आखिर, क्यों अपने राम (केजरीवाल) से बगावत कर बैठे उनके “हनुमान”, आप की ‘आंतरिक राजनीती’ का ये “सच” आपको “हैरान” का देगा
नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल के सबसे करीबी कहे जाने वाले कपिल मिश्रा ने उन पर दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने के आरोप लगाए हैं. साथ ही कहा है कि टैंकर घोटाले की जांच में उन्होंने शीला दीक्षित को बचाने का प्रयास किया था.
ये वही कपिल मिश्रा हैं जिनके लिए अरविंद केजरीवाल राम के समान थे, और कपिल को अरविंद का हनुमान माना जाता था. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसा आखिर क्या हुआ कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की घोषणा करके सत्ता में आए केजरीवाल पर कपिल ने ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाए दिए. हम आपको बताते हैं कैसे अरविंद के कट्टर समर्थक से धुर विरोधी बन गए कपिल मिश्रा.
अन्ना आंदोलन से अरविंद केजरीवाल के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले कपिल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. युवा होने के कारण कपिल ने अन्य युवाओं को भी आप से जोड़ने के लिए जी-तोड़ मेहनत की. छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे कपिल बेहद जुझारू भी रहे हैं. वे अरविंद को विभिन्न मसलों पर राय भी देते थे.
एक चश्मदीद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अप्रैल 2015 में नेशनल काउंसिल की बैठक कापसहेड़ा बॉर्डर में आयोजित की गई थी. जिसमें योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर करने के बाद शांति भूषण और प्रशांत भूषण पर फैसला किया जा रहा था. वहीं शांति भूषण और प्रशांत भूषण केजरीवाल से संयोजक या मुख्यमंत्री में से एक पद लेने की मांग कर रहे थे.
ऐसे में अरविंद केजरीवाल पर ऊंगली उठते देख कपिल मिश्रा आपा खो बैठे और शांति भूषण व प्रशांत भूषण के पीछे दौड़ पड़े थे. कपिल ने दोनों को बैठक से बाहर जाने के लिए भी कह दिया था. इसके बाद शांति व प्रशांत दोनों ही पार्टी का हिस्सा नहीं रहे.
अरविंद ने भरोसेमंद होने के कारण कपिल को 2015 में कानून मंत्रालय से लेकर दिल्ली जल बोर्ड और पर्यटन विभाग की जिम्मेदारी दी थी. यहां तक कि कपिल के काम की भी अरविंद ने सार्वजनिक मंचों से तारीफ की. मंत्री पद मिलने पर कपिल ने भी जोर-शोर से काम को लेकर मीडिया में बयानबाजी शुरू कर दी.
दो महीने के अंदर ही कपिल ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर टैंकर घोटाले का आरोप लगाते हुए अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा और शीला के खिलाफ एफआईआर की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने जांच के लिए फाइल भी भेज दी.
आम आदमी पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक पत्र लिखने के महज तीन दिन बाद और फाइल भेजने के बाद ही कपिल से कानून मंत्रालय छीन लिया गया. इससे कपिल काफी आहत हुए.
हालांकि कपिल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और शीला दीक्षित पर कार्रवाई को लेकर वह सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाते रहे. इस दौरान कपिल के साथ कई अन्य आप नेता भी आ गए. इसके बाद कपिल हाल ही में हुए कुमार विश्वास के मामले में कुमार के समर्थन में खुलकर आ गए. वहीं एमसीडी चुनावों में मिली शिकस्त पर अरविंद केजरीवाल के ईवीएम पर लगाए गए आरोपों का भी कपिल ने विरोध किया. यहीं से कपिल में पार्टी लाइन से हटने और बागी होने की सुगबुगाहट शुरू हो गई.
कपिल मिश्रा की मां अन्नपूर्णा कहती हैं कि जब किसी चीज की अति हो जाएगी तो गुबार तो एक दिन फूटेगा ही. एक मंत्री कार्रवाई चाहता है लेकिन दूसरा मंत्री उस फाइल को दबाकर बैठ जाता है तो सब्र का बांध तो टूटेगा ही.
अन्नपूर्णा का कहना है कि कपिल पार्टी के साथ एक अच्छी भावना लेकर जुड़े थे. लेकिन जिस आस्था से जुड़े हैं अगर वह न पूरी हो तो हताशा आती है. उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने केजरीवाल से भ्रष्टाचार पर कई बार कार्रवाई करने की मांग की, लेकिन नहीं की गई.
आम आदमी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक जहां कपिल पार्टी की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं थे, वहीं कई जगहों पर कपिल मिश्रा पर पार्टी के खिलाफ काम करने का शक भी किया गया.
कुछ दिन पहले ही जीटीबी अस्पताल पर लगे आरोपों और करीब 20 लोगों की आंखों की रोशनी जाने के मामले को उछालने में भी बिना नाम लिए एक आप मंत्री पर आरोप लगे थे. यह शक भी कपिल पर ही था.
इसके साथ ही हाल ही में सत्येंद्र जैन के कार्यालय पर पड़े सीबीआई छापे के पीछे भी शक सुई कपिल पर ही घूम रही थी. सूत्रों ने बताया कि आम आदमी पार्टी की अंदरूनी जांच में ईमेल भेजने वालों के आईपी एड्रेस तक की जांच की जा रही है.
कपिल की मां अन्नपूर्णा कहती हैं कि कपिल ने तारीफ के काबिल काम किया है. वह परिपक्व हैं और सोच-समझकर कदम उठा रहे हैं. ईमानदारी से कोई समझौता नहीं. आने वाला वक्त बताएगा कि केजरीवाल भ्रष्टाचारी हैं कि नहीं.
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