सुल्तानपुर: लॉकअप में बंदी राजेश कोरी की मौत के मामले में आया नया मोड़

खबर सुल्तानपुर से है जहां लॉकअप में बंदी राजेश कोरी की मौत के मामले में राजनीतिक मोड़ आ गया है।

खबर सुल्तानपुर से है जहां लॉकअप में बंदी राजेश कोरी की मौत के मामले में राजनीतिक मोड़ आ गया है। करीब 25 दिन पूर्व हुई मौत के मामले में तत्कालीन एसओ, दरोगा और सिपाही के विरुद्ध हत्या का मुकदमा तो दर्ज हुआ लेकिन आरोपियो की गिरफ्तारी नही होने को लेकर आज अंबेडकर सेना ने प्रदर्शन किया।

बताते चलें कि राजेश कोरी प्रकरण का संज्ञान उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने लेकर 11 जून को एक पत्र जिला प्रशासन को लिखकर रिपोर्ट मांगी थी। तो इस संदर्भ में डीएम रवीश गुप्ता ने एसडीएम रामजीलाल को मजिस्ट्रेटीरियल जांच सौंपी थी। आयोग को आख्या भेजने के बाबत एसडीएम रामजीलाल ने सोमवार 14 जून को एक सूचना जारी किया कि घटना से संबंधित जिसे अपना बयान दर्ज कराना है़ वो दस दिनो में आकर बयान दर्ज करा सकता है़।

तो वही उक्त सूचना पत्र में एसडीएम रामजीलाल द्वारा दर्शाया गया है़ कि कुड़वार थाना क्षेत्र के जगदीशपुर गांव निवासी राजेश कोरी ने थाने के हवालात के बाथरूम में शर्ट से फांसी लगा लिया था। उन्होंने लिखा कि गंभीर हालत में उसे प्राथमिक उपचार के लिए हेड कांस्टेबल बृजेश सिंह और होमगार्ड राम लल्लन उपाध्याय सीएचसी कुड़वार लेकर गए । जहां डॉक्टरों ने उसे 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेज दिया था। जहां जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।

इसी मामले में एसपी डॉ. विपिन मिश्रा ने तत्कलीन एसओ अरविंद पाण्डेय, दरोगा शस्त्राजीत और सिपाही बृजेश सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया था। 4 जून को जब मामले ने राजनैतिक रूप ले लिया तो मृतक के परिवारीजनों की तहरीर पर तत्कलीन एसओ अरविंद पाण्डेय, दरोगा संजय यादव और सिपाही बृजेश सिंह के विरुद्ध हत्या और एससीएसटी का मुकदमा दर्ज कर दिया गया। सवाल वाजिब है़ जब मजिस्ट्रेट मान रहे हैं कि बंदी ने फांसी लगाई तो आत्महत्या के मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज करने की आवश्कता क्यों पड़ गई? इसका जवाब देने के लिए अब कोई अधिकारी तैयार नही है़।

सुल्तानपुर से सन्तोष पाण्डेय की रिपोर्ट

 

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