तीनों सेनाओ में एक समान रिटायरमेंट आयु करने पर विचार कर रहा रक्षा मंत्रालय

रक्षा बजट का वेतन और पेंशन पर होने वाले खर्च के भारी भरकम हिस्से को कम करने, सैन्य अधिकारियों से लम्बे समय तक सेवा लेने की योजना

रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) आने वाले दिनों में सेना, वायुसेना और नौसेना के सैन्य अधिकारियों की रिटायरमेंट आयु को एक सामान कर सकता है। ऐसा करने के पीछे डीएमए ने रक्षा बजट से मात्र वेतन और पेंशन देने में होने वाले भारी भरकम खर्चे को आधार बनाया है।

इसके साथ ही डीएमए इस बात पर भी विचार कर रहा है कि किस तरह से सैन्य अधिकारियों से लम्बे समय तक सेवा ली जा सके। रक्षा क्षेत्र के विशेष सूत्रों से यह खबर मिली है कि अगर एक बार यह व्यवस्था लागू हो जाती है तो सशस्त्र बलों में रिटायर होने के बाद फिर से नौकरी देने की अवधारणा घट जायेगी।

डीएमए के इस कदम से अधिकारियों की कमी की भी समस्या हल हो सकेगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, दोबारा नियुक्त होने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी और उनके पद के बीच काफी भिन्नता थी जबकि उनको वेतन उनके पद के अनुरूप मिलता था। उनकी जिम्मेदारी और उनके पद के बीच काफी असमानता थी। सेना के इन अधिकारियों के वेतन और पेंशन इनके पद के आधार पर दिए जाते थे, जबकि इनकी जिम्मेदारियां निम्नतम पद की श्रेणी की थी। डीएमए इसी असमानता को खत्म करना चाहता है और इस क्रम में ऐसी व्यवस्था लाना चाहता है जिसमें दोबारा सैन्य सेवाओं में आने वाले अधिकारी अपने पद के समरूप तय जिम्मेदारियों पर ही काम कर सकें।

वर्तमान व्यवस्था के कारण सेना के आधुनिकीकरण में समस्या

भारत के पास विश्व की चौथी सबसे बड़ी सेना है। संख्या की दृष्टि से भारतीय सेना काफी सक्षम प्रतीत होती है परन्तु आज भी तकनिकी रूप से पर्याप्त विकसित नहीं हो पायी है। बीते कुछ वर्षों में भारत सरकार ने भारतीय रक्षा क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए इसके तीनों अंगों के आधुनिकीकरण को केंद्र में रखा है।

वर्तमान रिटायरमेंट आयु व्यवस्था भारतीय सैन्यबलों के आधुनिकीकरण में एक रुकावट जैसी थी। इसका कारण यह है कि रक्षा बजट का एक काफी बड़ा हिस्सा मात्र वेतन और पेंशन में खर्च हो जाता था जिसके कारण आवश्यक उपयोगी आधुनिक उपकरण और सुरक्षा के लिए प्रयुक्त होने वाले अन्य आधुनिक हथियार सेनाओं को मिलने में देरी होती थी। यह एक बड़ी जटिल समस्या थी परन्तु प्रस्तावित व्यवस्था लागू हो जाने के बाद इस स्थिति में काफी सकारात्मक सुधार आएगा।

तीनों सेनाओं के उच्चाधिकारियों की अलग अलग है रिटायरमेंट उम्र

भारतीय सेना में ‘कर्नल’ रैंक भारतीय वायु सेना के ‘ग्रुप कैप्टेन’ और नौसेना के ‘कैप्टेन’ पद के समकक्ष होती है. भारतीय सेना का कोई कर्नल अधिकतम 54 वर्षों तक अपनी सेवा दे सकता है. वायु सेना में रिटायरमेंट के दो अलग अलग मानक तय हैं. अगर अधिकारी फ्लाइंग ब्रांच का है और ग्रुप कैप्टेन के पद पर कमीशन हुआ है तब उसकी रिटायरमेंट आयु 54 साल है. इसके अलावा वायु सेना में नॉन फ्लाइंग ब्रांच का कोई ग्रुप कैप्टेन अधिकतम 56 वर्ष तक अपनी सेवा दे सकता है

इसी प्रकार,भारतीय सेना का ब्रिगेडियर पद भारतीय वायु सेना के एयर कोमोडोर और भारतीय नौसेना के कमोडोर पद के समकक्ष होता है. इनमे से ब्रिगेडियर और कोमोडोर की सेवानिवृत्ति 56 वर्ष की आयु में होती है, वहीं वायुसेना के एयर कमोडोर की सेवानिवृत्ति आयु फ्लाइंग ब्रांच और नॉन फ्लाइंग ब्रांच के लिए क्रमशः 56 और 58 वर्ष होती है.

आगे भारतीय सेना का मेजर-जनरल-रैंक, नौसेना में रियर एडमिरल और वायु सेना में एयर वाइस मार्शल के समकक्ष होता है.मेजर-जनरल-रैंक व रियर एडमिरल रैंक के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष है जबकि एयर वाइस मार्शल रैंक के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 59 वर्ष है.

 

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