PNB घोटाला: दुबई, हांगकांग की फाइलों से नीरव मोदी और बैंक के आला अधिकारियों की सांठगांठ की खुली पोल
नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले का मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी देश से फरार है. तकरीबन 13 हजार करोड़ के कथित घोटाले में सीबीआई नीरव की तलाश में जुटी हुई है. इस बीच नीरव और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के आला अधिकारियों के बीच मिलीभगत का नया खुलासा हुआ है. पीएनबी की दुबई और हांगकांग की शाखाओं की फाइलों की जांच से पता चला है कि नीरव ने बैंक के कुछ आला अधिकारियों के साथ मिलकर जमकर हेरफेर किया.
नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक की हांगकांग ब्रांच में लेनदेन 23 सितंबर, 2010 में शुरू किया था. तब से लेकर घोटाले के खुलासे तक नीरव पीएनबी की हांगकांग ब्रांच में 2149 बार लेनदेन कर चुका था. वहीं पीएनबी की दुबई ब्रांच में नीरव ने 3981 बार लेनदेन किया. नीरव मोदी के साथ हुए पैसों के इस लेनदेन का सारा डाटा पीएनबी ने छुपा कर रखा था. लेकिन अब इन आंकड़ों के खुलासे से पीएनबी की कार्यशैली की कई खामियां सामने आई हैं. जिनमें गलत बैंक अकाउंट को बायर्स क्रेडिट जारी करना, एक बिल के एवज में दो लेटर्स ऑफ क्रेडिट (एलओयू) जारी करना और निर्यातक (एक्सपोर्टर) का विवरण देने के बजाय ‘XYZ’ लिख देना. जाहिर है यह सारा गोलमाल बैंक के आला अफसरों की सहमति के बिना संभव नहीं है.
पीएनबी की दुबई, हांगकांग की ब्रांच से मिलीं फाइलों से घोटाले की कड़ियां जोड़ने में मदद मिलेगी
घोटाले की जांच में जुटी टीम ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की हैं. इनमें दो अहम बिजनेस हब से संबंधित पैसों के लेनदेन का विवरण भी शामिल है. पीएनबी की दुबई और हांगकांग की ब्रांच से मिलीं फाइलों के सैकड़ों पन्नों से घोटाले की कड़ियां जोड़ने में खासी मदद मिलेगी. इन फाइलों से घोटाले में नीरव के साथ शामिल पंजाब नेशनल बैंक के आला अधिकारियों पर भी शिकंजा कसा जा सकेगा, वहीं बलि का बकरा बनाए गए छोटे अधिकारियों को इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है.
पीएनबी घोटाले से जुड़ी बैंक की दुबई और हांगकांग ब्रांच की फाइलों का फ़र्स्टपोस्ट ने भी अध्ययन किया है. फाइलों के मुताबिक, पीएनबी द्वारा 22 फरवरी, 2011 को फायरस्टार डायमंड लिमिटेड के हांगकांग के खाता संख्या 7111000149 को 141277 डॉलर का बायर क्रेडिट मंजूर किया गया था. हालांकि इस मामले में बैंक ने बाद में महसूस किया कि उसने बिना किसी लिखित अनुरोध के बायर्स क्रेडिट मंजूर किया है. लिहाजा बाद में बैंक ने जारी की गई रकम को वापस ले लिया. लेकिन उसी दिन नीरव मोदी की एक और फर्म फायरस्टार इंटरनेशनल मुंबई को एक अलग एलओयू जारी कर दिया गया. उसी दिन फायरस्टार डायमंड लिमिटेड की ओर से एक लेनदेन किया गया था और पीएनबी की हांगकांग ब्रांच में ब्रिलिएंट डायमंड्स के लिए कथित तौर पर नकली इनवॉइस संख्या 239/ 26.11.10 के जरिए 2030433 डॉलर का एलओयू जारी हुआ. यह सारा विवरण और जानकारियां पीएनबी के हेड ऑफिस को विधिवत तरीके से भेजे गए थे. लेकिन फाइलें बताती हैं कि फर्जीवाड़ा में शामिल किसी भी बैंक अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
अगले दिन 23 फरवरी, 2011 को पीएनबी हांगकांग को 7 एलओयू प्राप्त हुए. पहला एलओयू जोकि 587335 डॉलर का था. उसे बिल संख्या 0002511 पर जारी किया गया था. वहीं दूसरा एलओयू 750726 डॉलर का था. उसे बिल संख्या 0002611 पर जारी किया गया था. जबकि 3218771 डॉलर के बाकी के पांच लेनदेन बिल संख्या 0002411, 0002111, TR1108 और 0002211 के आधार पर किए गए थे.
पीएनबी के दुबई और हांगकांग ब्रांच से जमकर फर्जीवाड़ा किया
फायरस्टार डायमंड लिमिटेड को एक और एलओयू 1 जून, 2011 को गलत तरीके से जारी किया गया था. बाद में इस एलओयू को वापस ले लिया गया था. फाइलों में इसका एंट्री नंबर 318 दर्ज है. दो दिन बाद यानी 3 जून, 2011 को एक और बायर क्रेडिट गलत तरीके से नीरव मोदी की कंपनी को जारी किया गया था. जिसे पीएनबी की ब्रैडी हाउस ब्रांच ने रिकॉल कर लिया था.
फाइलों में लेनदेन की एंट्री नंबर 330 और 506 से सड़ चुके बैंकिंग सिस्टम के भीतर की कमजोरियों की पोल खुल जाती है. दरअसल एंट्री नंबर 330 और 506 के जरिए हुए फर्जीवाड़े की सूचना बाकायदा पीएनबी हेड ऑफिस भेजी गई थी. लेकिन इसके बावजूद बैंक के आला अधिकारियों ने खाता संख्या 7111000149 के लेनदेन की जांच के आदेश नहीं दिए. 20 मार्च, 2014 को पीएनबी ने एक ही बिल पर दो एलओयू जारी कर के भारी गलती की. इन दोनों ही एलओयू को एंट्री नंबर 1319 पर बिल संख्या 512 के माध्यम से जारी किया गया था. लेकिन जब पीएनबी घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो हांगकांग की ब्रांच में हड़कंप मच गया. जिसके बाद इन दोनों ही एलओयू को भारत में वापस ले लिया गया. यही नहीं इन फर्जी एलओयू के मुद्दे को खामोशी के साथ दफना भी दिया गया.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘कहा जाए तो, पीएनबी घोटाले का पर्दाफाश बैंक मैनेजरों और निम्न श्रेणी के क्लर्कों ने किया. पीएनबी के हेड ऑफिस को गड़बड़ियों की जो जानकारियां भेजी गईं थीं वो गलत भी हो सकती हैं. लेकिन एक बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि बैंक के शीर्ष रैंक के अधिकारियों को नीरव मोदी के गोलमाल की पूरी जानकारी थी. भारत से अन्य देशों में होने वाले सभी वित्तीय लेनदेन की निगरानी अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग डिवीजन द्वारा की जाती है. लिहाजा इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आला अधिकारी बैंक के अंदर होने वाले फर्जीवाड़े से अनजान थे. भारत से अन्य देशों में होने वाला वित्तीय लेनदेन ट्रेजरी डिपार्टमेंट (वित्त विभाग) के अधिकार क्षेत्र में भी आता है. ऐसे में जाहिर है कि फाइलों को सुपरवाइज करते वक्त ट्रेजरी डिपार्टमेंट भी पैसों के गोलमाल से वाकिफ रहा होगा.’
पीएनबी की हांगकांग ब्रांच से एक ही बिल पर दो बायर क्रेडिट बनाए गए
मार्च 2011 में पीएनबी की हांगकांग ब्रांच से एक ही बिल पर दो बायर क्रेडिट 47710003211 और 47710003311 बनाए गए. इसी प्रकार 27 और 30 मई, 2011 को एक ही बिल संख्या 4771000 9111 का इस्तेमाल कई बायर क्रेडिट प्राप्त करने के लिए किया गया. 23 और 24 दिसंबर, 2015 को एक ही बिल का इस्तेमाल हांगकांग में बायर क्रेडिट प्राप्त करने के लिए किया गया था. यहां बिल संख्या 149 का इस्तेमाल हुआ था. बायर क्रेडिट की यह पूरी रकम 975000 डॉलर थी. बिल संख्या 149 का इस्तेमाल एक बार फिर से 28 जनवरी, 2016 को बायर क्रेडिट पाने के लिए किया गया. इस बार बायर क्रेडिट की रकम 89474 डॉलर थी.
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आगे बताया कि, ‘हांगकांग में हुए लेनदेन से संबंधित पूरी फाइल में हर जगह गलतियां और गड़बड़ियां हैं, जिन्हें आसानी से पकड़ा जा सकता है. लेकिन नीरव मोदी के मामले में बैंक के अधिकारियों ने इसे साफ तौर पर नजरअंदाज किया.’
नीरव मोदी ने पीएनबी के आला अधिकारियों के साथ मिलकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को चूना लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. यह आला अधिकारियों की मिलीभगत ही थी जो बिना किसी वास्तविक बिल के नीरव मोदी की कंपनियों को बायर्स क्रेडिट जारी किए गए. 3 जनवरी, 2013 को फायरस्टार इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को 4824929 डॉलर का बायर क्रेडिट बिना किसी बिल के जारी किया गया. फायरस्टार इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का खाता मुंबई की ब्रैडी हाउस ब्रांच में है. बिना बिल के नीरव मोदी की कंपनियों को बायर क्रेडिट जारी करने का यह अकेला मामला नहीं है. असल में यह फर्जीवाड़ा तो मार्च 2011 में शुरू हुआ था. उस समय फायरस्टोन इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खाता संख्या 7156002935 को बिना बिल के ही 4265736 डॉलर का बायर क्रेडिट प्रदान किए गया था. इसके बाद पीएनबी की ब्रैडी हाउस ब्रांच ने फायरस्टार इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खाता संख्या 7156002935 की क्रेडिट वेल्यू और बढ़ा दी. फरवरी 2012 में हांगकांग में फायरस्टार को 1903304 डॉलर का बायर क्रेडिट दिया गया.
पूछे गए सवालों का पीएनबी के मैनेजिंग डायरेक्टर की तरफ से कोई जवाब नहीं आया
फ़र्स्टपोस्ट ने दुबई और हांगकांग की फाइलों के संबंध में 19 जून को पीएनबी के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील मेहता को एक प्रश्नावली (सवाल) भेजी थी. जिसमें सभी फर्जी बायर्स क्रेडिट, बैंक की कमजोर कड़ियों, बैंक के डाटा और फर्जीवाड़े में शामिल बैंक के आला अधिकारियों के संबंध में सवाल पूछे गए थे और उनपर सुनील मेहता की टिप्पणी मांगी गई थी. लेकिन इस बाबत अभी तक पीएनबी के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील मेहता की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.
दुबई की फाइलों के विवरण से भी घोटाले में पीएनबी के शीर्ष प्रबंधन की मिलीभगत का शक बढ़ जाता है. दुबई में बायर क्रेडिट को ‘XYZ’ के तौर पर दर्ज बिलों पर प्रदान किया गया था. फाइल में कहीं भी बिल संख्या या निर्यातक का नाम दर्ज नहीं है. बिना नाम और बिल संख्या वाले ऐसे कम से कम 50 लेनदेन दुबई में किए गए थे. इस फर्जीवाड़े को आसानी से पकड़ा जा सकता था. लेकिन पीएनबी के हेड ऑफिस ने फर्जी वित्तीय लेनदेन पर जरा भी गौर नहीं किया.
15 सितंबर, 2013 को पंजाब नेशनल बैंक की दुबई ब्रांच ने फायरस्टार डायमंड FZE को बायर क्रेडिट प्रदान किया था. इस बायर क्रेडिट के लिए खाता संख्या गलत तरीके से उल्लेखित की गई थी. बाद में इस बायर क्रेडिट को ब्रांच ने वापस ले लिया था. लेकिन इस मामले में किसी बैंक अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. यही वजह है कि अगले ही दिन यानी 16 सितंबर, 2013 को बिल संख्या 6171OTT13000455 और 6171OTT13000456 पर कम से कम चार बायर्स क्रेडिट जारी किए गए. 14 अगस्त, 2014 को दुबई में 9700000 डॉलर राशि का बायर क्रेडिट फायरस्टार डायमंड FZE की ओर से गलत तरीके से जमा किया गया था. जिसे बाद में पीएनबी की दुबई ब्रांच ने वापस ले लिया था. लेकिन इस मामले में भी किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. इसके बजाए 21 अगस्त, 2014 को बिल संख्या 0006814 पर 2000000 डॉलर का एक और बायर क्रेडिट जारी किया गया था.
नीरव मोदी की कंपनी को कई बार गलत तरीके से बायर क्रेडिट जारी किया गया
दिलचस्प बात यह है कि, 25 जनवरी, 2017 को भी नीरव मोदी की कंपनी को गलत तरीके से बायर क्रेडिट जारी किया गया था. बाद में जिसे वापस लेने के लिए बैंक अधिकारियों को मजबूर होना पड़ा. फाइलों में इस बायर क्रेडिट की एंट्री 25/01/17D182 के तौर पर दर्ज है. उसी महीने दुबई में नीरव मोदी की मेल बॉक्स कंपनियों को एक और बायर क्रेडिट गलत तरीके से जारी किया गया था. जिसकी वापसी प्रक्रिया का ब्यौरा फाइल में 2017D199 के तहत उल्लेखित है.
नीरव मोदी की कंपनी के दुबई के खाते को 19 फरवरी, 2018 को बंद किया गया. पीएनबी की दुबई ब्रांच से नीरव मोदी की कंपनी फायरस्टार डायमंड FZE को 28 मार्च, 2013 से लेकर 1 सितंबर, 2013 के दौरान 2000000 डॉलर राशि के बायर्स क्रेडिट कथित तौर पर फर्जी बिलों पर जारी किए गए. उन कथित फर्जी बिलों की आईडी -0913, 9113, 761, 2313 और और 1813 है.
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