राहुल भटनागर का मुख्य सचिव के पद से विदाई तय, राजीव कुमार होंगे यूपी के नए मुख्य सचिव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में अपने कारनामों से मशहूर शुगर डैडी यानी मुख्य सचिव राहुल भटनागर की जल्द विदाई होने जा रही है। गोमती रिवर फ्रंट योजना हो या फिर अन्य अनियमितताओं की जांच की आंच में मुख्य सचिव झुलसेंगे। इन्हीं बातों के मद्देनजर योगी सरकार केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात रहे राजीव कुमार को मुख्य सचिव बनाने पर लगभग सहमति हो गई है।

शासन के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि राजीव कुमार को केन्द्र सरकार ने प्रतिनियुक्ति से रिलीव कर दिया है। विदेश में होने के कारण राजीव कुमार 1 जुलाई को मुख्य सचिव पद को ज्वाइन करेंगे। वर्तमान मुख्य सचिव राहुल भटनागर के कारनामों से मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ काफी नाराज हैं। नाराजगी इतनी है कि वर्तमान मुख्य सचिव राहुल भटनागर को सदस्य राजस्व परिषद के पद पर भेजना जाना तय है।

बताते चलें कि गोमती रिवर फ्रंट योजना में जमकर वित्तीय अनियमितताओं का खेल हुआ है। यह खुलासा रिटायर्ड जज आलोक सिंह की जांच रिपोर्ट से हुआ है। समिति ने पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, पूर्व प्रमुख सचिव दीपक सिंघल को जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई किए जाने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोषियों के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई तय करने के लिए नगर विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की है। समिति को दोषी इंजीनियर और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ  की जाने वाली कार्रवाई संबंधी अपनी संस्तुति रिपोर्ट 15 जून तक मुख्यमंत्री को सौंपनी होगी।

उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव सरकार ने वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की थी, जो बढक़र 1,513 करोड़ रुपये हो गई थी। जिसका 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य ही पूरा हुआ है। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण करने गए थे और फिर सेवानिवृत न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित करते हुए 45 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। समिति ने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। न्यायमूर्ति आलोक सिंह की समिति ने अपनी रिपोर्ट में इंजीनियरों व ठेकेदारों के बीच दुरभि संधि के चलते परियोजना में करोड़ों रुपए का दुरुपयोग किए जाने की बात कही है। समिति तकरीबन 40 पेज की रिपोर्ट में बिन्दुवार खामियों का उल्लेख करते हुए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन, तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए एक दर्जन इंजीनियरों को दोषी ठहराया है।

मुख्यमंत्री ने मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में समिति गठित करते हुए उसमें राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीर कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त अनूप चन्द्र पांडेय व प्रमुख सचिव न्याय रंगनाथ पांडेय को सदस्य बनाया है। समिति को करोड़ों रुपये का दुरुपयोग करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रारूप तय करने का जिम्मा सौंपा गया है। समिति को 15 जून तक मुख्यमंत्री को अपनी संस्तुति रिपोर्ट सौंपनी होगी। जानकारों के मुताबिक परियोजना में बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ों को देखते हुए समिति दोषी अधिकारियों व इंजीनियरों के खिलाफ  विभागीय कार्रवाई के साथ ही एफआईआर कराने की संस्तुति कर सकती है। सरकार समिति की सिफारिश पर घोटाले की जांच सीबीआई को भी सौंपने पर विचार कर सकती है।

 

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