कर्नाटक: हैदराबाद पहुंचाए गए कांग्रेस-JDS विधायकों को इसलिए दिए गए मोबाइल…

बेंगलुरु। कर्नाटक में सत्‍ता के लिए मचे सियासी संग्राम और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्‍पा के मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने अपने विधायकों को 17 मई की रात बेंगलुरू से हैदराबाद शिफ्ट कर दिया. ऐसा करने के पीछे कांग्रेस ने यह आरोप लगाया है कि‍ बेंगलुरू के जिस रिसॉर्ट में उनके विधायक रुके थे, उनको वहां धमकाया जा रहा था और बीजेपी के पक्ष में पाला बदलने के लिए कहा जा रहा था. हालांकि इस तरह के आरोपों के बावजूद मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन विधायकों से कांग्रेस और जेडीएस ने मोबाइल स्विच ऑफ करने या जमा करने के लिए नहीं कहा है. हालांकि इसके उलट उनसे कहा गया है कि वह कॉल रिकॉर्ड करने वाले ऐप डाउनलोड कर लें.

इसके पीछे मकसद ये है कि किसके पास किस तरह के फोन आएंगे या जाएंगे, ये पता करना आसान होगा. इसलिए इन विधायकों को अपने पास मोबाइल रखने की अनुमति दी गई है. हालांकि इससे पहले ऐसा होता रहा है कि इस तरह की परिस्थिति में विधायकों से मोबाइल भी जमा करा लिए जाते रहे हैं ताकि खरीद-फरोख्‍त से जुड़ी कोई डील न हो पाए. कई बार तो ऐसा देखा गया कि विधायकों की इस तरह निगरानी की जाती है कि उनका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रह जाता.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते 19 मई को शाम चार बजे कर्नाटक में शक्ति परीक्षण का आदेश दिया है. इससे पहले राज्‍यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के साथ 15 दिनों में बहुमत साबित करने के लिए कहा था. इसके खिलाफ कांग्रेस-जेडीएस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले 24 घंटे में ही शक्ति परीक्षण कराया जाना उचित होगा. इससे पहले 18 मई को सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई के दौरान बीजेपी की तरफ से वरिष्‍ठ वकील मुकुल रोहतगी ने येदियुरप्‍पा की चिट्ठियां सुप्रीम कोर्ट को सौंपी और कहा कि बीजेपी के पास बहुमत है.

वहीं, सुनवाई के दौरान जस्टिस एके सीकरी ने रोहतगी से कहा कि ‘बीजेपी ने तो सिर्फ बहुमत की बात की है, जबकि कांगेस जेडीएस ने तो पूर्ण बहुमत की चिट्ठी दी थी.’ उन्‍होंने पूछा कि राज्‍यपाल ने किस आधार पर बीजेपी को न्‍योता दिया? शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘जनादेश सबसे महत्‍वपूर्ण है. सरकार बनाना नंबर का खेल है. राज्‍यपाल तय करेंगे कि नंबर किसके पास है.’

वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा की दलील का विरोध करते हुए कहा कि ये महत्‍वपूर्ण है कि पहले सरकार बनाने का न्‍योता किसे दिया जाए. सिंघवी ने पूछा, ‘भाजपा के पास अगर बहुमत है, तो लिखित है या फिर जुबानी?’  सिंघवी ने जजों के सामने कहा कि कांग्रेस शक्ति परीक्षण के लिए तैयार है और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाए. शीर्ष न्यायालय ने भाजपा को आदेश जारी करते हुए कहा कि वे कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों की सुरक्षा का इंतजाम करें.

बीएस येदियुरप्‍पा ने ली शपथ
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार (17 मई) तड़के बीएस येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर रोक नहीं लगाई थी. शीर्ष अदालत ने आधी रात को घंटों चली सुनवाई में कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) की येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की संयुक्त याचिका के मद्देनजर शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है. इस मामले की कार्यवाही की अध्यक्षता एके सीकरी, एसए बाबडे और अशोक भूषण ने की थी.

शीर्ष अदालत ने आधी रात को घंटों चली सुनवाई में कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) की येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की संयुक्त याचिका के मद्देनजर शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है. इस मामले की कार्यवाही की अध्यक्षता एके सीकरी, एसए बॉब्डे और अशोक भूषण ने की थी. येदियुरप्पा ने तय योजना के अनुरूप गुरुवार (17 मई) सुबह नौ बजे शपथ ली थी. येदियुरप्पा ने पत्रों में सदन में बहुमत होने का दावा किया है. इसी के खिलाफ कांग्रेस और जेडी-एस ने राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने को चुनौती दी है.

 

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