आज भी फल-फूल रहा है मायावती के भाई आनंद कुमार का कारोबार, योगी दिख रहे लाचार

लखनऊ। अक्सर मीडिया से दूर रहने वाले मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार का नाम नोटबंदी के बाद उनके खाते में 1.43 करोड़ जमा कर सामने आया। धीरे-धीरे जब आनंद की आकूत संपत्ती से परदा उठना शुरू हुआ तो सभी को पता चला कि परदे की पीछे रहने वाले आनंद चुपचाप बड़ा खेल खेलने में माहिर हैं। जब लोगों को पता चला कि कभी कलर्क की नौकरी करने वाले आनंद कुमार की प्रोपर्टी में 7 साल के अंदर ही लगभग 200 गुना इजाफा हुआ और उनकी संपत्ती जो साल 2007 में 7.5 करोड़ थी वो साल 2014 आते आते 1316 करोड़ हो चुकी थी।

7.5 करोड़ बन गए 1316 करोड़

आनंद कुमार ने फर्जी कम्पनी बनाकर करोड़ों रुपए लोन लिया और लोन लिए पैसे को रियल स्टेट में इनवेस्ट कर मुनाफा कमाया है। आनन्द कुमार की संपति में दिन-दुनी-रात चौगुनी वृद्धि हुई है। जहां 2007 में कुमार 7.5 करोड़ के मालिक थे, वहीं साल 2014 में उनकी संपति बढ़कर 1,316 करोड़ रुपए हो गयी थी।

90 के दशक में जब मायावती सीएम बनी थी तो उनकी सिफारिश पर आनंद कुमार की नोएडा अथॉरीटि में जुनियर असिस्टेंट के पद पर भर्ती हुए थे। इस दौरान उन्होंने अथॉरीटि के अंदर अलॉट्मेंट से लेकर प्लानिंग और प्लानिंग से लेकर इंजीनियरिंग विभाग के भीतर तक की जानकारी हासिल की। अथॉरीटि में रहते हुए उन्होंने बिल्डरों के साथ मिलकर कई प्रोजेक्ट शुरू कराए। मायावती के कार्यकाल में ही आनंद नोएडा की जमीन की कीमत समझ चुके थे और भ्रष्टाचार की खान कहे जाने वाले नोएडा अथॉरीटी का कैसे इस्तेमाल किया जाए इसकी भी पूरी सेटिंग कर चुके थे।

नोएडा में खड़ी की ठेकेदारों और बिल्डरों की फौज, आनंद ने खोली थी 49 कम्पनियां

साल 2003 में जब मुलायम सिंह यूपी के सीएम बने तो आनंद कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जब 2007 में मायावती चौथी बार सूबे की सीएम बनी तो आनंद ने चीफ इंजीनियर यादव सिंह को अप्रत्यक्ष रूप से अपना मुहरा बनाया और यादव सिंह के रहते नोएडा को मोहम्मद गजनबी और चंगेज खान की तरह लूटा। आनंद कुमार ने ना सिर्फ अपना पैसा जमीन से जुड़े प्रोजेक्ट बल्कि मीडिया में भी लगाया। मायावती के 2007 के कार्यकाल के दौरान आनंद कुमार ने नोएडा अथॉरीटि में जमकर भर्तियां भी कराई। आनंद कुमार ने 2 दर्जन से ज्यादा बड़े बिल्डरों को नोएडा में पैर जमाने का मौका दिया और ठेकेदारों की लंबी फौज खड़ी कर दी। बिल्डरों और ठेकेदारों की इसी जमात के दमपर आनंद कुमार का कोई प्रोजक्ट नहीं रुकता और मंदी के इस दौर में भी उसके सभी प्रोजक्ट घड़ल्ले से चल रहे हैं।

बताया जाता है कि नोएडा अथॉरीटि के अंदर ज्यादातर क्लर्क और छोटे अधिकारियों को आनंद ने ही नौकरी दिलवाई थी। यही वजह है कि अथॉरीटि के अंदर के पल-पल की जानकारी आनंद को मिलती रहती है। हर फाइल पर उनकी नजर होती है। हर फैसला उन्हों मालूम होता है। अधिकारी, अफसर, बिल्डर और ठेकेदारों के इसी गठजोड़ से आनंद कुमार का कोई काम नहीं रुकता।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2007 से पहले आनंद की एक कंपनी थी, लेकिन 2007 में प्रदेश में बहन जी की सरकार बनने के बाद आनंद ने लगातार 49 कम्पनियां खोली। इस काम में बसपा नेता सतीश मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा ने भी आनंद का साथ दिया।

 

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