ओवैसी के बयान से बिहार की सियासत में भूचाल, महागठबंधन की हिली नींव
बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम और आखिरी चरण का मतदान शनिवार को हो रहा है. बिहार की सत्ता वापस पाने के एनडीए ने पूरी ताकत झोंक दी है.
बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम और आखिरी चरण का मतदान शनिवार को हो रहा है. बिहार की सत्ता वापस पाने के एनडीए ने पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम कार्ड खेलकर सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. ओवैसी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, बिहार में यादव से ज्यादा मुस्लिम होने के बाद भी सबसे ज्यादा विधायक यादव बिरादरी से निकल कर विधानसभा पहुंचते हैं.
इन बयानों के बाद अब असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल के इन मुस्लिम (Muslim)बाहुल्य क्षेत्र में जनसभा को सम्बोधित करते हुए एक नया राजनीतिक भूचाल ला दिया है। उन्होंने CAA और NRC के मुद्दे को उठाते हुए NDA और विपक्ष पर जमकर हमला बोला। यहां तक कि उन्होंने बिहार में जातिगत आंकड़े बताते हुए विधानसभा में यादवों और मुस्लिमों की सीटों की हिस्सेदारी की बात कह डाली।
बताया वोट प्रतिशत
उन्होंने बिहार की बहादुरगढ़ विधानसभा में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में 14% यादव है, जबकि मुस्लिम 17% है। इसके बावजूद विधानसभा में यादव अधिक जीतकर पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि ये हम पर उंगली उठाते हैं, हमको एजेंट बताते हैं। अरे शर्म आनी चाहिए तुम्हें। 17% मुस्लिम आबादी होने के बावजूद मात्र 23 विधायक जीतते हैं और 14% यादव होने के बाद 55 से अधिक लोग जीतते हैं। और हमको एजेंट बताते हैं।
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आजमाए आक्रामक पैंतरे
बताते चलें कि, महागठबंधन ओवैसी को बीजेपी का एजेंट बताता है. यही वजह है कि, ओवैसी ने इन दलों को करारा जवाब दिया है.इस दौरान ओवैसी ने अपना तुरुप का इक्का झोंक दिया। जिससे सीमांचल क्षेत्र में सियासी हलचल मच गई। बता दें AIMIM ने सीमांचल और कोसी क्षेत्र में करीब दो दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसी दौरान मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वोटरों को लुभाने के लिए ओवैसी ने ये हिन्दू-मुस्लिम सहित सारे पैतरे आजमाए।
महागठबंधन को हो सकता है नुकसान
आपको बताते चलें कि असदुद्दीन ओवैसी ने 24 सीटों में से 6 सीटों में दलित, ओबीसी और आदिवासी उम्मीदवार बनाए हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो ओवैसी फैक्टर चुनाव में बड़ा प्रभाव डाल सकता है। इससे महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। ओवैसी ने बहुत ही सोच-समझकर मुस्लिम, यादव और अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतारे हैं। जो सीधे तौर पर महागठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश है।
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