लखनऊ- माटीकला प्रदर्शनी के दूसरे दिन उमड़ी जबरदस्त भीड़, हाथों हाथ बिका लाखों का सामान

खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड कार्यालय में माटीकला बोर्ड की ओर से आयोजित 10 दिवसीय माटीकला प्रदर्शनी में आज दूसरे दिन 2.60 लाख रुपये से अधिक उत्पादों की बिक्री हुई।

खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड कार्यालय में माटीकला बोर्ड की ओर से आयोजित 10 दिवसीय माटीकला प्रदर्शनी में आज दूसरे दिन 2.60 लाख रुपये से अधिक उत्पादों की बिक्री हुई। प्रदर्शनी में 14 जनपदों के माटीकला शिल्पकारों ने अपने विशिष्ट उत्पादों का प्रदर्शन किया है।

इसमें मिट्टी की लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं, गोरखपुर का टेराकोटा तथा मिर्जापुर की ब्लैक पाटरी लोगों में आकर्षण का प्रमुख केन्द्र बने हुए है। इसके अतिरिक्त मिटट्ी से निर्मित डिजाइनर दीये, मूर्तियां, बर्तन, कुकर, कढ़ाई तथा पानी की बोतल भी लोगों को खूब पसंद आ रही है।

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बड़ा बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया

यह जानकारी अपर मुख्य सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग डा0 नवनीत सहगल ने दी। उन्होंने बताया कि पारंपरिक कला से जुडे़ मिट्टी कारीगरों का उत्साहवर्धन करने तथा अलग-अलग जगहों की कलाकृतियों को एक मंच पर लाकर बड़ा बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।

खरीदारों में प्रदर्शनी के प्रति खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही दीपावली पर्व पर कारीगरों के उत्पादों की अच्छी बिक्री होने से उनका मनोबल बढ़ा है, वहीं उनको आर्थिल लाभ भी हो रहा है। उन्होंने  बताया कि दीपावली के अवसर पर 05 नवम्बर से 13 नवम्बर तक माटीकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जिसमें जनपद मीरजापुर, कुशीनगर, आजमगढ़, बाराबंकी, बलिया, वाराणसी, उन्नाव, पीलीभीत, लखनऊ, अयोध्या, कानपुर, गोरखपुर, बुलन्दशहर एवं प्रयागराज से आये शिल्पकारो द्वारा अपने उत्कृष्ट उत्पादों का प्रदर्शन किया गया है।

दूर-दराज से आये कारीगरों का उत्सावर्धन भी होगा

डा0 सहगल ने बताया कि प्रदर्शनी में शिल्पकारों द्वारा मिटटी  से निर्मित उत्पादों का क्रियात्मक प्रदर्शन भी किया जा रहा है, जो लोगो के आकर्षण का केन्द्र हैं। प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए कारीगरों को निःशुल्क स्टाल आवंटित किये गये है। इसके साथ ही उनकी अन्य सुविधाओं पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने अपील की है कि अधिक से अधिक लोग प्रदर्शनी में आयें और हस्तशिल्पियों की नायाब कारीगरी का आनंद उठाये। इससे जहां लोगों को उत्कृष्ट कलाकृतियां खरीदने का मौका मिलेगा, वहीं दूर-दराज से आये कारीगरों का उत्सावर्धन भी होगा। इसके साथ ही स्वदेशी को भी बढ़ावा भी मिल सकेगा।

 

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