अपनी चालाकियों से बीजेपी पर भारी पड़ रहे हैं नीतीश कुमार

nitish-sushilतहलका एक्सप्रेस

पटना। सियासत संग्राम की तरह है और यह चालाकी की एक कला है। प्रतिद्वंद्वियों को मात देने के लिए दुष्प्रचार और अफवाह राजनीतिक पार्टियों के लिए जरूरी हथियार हैं। आम धारणा है कि इस मामले में बीजेपी और आरएसएस माहिर हैं और उनका मुकाबला करना आसान नहीं है। राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने के लिए झूठी बातें फैलाने और छलावा पैदा करने का आरोप बीजेपी पर लगता रहा है लेकिन बिहार चुनाव में लालू और नीतीश इस मामले में बाजी मारते दिख रहे हैं।

उदाहरण के तौर पर नीतीश कुमार कोशिश कर रहे हैं बिहार में मोदी बनाम मोदी को हवा देकर फायदा उठाया जाए। एक इंटरव्यू में नीतीश ने आरोप लगाया कि बिहार में 2005 और 2010 के असेंबली इलेक्शन में नरेंद्र मोदी को बीजेपी की तरफ से कैंपेन करने के लिए सुशील मोदी ने रोका था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2010 के जून महीने में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पटना में बैठक थी। नीतीश ने कहा कि सुशील मोदी ने अपने नेताओं को डिनर पर आमंत्रित किया था लेकिन बाद में उन्होंने आमंत्रित नेताओं की लिस्ट से नरेंद्र मोदी का नाम हटा दिया था।

 डिनर तो हुआ नहीं था लेकिन नीतीश कुमार ने तब की बात कहकर चुनावी राजनीति को प्रभावित कर दिया है। उस डिनर को नरेंद्र मोदी ने भी कई बार याद किया है जो कभी हुआ ही नहीं। इस पर बीजेपी और नीतीश के अलग-अलग बयान हैं। मोदी ने अपनी रैलियों में कहा था कि उन्होंने अतिथियों का अपमान किया है। नीतीश ने अब इस मामले में सुशील मोदी को सामने लाकर गेंद बीजेपी के पाले में डाल दी है। जिन्हें डिनर कैंसल करने का पूरा वाकया याद है उन्हें यह भी याद होगा कि उस वक्त सुशील मोदी ने इस मसले पर एक शब्द नहीं बोला था।

डिनर कैंसल करने के मामले में पूरे वाकये का जिक्र पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब सिंगल मैन में किया है। किताब में लिखा है, ‘आमंत्रण पत्र प्रिंट हो चुका था। सभी नेताओं को व्यक्तिगत रूप से संबोधित करते हुए आमंत्रण पत्र तैयार हुआ था। ऐसा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने वाले सारे नेताओं के लिए था। उस दिन डिनर से पहले की शाम में श्याम जाजू को आमंत्रण पत्र सौंप दिया गया था। जाजू बीजेपी के दिल्ली स्थित हेडक्वॉर्टर का संचालन करते हैं। उन्हें आमंत्रण पत्र बांटने के लिए दिया गया था।’

नीतीश को सुबह के अखबार अगले दिन दिया गया। वह अखबार देखते ही गुस्से से लाल हो गए। उन्होंने चाय तक नहीं पी। पटना के मुख्य हिन्दी अखबार दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान में पूरे पेज का एक विज्ञापन छपा था। इसमें नरेंद्र मोदी के साथ हाथ में हाथ बांधे नीतीश की तस्वीर थी और मोदी को बिहार में बाढ़ पीड़ितों के लिए 5 करोड़ रुपए देने के लिए शुक्रिया कह गया था। इस विज्ञापन के प्रायोजक ने खुद को बिहार का मित्र बताया था जो अब तक अज्ञात है। इस विज्ञापन को जारी करने वाला पटना स्थित एक्स्प्रेशन ऐड्स था। इसके मालिक का नाम अरिंदम गुहा है जो पटना में सरकार और मीडिया के लिए जाना पहचाना नाम है। मोदी और नीतीश की जो तस्वीर छपी थी वह लुधियाना में एनडीए की एक रैली की थी।

ठाकुर की किताब के मुताबिक नीतीश कुमार क्रोध में उबल रहे थे। उन्होंने अपने भरोसेमंद और पूर्व बीजेपी नेता संजय झा को बुलाया और कहा कि वह उनका गुस्सा बीजेपी खेमे तक पहुंचा दें। नीतीश ने संजय झा से कहा कि डिनर नहीं होना चाहिए। आमंत्रण वापस लिया जाए। नीतीश ने झा को यह आदेश भी दिया कि शामियाना गिरा दिया जाए और खाना बनाने की पूरी तैयारी रोक दी जाए। नीतीश इतने गुस्से में थे कि संजय झा को कारण पूछने की भी हिम्मत नहीं हुई। इस किताब को पब्लिश हुए तीन साल हो गए लेकिन नीतीश ने कभी चुनौती नहीं दी। जेडीयू जॉइन करने के बाद संजय झा बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मध्यस्थ की भूमिका अदा करते थे। झा जेडीयू जॉइन करने से पहले अरुण जेटली के बेहद करीब रहे हैं।

फर्स्टपोस्ट के मुताबिक, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी और सुशील मोदी के बीच कटुता पैदा करने के लिए आधा सच का सहारा लिया है। वह बीजेपी से 17 सालों तक जुड़े रहे। हो सकता है कि सुशील मोदी ने बिहार में नरेंद्र मोदी को कैंपेन करने से रोका हो। हालांकि इस मसले पर सुशील मोदी को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से भी सहारा मिला होगा। एलके आडवाणी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली भी इस बात से सहमत थे कि बिहार इलेक्शन में नरेंद्र मोदी को कैंपेन से दूर रखा जाए।’

सुशील मोदी जब तक नीतीश कुमार के साथ सत्ता में रहे तब तक उनकी पहचान अच्छे वफादार के रूप में रही। यह सबूत है कि नरेंद्र मोदी जब 2012 में गुजरात चुनाव जीतने के बाद नई दिल्ली नैशनल डिवेलपमेंट कांउसिल की बैठक में पहुंचे तो सभी मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें बधाई दी थी लेकिन नीतीश कुमार ने नहीं दी थी। यह सब दिल्ली के विज्ञान भवन में हुआ था। सुशील मोदी भी नीतीश कुमार के साथ थे और उन्होंने भी मोदी को इग्नोर करना अच्छा समझा था। सुशील मोदी को पता नहीं था कि गुजरात का नेता बीजेपी की कमान संभालेगा और लोगों को लामबंद करने में सबको पीछे छोड़ देगा।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button