UN के मंच से ही सुषमा का नवाज को करारा जवाब

न्यू यॉर्क। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सभा में कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान को उसी मंच से बेहद कड़ा जवाब दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में वार्षिक आम बहस को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तानी पीएम को जवाब देते हुए कहा कि वे चार सूत्र की जगह आतंकवाद का एक सूत्र ही पकड़ लें तो काफी होगा। उन्होंने मुंबई हमले पर भी पाकिस्तान को घेरते हुए कहा कि इसके गुनहगार पाकिस्तान में खुले आम घूम रहे हैं। बैठक के दौरान दुनिया के करीब 150 देशों के नेता इकट्ठा थे।
सुषमा ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि ‘कल पाकिस्तान के पीएम ने चार सूत्रों की बात कही थी। मैं कहूंगी कि चार नहीं एक ही सूत्र काफी है। मैं पाकिस्तान के पीएम को कहना चाहूंगी कि आतंकवाद को छोड़िए और बात कीजिए।’
उन्होंने मुंबई हमले के दोषियों पर कार्रवाई की बात भी यूएन के पटल पर जोरदार ढंग से रखी। उन्होंने कहा कि ‘2008 में मुंबई टेरर अटैक से समूचा विश्व आक्रोशित हुआ। इसमें विदेशी नागरिक भी मारे गए। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए अपमान की बात है कि इसके लिए जिम्मेदार आतंकी खुला घूम रहा है।’
सुषमा ने कहा कि हम आतंकवाद की परिभाषा तय करने में उलझे हुए हैं लेकिन आतंकवाद को अच्छे और बुरे में नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्र आतंकवादियों को सुरक्षित ठिकाने देते हैं, हथियार देते हैं, अंतर्राष्ट्रीय समुदायों को ऐसे राष्ट्रों के खिलाफ खड़ा होना होगा। सुषमा ने आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान के दोहरे रवैये को भी सबके सामने रखते हुए कहा कि एक तरफ शांति के लिए बातचीत की बात कही जाती है और दूसरी तरफ सीमा पार से लगातार हमले जारी हैं। उन्होंने यह साफ कर दिया कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते।
सुषमा ने आतंकवाद और असुरक्षा के मौजूदा दौर में संयुक्त राष्ट्र के अपर्याप्त प्रयासों के लिए संस्था पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मौजूदा सुरक्षा परिषद के ढांचे को बदलने की बात कही। विदेश मंत्री ने कहा कि ‘विश्व के तीन महाद्वीप युद्ध की त्रासदी झेल रहे हैं, लेकिन सुरक्षा परिषद इसे रोकने में या तो अनिच्छुक है या अक्षम।’
उन्होंने कहा कि यूएन अपनी स्थापना के 70 साल पूरे करने जा रहा है, और इस ऐतिहासिक मौके पर अब इसे खुद को मौजूदा चुनौतियों के लिहाज से बदलना होगा।
सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों में भारतीय योगदान को भी पुरजोर तरीके से रखा। उन्होंने कहा कि ‘भारत ने आज तक 1 लाख 80 हजार शांति सैनिक यूएन को दिए हैं, लेकिन यह दुःख की बात है कि जो देश शांति सैनिक के तौर पर योगदान करते हैं निर्णय प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं है।’
उन्होंने निर्णय प्रक्रिया में विकासशील देशों को भी शामिल किए जाने की बात कही। सुषमा स्वराज ने अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र द्वारा महात्मा गांधी के जन्मदिन को अंहिसा दिवस के रूप में घोषित किए जाने पर आभार व्यक्त किया।
अपने संबोधन में सुषमा स्वराज ने विश्व के नेताओं के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया कि भारत की चिंताएं केवल उसकी नहीं हैं बल्कि ये वैश्विक महत्व रखती हैं। उन्होंने आतंकवाद के अलावा टिकाऊ विकास पर भी भारत की चिंताओं को यूएन पटल पर रखा। उन्होंने कहा कि ‘हमारा भविष्य ऐसा होना चाहिए कि हम अपनी पीढ़ियों को ऐसा विश्व दें जो टिकाऊ हो। आज अगर महात्मा गांधी होते तो वह यह जरूर पूछते कि क्या हमने संसाधनों का जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया है या लालच से?’
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