लखनऊ : विकास दुबे मामलें में एसआईटी का चौंकाने वाला बयान आया सामने

विकास दुबे मामले में एसआईटी द्वारा सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। 3200 पेज की जांच रिपोर्ट में 700 में विकास दुबे और उसके गैंग का काला चिट्ठा शामिल है।

लखनऊ। विकास दुबे मामले में एसआईटी द्वारा सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। 3200 पेज की जांच रिपोर्ट में 700 में विकास दुबे और उसके गैंग का काला चिट्ठा शामिल है। एसआईटी ने नौ अहम बिन्दुओ पर जांच की। कानपुर व कानपुर देहात में तैनात रहे 80 अधिकारी व कर्मचारी दोषी पाए गए है । जाँच में 50 पुलिसकर्मी भी दोषी करार दिए गए हैं ।

2 से 3 जुलाई दबिश की रात की सूचना भी विकास को पहले पहुंचाई गई थी

विकास दुबे और उसके गैंग से गठजोड़ का एसआईटी को काला चिट्ठा मिला है। एसआईटी ने खुलासा किया कि पुलिसकर्मी और उसके गैंग को कार्यवाही की सभी जानकारिया लीक करते थे। 2 से 3 जुलाई दबिश की रात की सूचना भी विकास को पहले पहुंचाई गई थी।
जिसके चलते विकास व उसके गुर्गो ने तैयारी कर की ।

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शेष पर जल्द कार्रवाई होने की संभावना है

8 पुलिसकर्मियों की हत्या की।असलहों के लाइसेंस जारी करने व राशन की दुकानो के आवंटन से जुड़े अधिकारी जांच के दायरे में आए। पुलिसकर्मियों की भूमिका और विकास दुबे के आर्थिक साम्रज्य को लेकर भी एसआईटी ने जांच की। जांच रिपोर्ट में पुलिस की गंभीर चूक उजागर की गई है। रिपोर्ट पर शासन में मंथन शुरू हो गया है। दोषी पाए गए अधिकारियों व कर्मचारियों में से कुछ पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है। शेष पर जल्द कार्रवाई होने की संभावना है।

अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित इस एसआईटी ने काफी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जो लगभग 3200 पृष्ठों की है। एसआईटी को कुल नौ बिन्दुओं पर जांच करके अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था। सूत्रों के अनुसार जिन 75 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है, उनमें से 60 फीसदी पुलिस विभाग के ही हैं। शेष 40 फीसदी प्रशासन, राजस्व, खाद्य एवं रसद तथा अन्य विभागों के हैं।

रिपोर्ट में प्रशासन व राजस्व विभाग के अधिकारियों के स्तर से भी कुख्यात विकास दुबे को संरक्षण दिए जाने की बात कही गई है। दागियों को शस्त्र लाइसेंस, जमीनों की खरीद-फरोख्त और आपराधिक गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश न लगाए जाने के कई मामलों को रिपोर्ट में शामिल किया गया है।

गत दो जुलाई को बिकरू कांड में आठ पुलिस कर्मियों के मारे जाने और 10 जुलाई को मुख्य अभियुक्त गैंगस्टर विकास दुबे के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद 11 जुलाई को एसआईटी का गठन किया गया था। इसमें एडीजी एचआर शर्मा और डीआईजी जे. रवीन्द्र गौड़ सदस्य बनाए गए थे। एसआईटी को पहले 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 30 अगस्त कर दिया गया।

 

 

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