श्रीमद्भगवद्गीता के इन रहस्यों को जानकर चौंक जाएंगे आप….

हिन्दू धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता ऐसी रहस्मई पुस्तक है जिसमें जीवन के हर उन प्रश्नों के उत्तर छुपे हैं जो मनुष्य के जीवन में घटित होते हैं. मान्यताओं के अनुसार इस ग्रन्थ में जितनी भी बातें कही गई हैं.

हिन्दू धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता ऐसी रहस्मई पुस्तक है जिसमें जीवन के हर उन प्रश्नों के उत्तर छुपे हैं जो मनुष्य के जीवन में घटित होते हैं. मान्यताओं के अनुसार इस ग्रन्थ में जितनी भी बातें कही गई हैं. वो सब स्वयं भगवान् श्री कृष्ण के मुख से बोली गईं हैं. इसमें जितने भी उपदेश दिए गए हैं वो सब कुरुक्षेत्र की रणभूमि में भगवान् श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को महाभारत के युद्ध से पूर्व दिए गए उपदेश हैं. तो चलिए जानते हैं इस पुस्तक की कुछ रोचक बातें-

गीता के ज्ञान को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कुरुक्षेत्र में खड़े होकर दिया था. यह श्रीकृष्‍ण-अर्जुन संवाद नाम से विख्‍यात है.

वैसे तो गीता श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ एक संवाद है, लेकिन कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के माध्यम से उस कालरूप परम परमेश्वर ने गीता का ज्ञान विश्व को दिया. श्रीकृष्ण उस समय योगारूढ़ थे.

गीता के चौथे अध्याय में कृष्णजी कहते हैं कि पूर्व काल में यह योग मैंने विवस्वान को बताया था. विवस्वान ने मनु से कहा. मनु ने इक्ष्वाकु को बताया. यूं पीढ़ी दर पीढ़ी परम्परा से प्राप्त इस ज्ञान को राजर्षियों ने जाना पर कालान्तर में यह योग लुप्त हो गया. और अब उस पुराने योग को ही तुम्हें पुन: बता रहा हूं. परंपरा से यह ज्ञान सबसे पहले विवस्वान् (सूर्य) को मिला था. जिसके पुत्र वैवस्वत मनु थे.

श्रीकृष्ण के गुरु घोर अंगिरस थे। घोर अंगिरस ने देवकी पुत्र कृष्ण को जो उपदेश दिया था वही उपदेश श्रीकृष्ण गीता में अर्जुन को देते हैं. छांदोग्य उपनिषद में उल्लेख मिलता है कि देवकी पुत्र कृष्‍ण घोर अंगिरस के शिष्य हैं, और वे गुरु से ऐसा ज्ञान अर्जित करते हैं जिससे फिर कुछ भी ज्ञातव्य नहीं रह जाता है. यद्यपि गीता द्वापर युग में महाभारत के युद्ध के समय रणभूमि में किंकर्तव्यविमूढ़ अर्जुन को समझाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा कही गई थी, किंतु इस वचनामृत की प्रासंगिकता आज तक बनी हुई है.

गीता में भक्ति, ज्ञान और कर्म मार्ग की चर्चा की गई है. उसमें यम-नियम और धर्म-कर्म के बारे में भी बताया गया है. गीता ही कहती है कि ब्रह्म (ईश्वर) एक ही है. गीता को बार-बार पढ़ेंगे तो आपके समक्ष इसके ज्ञान का रहस्य खुलता जाएगा. गीता के प्रत्येक शब्द पर एक अलग ग्रंथ लिखा जा सकता है. गीता में सृष्टि उत्पत्ति, जीव विकासक्रम, हिन्दू संदेवाहक क्रम, मानव उत्पत्ति, योग, धर्म, कर्म, ईश्वर, भगवान, देवी, देवता, उपासना, प्रार्थना, यम, नियम, राजनीति, युद्ध, मोक्ष, अंतरिक्ष, आकाश, धरती, संस्कार, वंश, कुल, नीति, अर्थ, पूर्वजन्म, जीवन प्रबंधन, राष्ट्र निर्माण, आत्मा, कर्मसिद्धांत, त्रिगुण की संकल्पना, सभी प्राणियों में मैत्रीभाव आदि सभी की जानकारी है.

3112 ईसा पूर्व हुए भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. कलियुग का आरंभ शक संवत से 3176 वर्ष पूर्व की चैत्र शुक्ल एकम (प्रतिपदा) को हुआ था. वर्तमान में 1939 शक संवत है.आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ. इस युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने देह छोड़ दी थी तभी से कलियुग का आरंभ माना जाता है. उनकी मृत्यु एक बहेलिए का तीर लगने से हुई थी. तब उनकी तब उनकी उम्र 119 वर्ष थी. इसका मतलब की आर्यभट्ट के गणना अनुसार गीता का ज्ञान 5154 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button