रामपुर: गुमनाम हीरो को 36 साल बाद मिला सम्मान

रामपुर में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने साहबजादा कर्नल यूनुस खां की प्रतिमा का आज लोकार्पण किया।

रामपुर में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने साहबजादा कर्नल यूनुस खां की प्रतिमा (statue) का आज लोकार्पण किया। साथ ही शहीद स्मार्क का भी लोकार्पण हुआ।साहबजादा कर्नल यूनुस खां रामपुर रियासत के मुख्यमंत्री रहे सर अब्दुस समद खां के बेटे ओर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री साहबजादा याकूब के भाई थे।

1942 में साहबजादा यूनुस खां ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी ज्वाइन की थी। द्वितीय विश्व युद्ध में उनकी तैनाती बर्मा (रंगून) में थी, 1945 तक इटली में तैनात रहे। द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद इंग्लैंड गए, जहां लार्ड माउंटन बेटेन से मिले। ब्रिटिश भारत वायसराय बनने के लार्ड ने उन्हें अपना एडीसी नियुक्त किया। 1947 विभाजन के वक्त उनके छोटे भाई साहबजादा याकूब खां पाकिस्तान चले गए। यूनुस खां भारत में ही रहे और भारतीय सेना की गढ़वाल रेजिमेंट का हिस्सा बने। 1948 के भारत-पाक युद्ध में दोनों भाई एक-दूसरे खिलाफ जंग लड़े। उस समय याकूब पाकिस्तान आर्मी में थे। कर्नल युनूस खां भारत के अंतिम गर्वनर जनरल सी राजगोपालाचारी और देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के एडीसी भी रहे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर राज्य के गर्वनर के एडीसी के रूप में भी कार्य किया।

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1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान वह कश्मीर में तैनात थे। 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय वह बरेली में नियुक्त थे। 1969 में कर्नल के पद से वो सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद वह अलीगढ़ चले गए थे। वहीं इनके छोटे भाई साहबजादा याकूब सेना की नौकरी के बाद राजनीति में आ गए थे और वह पाकिस्तान के विदेश मंत्री तक रहे थे। वहीं यूनुस खां सेवानिवृत्त होने के बाद गुमनामी की दुनिया में खो गए। 1984 में उनका इंतकाल हो गया था।

रामपुर में देश की खातिर जान गंवाने वाले रामपुर के वीर सपूतों की याद में गांधी समाधि के पास बनाए गए शहीद स्मारक का लोकार्पण आज केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने किया। स्मारक में रामपुर के सात वीर जवानों की तस्वीरें लगाई गईं हैं। इसके साथ ही नकवी गांधी समाधि के पास ही कर्नल यूनुस खान की प्रतिमा का भी लोकार्पण हुआ।

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रामपुर के शहीदों की स्मृति संजोने के लिए शहीद स्मारक बनाने की योजना बनाई गई थी। गांधी समाधि के पास पार्क में शहीद स्मारक बनाने की जिम्मेदारी रामपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) को सौंपी गई थी। आरडीए ने इसकी जिम्मेदारी लखनऊ के एक आर्किटेक्ट को सौंपी थी। योजना यह थी कि दो अक्तूबर से पहले शहीद स्मारक तैयार कर दिया जाए लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से कार्य में तेजी नहीं आ सकी। अब दोबारा से यहां पर शहीद स्मारक बनाने का काम तेज कर दिया गया है। शहीद स्मारक वाल इंग्रेव (किसी ठोस वस्तु की सतह पर कट या नक्काशी) करके तैयार किया गया। यहा शहीदों के चित्र भी लगा दिए गए हैं। शहीदों में सिपाही दर्शन सिंह,सिपाही शिव चरण,नायक जीत सिंह,मेजर अब्दुल राफे, लखवंत सिंह,सिपाही बलजीत सिंह, सिपाही रंजीत सिंह शामिल है।

Report- Zeeshan Khan
 

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