विराट कोहली से ज्यादा एमएस धोनी के मार्गदर्शन पर है सहवाग को भरोसा
सिगापुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का कहना है कि अगले साल इंग्लैंड एवं वेल्स में होने वाले विश्व कप टूर्नामेंट को भारतीय टीम तभी जीत सकती है, अगर युवा खिलाड़ियों को महेंद्र सिंह धोनी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया जाए. सहवाग ने कहा कि धोनी के प्रदर्शन और रणनीति की बदौलत भारत ने 2011 में विश्व कप का खिताब जीता था.
ग्लोबल इंडियन इंटरनेशनल स्कूल (जीआईईएस) में आयोजित एक परिचर्चा में सहवाग ने कहा, “एक युवा खिलाड़ी के रूप में मैंने अपना पहला विश्व कप टूर्नामेंट सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले के साथ 2003 में खेला था. ये सब मेरी मदद कर रहे थे.”
सहवाग ने कहा, “वर्तमान में भारतीय टीम में शामिल युवा खिलाड़ियों के पास धोनी जैसे अच्छे वरिष्ठ खिलाड़ी हैं, जो उनका मार्गदर्शन कर सकते हैं और उन्हें 2019 विश्व कप की तैयारी के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं.”
साल 2011 में हुए विश्व कप में अपने अनुभव के बारे में सहवाग ने कहा, “इस टूर्नामेंट से दो साल पहले हमारी टीम की एक बैठक हुई थी, जहां हमने यह फैसला लिया था कि हम इस विश्व कप के हर मैच को नॉकआउट मैच की तरह देखेंगे. अगर हम हारे, तो हम विश्व कप से बाहर हो गए समझो. हमने इसके सभी मैच जीते और फाइनल में पहुंचे. इसी प्रकार हमने तैयारी की थी.”
बल्लेबाजी में वह धार नहीं रही
गौरतलब है कि पिछली कुछ सीरीज में महेंद्र सिंह धोनी जब भी अपेक्षाओं के अनुरूप प्रदर्शन करते नजर नहीं आए, उनकी काफी आलोचना की गई. यह भी कहा जाने लगा है कि अब उनकी बल्लेबाजी में वह धार नहीं रही जो 2011 विश्वकप के दौरान थी. लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से ही अपने आलोचकों को जवाब दिया और अपनी अहमियत कायम रखी. उनका बचाव करने में कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री ने उनका बचाव करने में भी काफी तत्परता दिखाई.
शास्त्री का दावा है कि धोनी को क्रिकेट इतिहास में वनडे क्रिकेट प्रारूप के महानतम क्रिकेटर के रूप में याद किया जाएगा. टीम इंडिया के कोच शास्त्री ने कहा कि धोनी के अनुभव का कोई विकल्प नहीं है, जिसके कारण वे भारत की सीमित ओवरों की टीम का अहम हिस्सा हैं.
शास्त्री का कहना है, “धोनी के पास जिस तरह का अनुभव है और जिस स्तर की फिटनेस है वे दुनिया में अब तक के सर्वश्रेष्ठ वनडे खिलाड़ी के तौर पर जाने जाएंगे. उनके अनुभव का कोई विकल्प नहीं है, उसे किसी बाजार में बेचा या खरीदा नहीं जा सकता. पहले भी जब न्यूजीलैंड टीम भारत के दौरे पर आई थी तब भी धोनी को आलोचना का निशाना बनाया गया था और उस समय कोहली और शास्त्री दोनों ने ही एमएस का बचाव किया था. इसके बाद श्रीलंका का जब भारत दौरा हुआ था और धर्मशाला में पूरी भारतीय टीम लड़खड़ा गई थी, तब धोनी ने शानदार अर्धशतकीय पारी से आलोचकों को जवाब दिया था.
दक्षिण अफ्रीका में भी धोनी ने दिया था जवाब
दक्षिण अफ्रीका में खासतौर पर वनडे सीरीज में धोनी की पारी में वह धार दिखाई नहीं दी जिसकी वजह से उनके आलोचक एक बार फिर मुखर होने लगे थे लेकिन धोनी ने टी20 सीरीज के दौरान भी धोनी ने अपनी उपस्थिति तो दर्ज कराई लेकिन जिस धुंआधार पारी को उनके चाहने वाले देखना चाहते हैं वह देखने को नहीं मिली. धोनी ने वनडे सीरीज की चार पारियों में केवल 69 रन ही बनाए थे, जबकि टी20 सीरीज की तीन पारियों में 40 के औसत से 80 रन बनाए थे जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ 52 नाबाद रहा था. हालांकि भारत यह मैच हार गया था.
विकेट के पीछे धोनी हमेशा ही बेस्ट
लेकिन अपनी बल्लेबाजी में उतार चढ़ाव के बावजूद धोनी का विकेट के पीछे शानदार प्रदर्शन जारी है. उसके अलावा धोनी की भारतीय स्पिन गेंदबाजों को महत्वपूर्ण सलाह देना भी काफी चर्चा मे रहा. गौरतलब है कि कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को दक्षिण अफ्रीकी पिचों का कोई अनुभव न होने पर धोनी ने उनका गाइड किया था और उनकी दी हुई सलाह के दम पर ही दोनों रिस्ट स्पिनर्स ने शानदार प्रदर्शन किया जिससे भारत वनडे सीरीज पर कब्जा जमा सकी.
मैचों के दौरान विकेट पीछे धोनी की आवाज रिकॉर्ड होती थी और सभी को पता चल जाता था कि धोनी क्या कह रहे हैं हालांकि धोनी केवल हिंदी में ही बोलते थे ताकि दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को कुछ समझ में न आए. टीवी कमेंटेटर्स भी मानते हैं कि धोनी बिलकुल सही सलाह देते थे.
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