बिहार चुनाव 2020: ऐसे नेता जिन्होंने बिना चुनाव के प्रचार प्रचंड बहुमत हासिल किया, जानिये उनके बारे में

बिहार में राजनैतिक सरगर्मियां तेजी पर हैं। और हों भी क्यों न ? आखिर चुनाव जो होने जा रहे हैं। देश में बिहार की धरती हमेशा से ही लोकतंत्र व राजनीति के लिए उदाहरण पेश करती आई है।

बिहार चुनाव: बिहार में राजनैतिक सरगर्मियां तेजी पर हैं। और हों भी क्यों न ? आखिर चुनाव जो होने जा रहे हैं। देश में बिहार की धरती हमेशा से ही लोकतंत्र व राजनीति के लिए उदाहरण पेश करती आई है। फिर चाहे वह चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक जैसे शासकों के शासनकाल की बात हो, जिन्होंने यह सिखाया की राजनीति निजी सुख, ऐश्वर्य, परिवार हित या स्वार्थ से कहीं आगे का विषय है। या फिर आजाद भारत में बिहार के पहले मुख्यमंत्री बने श्री कृष्ण सिंह की।
वर्तमान दौर में कुर्सी की भूंख में नेता आमजन के दिलों में अपनी जगह बना पाने में विफल नजर आ रहे हैं। शायद इसी का नतीजा है कि उन्हें यह लगता है कि हम पैसा खर्च करके ही चुनाव जीत सकते हैं। ऐसे लोगों के लिए ‘श्री कृष्ण सिंह’ एक मिशाल है। नेताओं को उनसे सीख लेकर लोकतंत्र को और अधिक मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
श्री कृष्ण सिंह ने कभी नहीं किया चुनाव प्रचार 
श्री कृष्ण सिंह जब भी चुनावी समर उतरते थे तो वह कभी भी चुनाव प्रचार नहीं करते थे। इसके पीछे उनका मानना था कि यदि वह सच्चे समाजसेवक हैं और लोग उन्हें पसंद करते हैं तो वह खुद-ब-खुद ही उन्हें चुन लेंगे। क्योंकि प्रत्येक जनप्रतिनिधि को काम करने के लिए पांच वर्ष का समय मिलता है।  ऐसे में यदि वह अपनी जिम्मेदारी व कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक करता है तो उसे वोट मांगने के लिए प्रचार करने की क्या जरूरत है।
गांधी जी कहने पर राजनीति में आए
बताते चलें कि 21 अक्टूबर 1887 को ननिहाल नवादा जिले के खनवां गांव में जन्में श्री कृष्ण सिंह युवावस्था से ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े और खुद को राष्ट्र के प्रति समर्पित कर दिया। 1916 में वाराणसी में गांधी जी को सुनने और देखने पहुंचे श्री सिंह गांधी से खासे प्रभावित हुए। 1917 में जब गांधी जी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी तब श्री सिंह ने किसानों का नेतृत्व किया था। गांधी जी के कहने पर ही श्री सिंह राजनीति में आए।
अपने काम व जनता पर था अटूट विश्वास 
आजादी के बाद 1952 में बिहार में पहले विधानसभा चुनाव हुए। जो देश की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण थे। श्री सिंह ने यह चुनाव मुंगेर जिले के खड़गपुर विधानसभा से लड़ा। अपने काम व जनता पर पूरा भरोसा रखने वाले श्री सिंह कभी चुनाव प्रचार में नहीं गए। बताया जाता है कि चुनाव के दौरान स्वतंत्रता सेनानी नंद कुमार ने पटना में एक बार श्री सिंह से कहा कि आपके निर्वाचन क्षेत्र में जनता आपके दर्शन करना चाहती है। श्री सिंह ने वस्तु स्थिति को समझते हुए तुरंत बोले कि मैं किसी से अपनी सिफारिश करने चुनाव मैदान में नहीं जाऊंगा। जनता मुझे जानती है। यदि वह मुझे छोड़कर किसी दूसरे को अपना प्रतिनिधि चुनना चाहती है तो उसे पूर्ण अधिकार है। जनता जो भी फैसला करेगी, मान्य होगा।
बने पहले मुख्यमंत्री 
आखिर श्री सिंह का भरोसा जीता और वह चुनाव में प्रचंड वोटों से जीते। इसके बाद वह बिहार के पहले मुख्यमंत्री भी बने। 1961 में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उनका देहांत हो गया। उनकी शवयात्रा में जुटी भीड़ ने दर्शा दिया था कि वह जनप्रिय नेता थे।
 

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