सहारनपुर: आईएमए के निर्देश पर एलोपैथिक डॉक्टर्स की सांकेतिक हड़ताल
आईएमए के केंद्रीय कार्य समिति के निर्देश पर देश भर के आईएमए के चिकित्सकों द्वारा खुद को सांकेतिक धरने पर रखा हुआ है वही आज सहरानपुर के डॉक्टर्स भी सांकेतिक धरने पर है सभी डॉक्टर कोरोना महामारी को देखते हुर अपने हॉस्पिटल में बैठकर केवल इमरजेंसी मरीजों का ही इलाज कर रहे हैं।
आईएमए के केंद्रीय कार्य समिति के निर्देश पर देश भर के आईएमए के चिकित्सकों द्वारा खुद को सांकेतिक धरने (symbolic strik) पर रखा हुआ है वही आज सहरानपुर के डॉक्टर्स भी सांकेतिक धरने पर है सभी डॉक्टर कोरोना महामारी को देखते हुर अपने हॉस्पिटल में बैठकर केवल इमरजेंसी मरीजों का ही इलाज कर रहे हैं।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के बाद से ही भारत सरकार स्वदेशी वस्तुओं और उद्योगों को लगातार बढ़ावा दे रही हैं इसी क्रम में भारत सरकार ने चिकित्सक के क्षेत्र में आयुर्वेद को और बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद के पोस्टग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने की परमिशन देने का फैसला किया है हाला की एलोपैथिक डॉक्टरों की संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आयुर्वेद डॉक्टर को मिल रहे सर्जरी के अधिकारों का विरोध कर रही है।
सभी अधिकारों के लिए हम सरकार का आभार व्यक्त करते हैं
वही आयुष चिकित्सक सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं नगर के आयुष सर्जन डॉक्टर नौशाद अली खान ने कहा कि सरकार द्वारा आयुष चिकित्सकों को दिए गए सभी अधिकारों के लिए हम सरकार का आभार व्यक्त करते हैं और आधुनिक तकनीक की उम्मीद करते हैं उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से सहयोग करने की बात कही और कहा कि हमें सहयोग कर कॉन्फ्रेंस व मीटिंग में बुलाएं और नई तकनीकीओ की जानकारी दें।
दूसरी तरफ एलोपैथिक डॉक्टर अजय का कहना है कि आज का जो विषय है हमे सांकेतिक धरना (symbolic strik) करने के लिए मजबूर होना पड़ा है सरकार एक नियम लाई है जिसके तहत मिसकोपैथी या क्रॉसपेथी को भारत में लागू करना चाहती है इसका हम सम्मान करते हैं और आयुर्वेद हमारी धरोहर है इसको बढ़ाना चाहिए जबकि बड़ी बात यह है कि आयुर्वेद के चिकित्सकों को पता ही नहीं है कि सर्जरी कैसे करना है उनको बहुत ही कम ही सर्जरी की ट्रेनिंग दी जाती है।
उन सबको अलाउड करने जा रही है कि वह सर्जरी कर पाए जिसमें सरकार ने निर्धारित ही नहीं किया कि वह कौन सी सर्जरी कर पाए उनकी ट्रेनिंग कैसे होगी, जो लोग पहले से ही पास करके आ चुके हैं उनकी ट्रेनिंग कैसे होगी सरकार के लिए यह नियम लाना जल्दबाजी होगी जो कि मरीज के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है अगर गरीब व्यक्ति हो तो इसका मतलब यह नहीं है कि अनट्रेंड डॉक्टर द्वारा इलाज के लिए मरीज को छोड़ दिया जाए
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