाप पंचायतें दिल्ली कूच कर रही हैं। इनके सीमा पर पहुंचते ही आंदोलन मजबूत होगा। जब तक मांगे नहीं मानी जाती आंदोलन जारी रहेगा। अगर मांगे नहीं मानी गई तो इससे भी कड़ा कदम उठाना पड़ेगा।
दूसरी तरफ योगेंद्र यादव ने कहा कि इस आंदोलन के बारे में अलग-अलग स्रोतों से पांच झूठ फैलाए जा रहे हैं। यह भी पूरी तरह गलत हैं। योगेंद्र यादव ने सिलसिलेवार ढंग ने इनका खुलासा करते हुए कहा कि आज हर किसान का बच्चा जान रहा है कि आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। किसान नेताओं का कहना है कि रविवार को उन्होने केंद्र सरकार का सशर्त बातचीत करने का प्रस्ताव रद्द कर दिया था। इसके बाद पता चला है कि गृहमंत्री की कई संगठनों से बातचीत हुई है। नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा के मुंह में राम-राम व बगल मे छुरी है। यह पंजाब का सघर्ष नहीं है, पूरे देश का संघर्ष है। आंदोलन खेती से जुड़े हर व्यक्ति को सुरक्षित रखने के लिए है।

 

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